Translate

Saturday, February 18, 2017

मिथकीय लेखक का जाना

हिंदी में इस बात की चर्चा लगभग नहीं के बराबर होती है और एक खास किस्म के लेखक को लुगदी साहित्य लेखक कहकर दरकिनार कर दिया जाता है । ऐसे ही एक लेखक थे वेदप्रकाश शर्मा । लगभग पौने दो सौ उपन्यास लिखनेवाले वेदप्रकाश शर्मा का शुक्रवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया । कम ही लोगों को यह बात मालूम होगी कि वेद प्रकाश शर्मा के मशहूर उपन्यास वर्दी वाला गुंडा की करीब आठ करोड़ प्रतिया बिकी थीं । राजीव गांधी की हत्या पर जब यह उपन्यास लिखा गया था तब शुरुआत में ही इसकी पंद्रह लाख प्रतियां छापी गई थीं । हिंदी के पाठकों में इस उपन्यास को लेकर दीवानगी थी । उन्नीस सौ तेरानवे में छपे इस उपन्यास के लिए कई शहरों में पोस्टर और होर्डिंग लगे थे । मेरे जानते किसी राजनीतिक शख्सियत की हत्या पर लिखा गया हिंदी का यह इकलौता उपन्यास है । वेद प्रकाश शर्मा के कई उपन्यासों पर फिल्में बनी जिनमें वर्दी वाला गुंडा, सबसे बड़ा खिलाड़ी और इंटरनेशनल खिलाड़ी प्रमुख हैं । उन्नीस सौ पचासी में उनके उपन्यास बहू मांगे इंसाफ पर शशिलाल नायर के निर्देशन में बहू की आवाज के नाम से भी फिल्म बनी थी । वेद प्रकाश शर्मा हर साल दो तीन उपन्यास लिखते थे और हर उपन्यास की डेढ लाख प्रतियां छपती थीं । जब उनका सौवां उपन्यास कैदी नंबर 100 छप रहा था तो प्रकाशकों ने एलान किया था कि इसकी ढाई लाख प्रतियां छापी जा रही हैं ।

वेद प्रकाश शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक गांव में हुआ था और हाईस्कूल में उन्होंने पहली कहानी लिखी और उनका पहला उपन्यास भी हाई स्कूल में ही पढ़ते वक्त छपा था जिसका नाम था- सीक्रेट फाइल लेकिन यह उपन्यास वेदप्रकाश कांबोज के नाम से छपा था । वेद प्रकाश शर्मा की खासियत थी उनके उपन्यासों के शीर्षक । इस वक्त टेलीविजन चैनलों पर अपराध से लेकर राजनीतिक खबरों में जिस तरह की भाषा और एंकर के पीछे वॉल पर शीर्षक लिखे जाते हैं वो वेदप्रकाश शर्मा की भाषा से बहुत प्रभावित हैं जैसे- लुटेरी दुल्हन, बीबी का नशा, बहू मांगे इंसाफ, साजन की साजिश जैसे उनके उपन्यासों मे टीवी के स्क्रिप्ट राइटर को प्रभावित किया । यह अनायास नहीं है कि जब आमिर खान अपनी फिल्म तलाश का प्रमोशन करने निकलते हैं तो वो सबसे पहले मेरठ जाकर वेद प्रकाश शर्मा से मुलाकात करते हैं । यह अनायास नहीं है कि वेद प्रकाश शर्मा के उपन्यासों का उनके पाठकों को इंतजार रहता था । अब वेद प्रकाश शर्मा की परंपरा उनके बेटे शगुन निभा रहे हैं जिनके उपन्यास भी पाठकों के बीच खूब लोकप्रिय हो रहे हैं । 

No comments: