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Friday, February 20, 2009

यही तो सच्चा प्यार है......ऋचा अनिरुद्ध

वो चल फिर नहीं सकती, न जाने कितनी बीमारियां हैं उसको। जिंदगी भी बस कुछ ही दिनों की होगी उसके पास, अगर जल्द ही कोई चमत्कार न हुआ तो। लेकिन उसके पास एक ऐसी चीज है जिसके लिए शायद हर कोई सारी उम्र तरसता है। उसके पास सच्चा प्यार है। मैं बात कर रही हूं निवेदिता और उसके पति पंकज की।
जब पंकज ने निवेदिता को पहली बार देखा था तभी उससे प्यार कर बैठा था। निवेदिता उस वक्त भी ठीक से चल नहीं पाती थी। उसका अपना परिवार तक उसका साथ छोड़ चुका था। पर पंकज ताउम्र उसके साथ बिताना चाहता था.....लेकिन क्यों? इसका जवाब पंकज के पास भी नहीं है। बस इतना सच है कि निवेदिता के साथ जीने के लिए पंकज ने अपने परिवार तक से रिश्ता तोड़ लिया।
लेकिन कुदरत ने उन दोनों प्रेमियों पर जुल्म कम नहीं किए या यूं कहिए कि पंकज को प्यार के इम्तिहान अब तक देने पड़ रहे हैं। निवेदिता की तबियत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। हालात दिन-ब-दिन मुश्किल होते जा रहे हैं। आर्थिक स्थिति भी कमजोर होती जा रही है। लेकिन पंकज की हिम्मत का क्या कहूं....उसकी एक बात ने दिल छू लिया। उसने बोला कि हीर रांझा अपने प्यार के लिए मर गए, हम जीना चाहते हैं।
पंकज निवेदिता का जिंदगी लाइव वैंलेंटाइन डे स्पेशल में आना अपने आप में एक चमत्कार है। शो 8 फरवरी को शूट होना था। सारी तैयारियां पूरी थीं कि अचानक 6 की शाम एक मेहमान ने आने से मना कर दिया। शो प्रॉड्यूसर नीतू बुद्धिराजा रो पड़ी। समझ नहीं आ रहा था क्या करें। मैंने एक बार फिर वो कहानियां खोलीं जो दर्शकों ने हमें IBNkhabar.com पर भेजी थीं। अचानक नजर निवेदिता के मेल पर पड़ी। सरसरी नजर से मैंने उसे देखा लेकिन उसने अपना फोन नंबर नहीं भेजा था।
मुझे 7 फरवरी को एक और एपिसोड शूट करना था, उसकी तैयारी करनी थी तो अपनी सहयोगी फरहीन से कहा कि निवेदिता को मेल लिखकर फौरन नंबर मांगे। सिर्फ 24 घंटे का वक्त था हमारे पास, पर न जाने क्यों मेरा दिल कह रहा था कि निवेदिता जरूर मिलेगी। 7 को शूट के बीच में फरहीन आई और बोली निवेदिता मिल गई। बस फिर जो हुआ वो मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी। नीतू बुद्धिराजा उनसे मिलने गई। 7 फरवरी 3 बजे रात तक उसने उन दोनों की कहानी लिखी और 8 फरवरी की सुबह निवेदिता और पंकज जिंदगी लाइव के स्टूडियो में थे।
आज मेरे दिल में बस एक ही दुआ है, जो चमत्कार निवेदिता और पंकज को जिंदगी लाइव में लाया ऐसा ही एक चमत्कार निवेदिता की जिंदगी बचा ले। उसे नई जिंदगी दे दे। उसे इलाज के लिए अमेरिका जाने की जरूरत है लेकिन साधन नहीं है उनके पास। काश! कहीं से उनको मदद मिल जाए। काश! इस प्यार की जीत हो। आज तक प्यार की बड़ी-बड़ी बातें करने वालों को सुना था मैंने....लेकिन पंकज चुप रहकर बता गया मुझे कि सच्चा प्यार क्या होता है। वो मुझे सिखा गया कि यही होता है प्यार....।
अगर हो सके तो...
जिंदगी लाइव टीम के लिए सबसे सुकून के लम्हे वही होते हैं जब लोग हमें लिखते हैं या कॉल करते हैं कि हमारे शो से उनकी जिंदगी में, उनकी सोच में बदलाव आए। इस बार हमने आपको वैलेन्टाइन्स डे स्पेशल में पंकज और निवेदिता की प्रेम कहानी दिखाई। हमारे पास ढेरों फ़ोन कॉल आए। लोग निवेदिता के लिए सलामती की दुआएं कर रहे हैं। लेकिन उसके इलाज में लाखों का ख़र्च है। टीम ज़िंदगी लाइव की आप सभी से अपील है कि निवेदिता की मदद करें। आप हमें zindagilive@network18online.com या 09999024924 पर संपर्क कर सकते हैं।

