इनकी परेशानी राखी, राम और राजू यानि की तीन आऱ को लेकर भी है , वो इस बात पर खासे खफा हैं कि इन तीन आर को खबरिया चैनल इतना भाव क्यों दिया जा रहा है । राजू श्रीवास्तव जैसे मसखरे को टीवी चैनल वाले इतना क्यों दिखाते हैं । राखी सावंत अगर कुछ भी करती है, जो वो अमूमन हर दिन कर ही डालती हैं, तो उसे इतनी तवज्जो क्यों दी जाती है । राम के बारे में अबतक देश की अदालत कुछ तय नहीं कर पाई है लेकिन खबरिया चैनल हैं कि राम के परिवार उनके जन्म स्थान से लेकर इनका पुष्पक विमान तक सबकुछ तलाश ले रहे हैं । न सिर्फ तलाश ले रहे हैं बल्कि सबकुछ बता देने के लिए घंटो तक तमाम तरह के दंद फंद के साथ टीवी स्क्रीन पर मौजूद भी रहते हैं । इन बातों से ये जादुई यथार्थवादी पत्रकार बेहद परेशान हो जाते हैं । परेशानी के आलम में करवटें बदलते बदलते अचानक रिमोट से एसी ऑ कर देते हैं । चिंता में कब आंख लग जाती है पता ही नहीं चलता । चिंता करते करते परेशानी में सोए हैं, जाहिर है ख्वाबों में भी यही सब आ रहा है । सपने में सबसे पहले आते हैं भगवान राम, लेकिन उन जैसा ही एक साथी भी अचानक सपने में आता है और कहता है कि राम को भुनाकर बीजेपी सत्ता में आ गई, ये बात तो समझ में आती है, लेकिन अब न्यूज चैनल राम को इतना दिखाकर क्या हासिल करना चाहते हैं, क्या ये निरी भक्ति है या फिर कुछ और । जबाव नहीं मिलता है और सपने का दृष्य बदल जाता है और राम की जगह राजू श्रीवास्तव लतीफा सुनाते हुए आते हैं लेकिन इस जादुई यथार्थवादी पत्रकार को जोरदार हंसी आती है और वो ठहाका लगाकर हंसने लग जाते हैं, फिर अचानक से उनका वही साथी दिखाई देता है और पूछ लेता है कि अरे तुम तो राजू के लतीफो पर हंस रहे हो, अचानक पत्रकार महोदय का चेहरा धीर गंभीर हो जाता है और गंभीरता के आवरण से कछुए की तरह मुंह निकाल कर अपने साथी को लगभग डांटते हुए कहते हैं कि राजू को सुनकर हंसी नहीं आ रही बल्कि ये सोचकर हंसी आ रही कि खबरिया चैनल में काम करनेवाले मित्रगण इसको इतना बाव क्यों देते हैं । क्यों कर इनको एयर टाइम देते हैं । किसी तरह समझा बुझाकर अपने दोस्त को विदा करते हैं और फिर करवट बदल कर राजू और राम की सोच से मुक्त होने की कोशिश में जुट जाते हैं । लेकिन राम और राजू को निबटाकर जैसे ही चैन की नींद लेते हैं कि अचानक से बलखाती इठलाती राखी सपने में आ जाती है । इठलाती हुई आइटम गर्ल राखी को सपने में देखकर यथार्थ और ख्बाब का जबरदस्त संघर्ष होता है । आखिरकार यथार्थ पर ख्बाव बारी पड़ता है और भाई साहब राखी के ख्बाबों में डूब जाते हैं । लेकिन फिर वही दुष्ट मित्र सपने में आता है और सवाल कर डालता है कि खबरिया चैनलों में राखी को इतनी तवज्जो क्यों दी जाती है । ख्बाब में खलल से परेशान भाई साहब की चिंता इतनी बढ जाती है कि बौद्धिक स्खलन होते होते बचता है और नींद खुल जाती है । जैसे ही नींद खुलती है तो अपने खाकी निकर में बाथरूम की ओर भागते हैं , दोपहर की एडिट मीटिंग में जाने की तैयारी करनी जो करनी थी। लेकिन जब घर से निकलते हैं तो यथार्थ का लाल चोला पहनकर दफ्तर जाने के लिए निकलते हैं, क्योंकि भाइयो चाहे जो भी हो अगर आपके विचार लाल नहीं तो आप बौद्धिक नहीं ।
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Sunday, September 28, 2008
जादुई यथार्थवादी पत्रकार की परेशानी
इनकी परेशानी राखी, राम और राजू यानि की तीन आऱ को लेकर भी है , वो इस बात पर खासे खफा हैं कि इन तीन आर को खबरिया चैनल इतना भाव क्यों दिया जा रहा है । राजू श्रीवास्तव जैसे मसखरे को टीवी चैनल वाले इतना क्यों दिखाते हैं । राखी सावंत अगर कुछ भी करती है, जो वो अमूमन हर दिन कर ही डालती हैं, तो उसे इतनी तवज्जो क्यों दी जाती है । राम के बारे में अबतक देश की अदालत कुछ तय नहीं कर पाई है लेकिन खबरिया चैनल हैं कि राम के परिवार उनके जन्म स्थान से लेकर इनका पुष्पक विमान तक सबकुछ तलाश ले रहे हैं । न सिर्फ तलाश ले रहे हैं बल्कि सबकुछ बता देने के लिए घंटो तक तमाम तरह के दंद फंद के साथ टीवी स्क्रीन पर मौजूद भी रहते हैं । इन बातों से ये जादुई यथार्थवादी पत्रकार बेहद परेशान हो जाते हैं । परेशानी के आलम में करवटें बदलते बदलते अचानक रिमोट से एसी ऑ कर देते हैं । चिंता में कब आंख लग जाती है पता ही नहीं चलता । चिंता करते करते परेशानी में सोए हैं, जाहिर है ख्वाबों में भी यही सब आ रहा है । सपने में सबसे पहले आते हैं भगवान राम, लेकिन उन जैसा ही एक साथी भी अचानक सपने में आता है और कहता है कि राम को भुनाकर बीजेपी सत्ता में आ गई, ये बात तो समझ में आती है, लेकिन अब न्यूज चैनल राम को इतना दिखाकर क्या हासिल करना चाहते हैं, क्या ये निरी भक्ति है या फिर कुछ और । जबाव नहीं मिलता है और सपने का दृष्य बदल जाता है और राम की जगह राजू श्रीवास्तव लतीफा सुनाते हुए आते हैं लेकिन इस जादुई यथार्थवादी पत्रकार को जोरदार हंसी आती है और वो ठहाका लगाकर हंसने लग जाते हैं, फिर अचानक से उनका वही साथी दिखाई देता है और पूछ लेता है कि अरे तुम तो राजू के लतीफो पर हंस रहे हो, अचानक पत्रकार महोदय का चेहरा धीर गंभीर हो जाता है और गंभीरता के आवरण से कछुए की तरह मुंह निकाल कर अपने साथी को लगभग डांटते हुए कहते हैं कि राजू को सुनकर हंसी नहीं आ रही बल्कि ये सोचकर हंसी आ रही कि खबरिया चैनल में काम करनेवाले मित्रगण इसको इतना बाव क्यों देते हैं । क्यों कर इनको एयर टाइम देते हैं । किसी तरह समझा बुझाकर अपने दोस्त को विदा करते हैं और फिर करवट बदल कर राजू और राम की सोच से मुक्त होने की कोशिश में जुट जाते हैं । लेकिन राम और राजू को निबटाकर जैसे ही चैन की नींद लेते हैं कि अचानक से बलखाती इठलाती राखी सपने में आ जाती है । इठलाती हुई आइटम गर्ल राखी को सपने में देखकर यथार्थ और ख्बाब का जबरदस्त संघर्ष होता है । आखिरकार यथार्थ पर ख्बाव बारी पड़ता है और भाई साहब राखी के ख्बाबों में डूब जाते हैं । लेकिन फिर वही दुष्ट मित्र सपने में आता है और सवाल कर डालता है कि खबरिया चैनलों में राखी को इतनी तवज्जो क्यों दी जाती है । ख्बाब में खलल से परेशान भाई साहब की चिंता इतनी बढ जाती है कि बौद्धिक स्खलन होते होते बचता है और नींद खुल जाती है । जैसे ही नींद खुलती है तो अपने खाकी निकर में बाथरूम की ओर भागते हैं , दोपहर की एडिट मीटिंग में जाने की तैयारी करनी जो करनी थी। लेकिन जब घर से निकलते हैं तो यथार्थ का लाल चोला पहनकर दफ्तर जाने के लिए निकलते हैं, क्योंकि भाइयो चाहे जो भी हो अगर आपके विचार लाल नहीं तो आप बौद्धिक नहीं ।
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