tag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post2871465370648982517..comments2024-03-26T08:08:47.284-07:00Comments on हाहाकार: टीवी के लौंडे-लफाड़ेअनंत विजयhttp://www.blogger.com/profile/04532945027526708213noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-82596725566657748202010-04-27T20:19:04.425-07:002010-04-27T20:19:04.425-07:00सरकारी रेटिंग एजंसी बनाने की एक धमकी पर दूरदर्शन क...सरकारी रेटिंग एजंसी बनाने की एक धमकी पर दूरदर्शन की टीआरपी अचानक कैसे उछल गई थी? पढ़ें:<br /><br /><a href="http://www.visfot.com/index.php/corporate_media/1515.html" rel="nofollow">दूरदर्शन को नंबर वन घोषित करने का शिगूफा</a>सोनूhttps://www.blogger.com/profile/15174056220932402176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-25724129250864458492008-10-15T06:39:00.000-07:002008-10-15T06:39:00.000-07:00इसे क्या कहू मजाक या कहानी शायद कहानी है। रामगोपाल...इसे क्या कहू मजाक या कहानी शायद कहानी है। रामगोपाल वर्मा की किसी फिल्म की तरह सत्य से मतलब नही। <BR/><BR/>मिडीया बाले बरी गाडी से घुमते है क्यों कि उन्हें विदेश से पैसा मिलता है इस देश के साथ द्रोह करने के लिये हमेशा वैसी खबर दिखातें जो इस देश के लिये घातक है। हा अगर कोई मसाला खबर हो तो दिन भर चलता रहता है जैसे राखी सावंत का वैलेन्टान डे के दिन अपने दोस्त को थप्पड मारना। दिन भर विचारा टी.वी चैनल में मार खाता रहा। झूठा स्टिग बना कर टी.आर.पी बढाने का कोशीश करना। जम्मू में हिन्दु मरे उन्हे मतलब नही है लेकिन अगर एक आतंकवादि अगर<BR/>पुलिस से मारा गया तो चैनल बालों का कान खरा हो जाता है । <BR/>ये है सच्चाईfgfgdghttps://www.blogger.com/profile/07685995780249664825noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-3665610488755036302008-10-15T01:34:00.000-07:002008-10-15T01:34:00.000-07:00ab to TV mai news dekhne ka matlab hai ki samya ki...ab to TV mai news dekhne ka matlab hai ki samya ki barbadi. TV se kahi zyda achhi news radio mai sunne ko mil jati hai.Vineeta Yashsavihttps://www.blogger.com/profile/10574001200862952259noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-61481802257846420672008-10-15T00:52:00.000-07:002008-10-15T00:52:00.000-07:00kahaa ja saktaa hai ki, media ik had tak vishwasne...kahaa ja saktaa hai ki, media ik had tak vishwasneey tha, magar iskee aantarik sachchai mediajan jaante hi hain, magar jo bharosaa aamjan ke liye thaa, inmein budhijiv varg ab samjhne lgaa hai,,,par ik bdaa tabkaa ab bhi...iskee us chapet mein hai...jahaan se kisi na kisi roop mein use haani ho rhee hai.Amit K Sagarhttps://www.blogger.com/profile/15327916625569849443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-38756941706962093552008-10-14T22:42:00.000-07:002008-10-14T22:42:00.000-07:00भैया कमाल है आपका क्या लिखा है आपने, वास्तविक्ता स...भैया कमाल है आपका क्या लिखा है आपने, वास्तविक्ता से मूंह मोड्ना कोइ आप से सीखे, आप लम्बी गाडी में चलते होगें, लेकिन रोब दिखने को उसके शिशे पर बडा-बडा प्रेस जरुर लिखवाया होगा, यातायात नियम का उल्लघंन होने पर पुलिस वाले को कहते होगे कि पाता नहीं मैं रिपोर्टर हुं? क्या आपने कभी अपना आम आदमी की तरह इमानदारी से चलान कटवाया है। भैया बडी गाडी बडे होने का प्रमाण नही होती, बडा होता है चरित्र। जिस चित्र को टी वी चेनल अश्लील बताकर भांडा फोड करते हैं उसे पूरा दिन दिखाते हैं क्या यह नैतिक्ता है? बडी गाडी तो एक वैश्या, बेईमान्, भ्रष्टाचारी, लूटेरा भी ले सकता है, क्या ये तरक्की की श्रेणी में आता है? मेरे लिखने में त्रुटी हो सकती है लेकिन मै क्या कहना चाह्ता हूं, आप अच्छे से समझ गये होगें। कृ्पया अपनी आंखों से यह झूठ का आवरण उतार कर यथार्थ को समझने का प्रयस करो।