Saturday, February 7, 2009

महानायक का खंडित व्यक्तित्व

अमिताभ बच्चन- सदी का महानायक,भारतीय फिल्म जगत का सबसे बड़ा नाम, विश्व मंच पर भारतीय फिल्म उद्योग का सबसे विश्वसनीय चेहरा. पैंसठ साल से ज्यादा की उम्र में भी भारतीय फिल्म निर्माताओं का सबसे भरोसेमंद और चहेता अभिनेता । बिग बी के नाम से मशहूर अमिताभ बच्चन की प्रशंसा की ये सूची और भी लंबी हो सकती है । लेकिन अगर सदी के इस महानायक के पूरे व्यक्तित्व पर विचार करें तो ये खंडित और विवादित नजर आता है । लार्जर दैन लाइफ की छवि वाले सदी के इस महानायक के मन में भी बिल्कुल ही एक आम आदमी की तरह ही हर तरह की चाहतें हिलोरे लेती है और अपनी इन चाहतों के लिए वो तमाम तरह के दंद-फंद भी करते हैं । फिल्म जगत का ये सबसे विश्वसनीय चेहरा और करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करनेवाला ये महानायक जब मुलायम सरकार की प्रशंसा वाले विज्ञापन में ये कहता था कि - यूपी में दम है क्योंकि जुर्म यहां कम है - तो उनकी विश्वसनीयता पर एक बडा़ सवालिया निशान लग जाता था । बिग बी को ये विज्ञापन करने की क्या मजबूरी थी ये राज आजतक नहीं खुल पाया है, हां मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये पता चला कि अमिताभ को इस विज्ञापन के एवज में कोई भुगतान नहीं किया गया । अमिताभ बच्चन जब भी जहां भी मौका मिलता है ये कहने से नहीं चूकते कि उन्होंने राजनीति से पूरी तरह तौबा कर ली है और अब आगे राजनीति में जाने का उनका कोई इरादा नहीं है । लेकिन यूपी के हालिया विधानसभा चुनावों के दौरान प्रत्यक्ष तो नहीं लेकिन परोक्ष रूप से राजनीति में आए ही, समाजवादी पार्टी के लिए परोक्ष रूप से विज्ञापन के जरिए वोट जुटाने की कोशिश की ही गई । मित्रता निभाने के लिए ही सही ।
अंग्रेजी में एक कहावत है - ए मैन इज नोन बाय द कंपनी ही कीप्स । इस लिहाज से हम अमिताभ बच्चन की मित्रमंडली पर जरा गौर फरमा लें - छोटे भाई अमर सिंह, पितातुल्य मुलायम सिंह यादव, सहारा के कर्ता-धर्ता सुब्रत राय और अनिल अंबानी । अगर अनिल अंबानी को छोड़ दिया जाए तो बाकी की ख्याति क्या है ये बताने की जरूरत नहीं है । भारत की जनता जब अपने महानायक अमिताभ बच्चन को मुलायम के आगे झुकता देखती है तो उसे पचा नहीं पाती । फिल्मों में क्रांतिकारी तेवरों वाले अपने नायक को राजनेताओं की प्रशस्ति गाते सुनना भारतीय जनमानस को भाता नहीं है । यहां ये तर्क दिया जा सकता है कि रील और रीयल लाइफ में फर्क होता है । चलिए अगर इस बात को मान भी लिया जाए तो अमिताभ जैसे सदी के महानायक,जो करोडों भारतीयों के आदर्श हैं, को लोग रियल लाइफ में एकदम विपरीत भूमिका में देखना पसंद नहीं कर पाते ।
