फिल्मी गीतों में रागों का प्रयोग लंबे अरसे से हो रहा है लेकिन जब संगीतकार लोक से जुड़े दृश्यों को दिखाते हैं तो उनकी पहली पसंद राग पहाड़ी होती है। जैसा कि इस राग के नाम से ही स्पष्ट है कि इसकी उत्पत्ति पहाड़ी इलाकों में हुई होगी। माना जाता है कि हिमालय की तराई वाले इलाकों में ये राग प्रचलन में रहा है। संगीत के जानकारों का कहना है कि राग पहाड़ी को सबसे पहले कश्मीर के लोकगीतकारों ने आरंभ गाना किया। संगीत की परंपरा में इसको बजाने का समय देर शाम या रात्रि के आरंभिक समय को माना गया है। इस राग का संबंध बिलावल थाट से है और इसमें राग पीलू की सुगंध भी महसूस की जा सकती है। इस राग की एक विशेषता ये भी है कि इसको आरोह और अवरोह में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। इस राग की एक विशेषता ये है कि इसको सुनते हुए कई बार प्रेम की अग्नि और विरह की पीड़ा के साथ साथ प्रेमी की प्रतीक्षा करती नायिका के मनोभावों को इस राग में अभिव्यक्ति मिलती है। इस राग को सुनते हुए कई बार ये भ्रम होता है कि ये एक धुन है। अगर इसको बजाने या गानेवाला कलाकार अगर सिद्ध होता है तो इसके राग के आरोह और अवरोह को बरतने में इसके सरगम के मानकों का इतनी निपुणता से विन्यास करता है कि वो इसको राग की ऊंचाई प्रदान कर देता है। इसी कारण ये राग सधता है और लोक संगीत को एक खास प्रकार की कर्णप्रियता से सजाता है।
फिल्मों में जब भी लोक से जुड़े प्रसंग आते हैं तो राग पहाड़ी संगीतकारों और गायकों की पसंद बन जाता है। राज कपूर ने राग पहाड़ी का अपनी कई फिल्मों में उपयोग किया है। फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ में नायिका मंदाकिनी जब पर्दे पर ‘हुस्न पहाड़ों का ओ साहिबा, क्या कहना कि बारों महीने, यहां मौसम जाड़े का’ गाती है तो राग पहाड़ी अपने उत्स पर होती है। इस गाने का संगीत दिया है रवीन्द्र जैन ने और इसको लता मंगेशकर ने अपनी आवाज से अमर कर दिया। आर डी बर्मन को भी राग पहाड़ी बेहद पसंद था और वो अपनी कई फिल्मों के गानों में राग पहाड़ी का उपयोग किया करते थे। 1966 में एक फिल्म आई थी ‘तीसरी मंजिल’ जिसमें एक गाना था ‘ओ मेरे सोना रे, सोना रे, सोना...।‘ इसको लिखा था मजरूह सुल्तानपुरी ने। इस गीत में आर डी बर्मन ने बेहद खूबसूरती के साथ राग पहाड़ी का उपयोग किया था। आर डी बर्मन ने इस गीत का संगीत तैयार करते समय राग पहाड़ी और जैज के छोटे टुकड़ों को गीत में पिरो दिया था। आशा और रफी की आवाज में ये गीत पचास साल से अधिक समय से श्रोताओं की पसंद बना हुआ है।