tag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post8706946146641001416..comments2024-03-26T08:08:47.284-07:00Comments on हाहाकार: कांग्रेस का महिला (अ)प्रेमअनंत विजयhttp://www.blogger.com/profile/04532945027526708213noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-66155976695623936462009-12-17T05:46:36.666-08:002009-12-17T05:46:36.666-08:00आपका लेख बहुत अच्छा है,,विचार भी गंभीर, मगर आ अधूर...आपका लेख बहुत अच्छा है,,विचार भी गंभीर, मगर आ अधूरी बातें क्यों करते हैं. क्या हर मामले में बास ही दोषी होता है. कार्य स्थल पर हमेशा छेड़छाड़ एक की गल्ती से होती है। क्या लड़कियां बास की कृपा नहीं चाहती.उन्हें अपने साथियों को छोड़ कर आगे बढने की ख्वाहिश कम शातिर बना रही है। प्रगति का शार्टकट देखिए.मैं भी स्त्रीवादी हूं..मगर आंख मूंद कर नहीं। जहां विरोध करना चाहिए, वहां अपनी आवाज उठा रही हूं. मगर कुछ लड़कियां कार्यस्थल पर क्या गेम कर रही हैं, आपको पता नहीं है क्या। नहीं पता तो उनसे पूछिए जो एसी लड़कियों की मारी हुई है..geetashreenoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9085022637942949290.post-7412192348455440962009-12-17T05:46:36.125-08:002009-12-17T05:46:36.125-08:00आपका लेख बहुत अच्छा है,,विचार भी गंभीर, मगर आ अधूर...आपका लेख बहुत अच्छा है,,विचार भी गंभीर, मगर आ अधूरी बातें क्यों करते हैं. क्या हर मामले में बास ही दोषी होता है. कार्य स्थल पर हमेशा छेड़छाड़ एक की गल्ती से होती है। क्या लड़कियां बास की कृपा नहीं चाहती.उन्हें अपने साथियों को छोड़ कर आगे बढने की ख्वाहिश कम शातिर बना रही है। प्रगति का शार्टकट देखिए.मैं भी स्त्रीवादी हूं..मगर आंख मूंद कर नहीं। जहां विरोध करना चाहिए, वहां अपनी आवाज उठा रही हूं. मगर कुछ लड़कियां कार्यस्थल पर क्या गेम कर रही हैं, आपको पता नहीं है क्या। नहीं पता तो उनसे पूछिए जो एसी लड़कियों की मारी हुई है..geetashreenoreply@blogger.com