अमिताभ बच्चन भारतीय फिल्म जगत के अबतक के सबसे बड़े स्टार माने जा सकते हैं । लगभग चार दशकों से बॉलीवुड पर एकछत्र राज कर रहे हैं । उम्र के इस पड़ाव पर आकर भी जिस तरह की चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं वो सफलतापूर्वक निभा रहे हैं उसको तो सिर्फ सलाम ही किया जा सकता है । अपनी भूमिकाओं को लेकर बच्चन ने लगातार जितने प्रयोग किए हैं वो भी काबिले-तारीफ है । बच्चन की अदाकारी का रेंज इतना व्यापक है कि अब भी बॉलीवुड का कोई कलाकार रेंज के मुकाबले में उनके सामने नहीं टिक सकता है । चाहे वो ब्लैक फिल्म में अंधी लड़की रानी मुखर्जी के टीचर की भूमिका हो या फिल्म नि:शब्द में किशोरी पर फिदा एक बूढे का अभिनय हो या फिल्म चीनी कम में पैंसठ साल के प्रौढ का अपने से आधी उम्र की लड़की से प्यार करने की भूमिका हो , सबमें अमिताभ ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया । फिल्म झूम बराबर झूम में मस्ती का जो अंदाज अमिताभ की आंखों से झलकता है उसे देखना और महसूस करना काफी आनंददायक है ।
लेकिन अगर अभिनेता अमिताभ बच्चन के व्यक्तित्व पर समग्रता में विचार करें तो हर तरह के विवाद में अमिताभ रहे हैं । कुछ दिनों पहले इंकम टैक्स विभाग के नोटिस की वजह से अमिताभ सुर्खियों में रहे । इसके बाद एक विदेशी कार के टैक्स की किचकिच में भी बिग बी फंसे । पहले खबर आई कि भाई अमर सिंह ने भतीजे अभिषेक को जन्मदिन का तोहफा दिया है लेकिन जब कार के टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क को लेकर बवाल मचा तो अमर सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने उपयोग के लिए ये गाड़ी मुंबई में रखी है । कुछ दिनों पहले बाराबंकी में फर्जीवाड़े से जमीन अपने नाम कराने का मामला इलाहाबाद हाइकोर्ट के लखनऊ बेंच तक पहुंचा । आरोप ये लगा कि मुलायम सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में ग्रामसभा की जमीन बच्चन ने अपने नाम करवा ली । और इसके आधार पर पुणे में पावना डैम के पास खेती योग्य पांच एकड़ जमीन खरीदी । उस इलाके में ये नियम है कि कोई भी व्यक्ति जो किसान है वही वहां जमीन खरीद सकता है । इस मामले पर जब जमकर विवाद हुआ तो सदी के महानायक ने दरियादिली दिखाते हुए दोनों जमीनें दान करने का ऐलान कर दिया । अमिताभ से जुडा़ ही दूसरा मामला बंबई हाइकोर्ट में है – ये मामला है फेमा यानि विदेशी मुद्रा के गड़बड़झाले से जुडा़ । जिसपर भी नोटिस जारी किया जा चुका है ।
तो अगर हम महानायक के गढे हुए व्यक्तित्व और असली व्यक्तित्व को एक साथ समग्रता में देखें तो हमें महानायक की छवि में कई चेहरे नजर आते हैं । रील लाइफ का कद्दावर महानायक रियल लाइफ में बिल्कुल ही साधारण और आम आदमी की तरह हर तरह के दंद-फंद में व्यस्त ।