Wednesday, November 30, 2016

कुशल रणनीति से विपक्ष पस्त

आठ नवंबर को रात आ बजे जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच सौ और हजार रुपए की नोटबंदी का एलान किया तो कई लोग सदमे में चले गए लेकिन ज्यादातर राजनीति दलों ने फौरी प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री मोदी के कालेधन के खिलाफ इस कदम की तारीफ की । अब भी लगभग सभी विपक्षी दल मोदी के इस फैसले को समर्थन दे रहे हैं लेकिन जैसे जैसे दिन बीत रह हैं तो वैसे वैसे इ समर्थन के साथ अगर मगर और लेकिन बढ़ते जा रहे हैं । नोटबंदी के बाद सबसे पहले सोशल मीडिया पर एक लड़की की तस्वीर विरोधियों ने वायरल करवाई जिसमें वो हाथ में दो हजार के नोटों का बंडल लिए दिखाई दे रही थी । तब बताया गया कि वो उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष की बिटिया है । ये तस्वीर गलत निकली । फिर बीजेपी के कई प्रदेश स्तर के नेताओं की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आईं और इस मीडियम की जो अराजकता है उसने इस तरह की तस्वीरों के जरिए माहौल बनाने की कोशिश की गई । इसी दौरान खबर फैलाई गई कि बीजेपी की बंगाल इकाई ने नोटबंदी से पहले भारी मात्रा में नकदी बैंक में जमा करवाई । उधर महाराष्ट्र के एक मंत्री की गाड़ी से बानवे लाख नकदी बरामद की गई । इन तमाम कोलाहल के बीच विपक्ष को बीजेपी पर आरोप लगाने का मौका मिल गया कि सरकार के नोटबंदी के फैसले की जानकारी बीजेपी नेताओं को पहले दे दी गई थी । विपक्ष ने अपने इन आरोपों को पुख्ता करने के लिए बिहार बीजेपी के कई जिलों में आठ नवंबर के पहले जमीन खरीदने के दस्तावेज पेश कर सनसनी फैलाने की कोशिश की ।

आरोपों के इन घटाटोप के बीच प्रधानमंत्री ने एक और राजनीतिक दांव चल दिया । उन्होंने अपनी पार्टी के सभी सांसदों और विधायकों को निर्देश जारी कर दिया कि वो आठ नवंबर से लेकर इकतीस दिसंबर के बीच अपने खातों में सभी तरह के लेनदेन का ब्यौरा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को सौंपे । प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले को विपक्ष के आरोपों की हवा निकालने की रणनीति मानी जा रही है । प्रधानमंत्री का ये निर्देश केंद्र सरकार के सभी मंत्रियों पर भी लागू होगा । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के सांसदों और विधायकों को पाई पाई का हिसाब देने का निर्देश पार्टी संसदीय दल की बैठक में सार्वजनिक तौर पर दिया । इस तरह के निर्देश जारी करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनता को ये संदेश देना चाहते हैं कि नोटबंदी के इस फैसले से बीजेपी के नेताओं ने कोई बेजा फायदा नहीं उठाया है और ना ही उनको नोटबंदी के फैसले की पहले से जानकारी थी । दूसरे उन्होंने ऐसा करके अमित शाह को इस बात अधिकार दे दिया कि वो अगर किसी विधायक या सांसद के खातों में ज्यादा लेनेदेन देखें तो उससे जवाब तलब करें । अब इसके दो फायदे हैं एक तो पार्टी के पास हरेक नेता के खातों की जानकारी हो जाएगी और अगर किसी के खाते में गड़बड़ी पाई जाती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करके बीजेपी अपने दामन को और चमकदार बना सकती है । भारतीय जनता पार्टी के विधायकों और सांसदों के खातों की जानकारी मांगकर प्रधानमंत्री ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं । एक कुशल राजनेता की तरह सबसे पहले तो जनता को ये संदेश दिया कि वो किसी को भी बख्शने वाले नहीं हैं और अपनी पार्टी के नेताओं से भी पारदर्शिता की अपेक्षा रखते हैं ।  इसके अलावा प्रधानमंत्री ने अपनी पार्टी के सांसदों और विधायकों को खातों का हिसाब देने का फरमान जारी कर विपक्षी दलों पर भी ऐसा करने का दबाव बना दिया है । भारतीय जनता पार्टी के नेता ये कहने भी लगे हैं कि विपक्ष भी अपने सांसदों और विधायकों के खातों का हिसाब मांगे । अब अर विपक्ष पर दबाव बढ़ता है तो उन क्षेत्रीय दलों के नेताओं की मुसीबतें बढ़ सकती हैं जिनका सारा कामकाज नकदी पर ही चलता है । इतने विशाल देश में क्या पता कि पार्टी के किस नेता ने अपने बैंक खातों में किस प्रकार का लेन देन किया है । सभी दलों के सांसदों और विधायकों के खातों की जानकारी संबंधित पार्टी में पहुंची तो फिर कई राज फाश हो सकते हैं । हलांकि आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के भारतीय जनता पार्टी के सांसदों और विधायकों को दिए इस निर्देश की खिल्ली उड़ाते हुए कहा है कि इससे कुछ भी हासिल नहीं होगा और इससे ना ही किसी तरह की पारदर्शशिता का पता चलेगा । उन्होंने कहा कि अगर खातों की जानकारी ही लेनी है तो नोटबंदी के पहले के लेन देन की जानकारी मंगवानी चाहिए । अब उनके इस आरोप से तो यही लगता है कि बीजेपी के लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर करीब साढे तीन सौ सांसदों और देशभर के सैकड़ों विधायकों को नोटबंदी की जानकारी थी । इस आधार पर आरोप हल्के और हास्यास्पद लगते हैं । प्रधानमंत्री के इस फैसले के बाद अब विपक्ष कालेधन ,रेंडर करने के सरकारी स्कीम को लेकर हमलावर है । विपक्ष का आरोप है कि पचास फीसदी टैक्स के साथ इस स्कीम से कालेधन वालों का आधा पैसा साफ बच जाएगा जबकि प्रधानमंत्री ने कहा है कि कालेधन का आधा हिस्सा गरीबों के हितों में काम लाया जाएगा । नोटबंदी के फैसले के बाद आरोपों को लेकर विपक्ष लगातार अपना गोलपोस्ट बदल रहा है लेकिन अबतक उसको गोल करने में सफलता हासिल नहीं पाई है । नरेन्द्र मोदी कुशल रणनीतिकार की तरह विपक्ष की चालों को असफल कर रहे है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत बंद के दौरान विपक्षी दलों के बीच का कंफ्यूजन या फिर सबसे अपने अपने बंद और विरोध रहे जोकि लगभग बेअसर रहे थे । 

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