Dr. Anil Kumar Tyagihttps://www.blogger.com/profile/01930475643027515517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-66972519692808015252008-10-14T10:04:00.000-07:002008-10-14T10:04:00.000-07:00भाई अनंत जी !बहुत छोटा सा कलम घिस्सू हूँ मै भी ! म...भाई अनंत जी !<BR/>बहुत छोटा सा कलम घिस्सू हूँ मै भी ! मानता हूँ कि किसी भी चीज की आलोचना करना बेहद आसान होता है !<BR/>लेकिन सवाल ये है कि सामाजिक सरोकार जैसी भी कोई चीज़ होती है या नही ! आपका लेख पढ़ कर मुझे लगा कि शायद आप ठीक से स्वयं भी न्यूज़ चैनल्स नही देखते....... ठीक वैसे ही जैसे हलवाई अपनी मिठाई नही खाता ! पहले कितने चाव से मै न्यूज़ चैनल देखा करता था ! अब क्या देखूं ? आप ही बताईये ! किसी भी घटना को आप लोग ऐसा आलिफ लैला का किस्सा बना देते हैं कि उफ़ ....तौबा,,,,,तौबा ! जरा याद करिए जब एक माँडल का टॉप रैंप पे गिर गया था ......अभिषेक - ऐश्वर्या की शादी.......शिल्पा शेट्टी का 'किस' वाला प्रसंग ....<BR/>.....जाने दीजिये अनगिनत घटनाएं हैं ..... और अभी लेटेस्ट आरूषी मर्डर केस ..... जब सारे चैनल्स वाले शार्लेक होम्स टाइप जासूस बन गए थे ! खोपड़ी पका देते हैं आप चैनल्स वाले और मासूमियत से कहते हैं हमारा क्या कसूर ?प्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-35882069136223262532008-10-14T08:39:00.000-07:002008-10-14T08:39:00.000-07:00अच्छा लिखा है आपने. चिटठा जगत मैं आपका स्वागत है.अच्छा लिखा है आपने. चिटठा जगत मैं आपका स्वागत है.शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-82596045807992419822008-10-14T08:32:00.000-07:002008-10-14T08:32:00.000-07:00Kshama chahtee hun..."Shubh agman" likhnaa chahtee...Kshama chahtee hun..."Shubh agman" likhnaa chahtee thee....!<BR/>Gar dastandaazi na lage to pls word verification hata den, bura to nahee laga?shamahttps://www.blogger.com/profile/10349457755551725245noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-64184974544622900412008-10-14T08:29:00.001-07:002008-10-14T08:29:00.001-07:00सत्य को उजागर करता बहुत सार्थक आलेख बधाई आपका चि...सत्य को उजागर करता बहुत सार्थक आलेख बधाई आपका चिठ्ठा जगत में स्वागत है निरंतरता की चाहत है <BR/>बधाई स्वीकारें मेरे ब्लॉग पर भी पधारेंप्रदीप मानोरियाhttps://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-85573812235734584482008-10-14T08:29:00.000-07:002008-10-14T08:29:00.000-07:00Shabhagan badhaeeke saath....Rating kaise hotte ha...Shabhagan badhaeeke saath....Rating kaise hotte hai ye mujh nahee pata, par haan, TV serialsme se to bilkul dilchaspee hat gayee hai...news bhee jab koyi phone karke kehta hai to dekhtee hun....Doordarshanpe aanewale serials tatha Z TV ke shuruati daurkr serials sab khatm ho gaye...ab epsode writers hote hain...ek epsode kee doosreke saath continuity...??Ye kya cheez hotee hai bhala??Mere gharke TV kaa astitv mai bhool chukee hun...kabhi kabar National Gegraphik pe chalee jaatee hun, warna redio pe laut aayee hun...jahan aankhonkaa koyi sarokar nahe...!Aur apne pasandeeda geetonko chun, chun CDs bana rakhee hain!shamahttps://www.blogger.com/profile/10349457755551725245noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-1229308871366433742008-10-14T07:33:00.000-07:002008-10-14T07:33:00.000-07:00मैं भी इस सबके बारे में कुछ ज्यादा नहीं जानता . पर...