tag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post1400763869322684562..comments2024-03-26T08:08:47.284-07:00Comments on हाहाकार: आलोचक का बुढभसअनंत विजयhttp://www.blogger.com/profile/04532945027526708213noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-37977055337773403322014-12-01T05:53:32.678-08:002014-12-01T05:53:32.678-08:00मतलब,साहित्य से लेकर समाज तक 'बुढ्ढे' कभी ...मतलब,साहित्य से लेकर समाज तक 'बुढ्ढे' कभी भी, कहीं भी 'खखार' थूक कर गंदगी फैला देते हैं ... या ख़ुदा! मुझे 'मानसिक बुढ्ढा' होने से पहले इस धरा से उठा लेना, ताकि मैं तेरी और अपनी ही बनाई जमीन में गन्दगी न फैला सकूँ....सिद्धार्थ प्रताप सिंह https://www.blogger.com/profile/07682756014136700966noreply@blogger.com