मैं भी इस सबके बारे में कुछ ज्यादा नहीं जानता . पर इतना है कि पहले टी वी पर न्यूज देखने का मन करता था . अब नहीं करता . अखबार से ही काम चलाते हैंविवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-63929391263067959012008-10-13T15:57:00.000-07:002008-10-13T15:57:00.000-07:00मैं न तो अखबारी रिपोर्टर हूँ न ही टीवी रिपोर्टर, म...मैं न तो अखबारी रिपोर्टर हूँ न ही टीवी रिपोर्टर, मध्यप्रदेश के एक छोटे शहर का बाशिंदा, अंतर्राष्ट्रीय वित्त में पीजी करके केपीओ में परामर्शदाता का काम करता हूँ. पर सच में आज टीवी के नाम से ही चिढ होती है, कितने हिन्दी चैनल हैं जो समाचार विश्लेष्ण और अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य की खबरें दिखाते हैं? एनडी टीवी और आईबीएन भी नहीं, बाकी तो भूतप्रेत, जादूटोना, अश्लील कॉमेडी के ही पिटारे हैं, क्या यह बात ग़लत है? छत्तीसगढ़ और आन्ध्र-उडीसा में नक्सालियों-माओवादियों का हाहाकार मचा हुआ है, और टीवी पर सिर्फ़ वहीं की खबरें (टाइम फिलर्स सही शब्द है) जहाँ इनकी ओबी वैन आसानी से पहुँच सके, यानि नोएडा और दिल्ली. और रही बात पब्लिक की मांग की तो सेक्स सबसे अधिक बिकता है, कल को एक्स-रेटेड सामग्री टीवी पर दिखाने की अनुमति मिल जायेगी तो क्या ब्लू-फिल्में परोसोगे न्यूज़ पर? अनारा और डीपीएस की सीडी नाममात्र के ब्लर के साथ टीवी पर सरेआम तुम दिखा ही चुके हो....... अपनी माँ और बेटी के साथ बैठकर यह दृश्य टीवी पर तुम देख सकते हो? मीडिया ट्रायल में इतनी गंदगी बिखेरी की अदालत को भी आपत्ति जतानी पड़ी. वे लोग जो थोड़े भी जागरूक हैं वे तथाकथित राष्ट्रीय चैनलों पर जाने की बजाये ई-टीवी जैसे क्षेत्रीय चैनलों पर समाचार देखना ज़्यादा पसंद करते हैं. <BR/><BR/>और राजू श्रीवास्तव, रतन नूरा की कॉमेडी, भूत-जादूटोना, दिल्ली-नोएडा के आसपास की हत्या बलात्कार की खबरें, यू ट्यूब की क्लिप्स, और बाकी बचे टाइम में घटिया नेताओं की बयानबाजी .... इसमे ऐसी कितनी मेहनत लगती है जो तुम हर आदे घंटे में अख़बार निकलते हो?<BR/><BR/>और जो उन चैनलों की बात कर रहे हो जो जादू टोना नहीं दिखाते, उनमे भी मीडिया ट्रायल होता है, वे भी दिल्ली-नोएडा से शायद ही बाहर जाते हैं, वे भी कंटेंट के नाम पर दीवालिया हैं, उनके लिए भी दिल्ली के आसपास ही पूरा भारत है.<BR/><BR/>किसी का पति या बच्चा मर गया हो, पूछते हो ' आपके पति/बेटे की मौत हो गई है आपको कैसा लग रहा है?' संजय दत्त से उसके पिता की शवयात्रा में पूछा गया 'आपके पिता की मौत हो गई है आपको कैसा लग रहा है?' विनोद दुआ ने एड्स से मरते हुए आदमी से पूछा, 'आप एक महीने के अंदर मर जायेंगे यह जानकर कैसा महसूस हो रहा है?'<BR/><BR/>ज़रा आइना देखो फ़िर बात करो, प्रिंट में मनोहर कहानियाँ, सरस सलिल, सत्यकथा हैं तो आउटलुक, इंडिया टुडे, सन्डे इंडियन जैसी पत्रिकाएं भी हैं, हाँ समाचारपत्र (खासकर हिन्दी) ज़रूर चैनलों की लाइन पर चल पड़े है.<BR/><BR/>अब अगर सरकार मीडिया रेग्युलेशन बिल लाती है तो मुझे और बाकी पढ़े लिखे लोगों को कोई परेशानी नहीं होगी.ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.com