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Saturday, February 18, 2017

खुल्लम-खुल्ला से खुलते राज

हाल के दिनों में अपने चंद ट्वीट्स को लेकर खासे चर्चा में आए ऋषि कपूर की आत्मकथा जब बाजार में आई तो उसके नाम को लेकर भी लेकर एक उत्सकुकता का वातावरण बना । पत्रकार मीना अय्यर के साथ मिलकर उन्होंने अपनी जिंदगी के कई पन्नों को खोला । अपने पिता और खुद की प्रेमिकाओं के बारे में खुल कर लिखा है । यह किताब शास्त्रीय आत्मकथा से थोड़ा हटकर है क्योंकि इसमें हर वाकए पर ऋषि कपूर कमेंटेटर की तरह अपनी राय भी देते चलते हैं । ऋषि कपूर  ने साफ लिखा है कि जब उनके पापा का नरगिस जी से अफेयर चल रहा था तब घर में सबको मालूम था लेकिन उसकी मां कृष्णा ने बहुत विरोध आदि नहीं किया या इस विवाहेत्तर संबंध को लेकर घर में लड़ाई झगड़ा नहीं हुआ । जब राज कपूर का वैजयंतीमाला से प्रेम संबंध बना तो कृष्णा अपने बच्चों के साथ राज कपूर का घर छोड़कर होटल में रहने चली गई थीं और बाद में अलग घर में । राज कपूर ने तमाम कोशिशें की लेकिन कृष्णा घर तभी लौटीं जब राज और वैजयंती के बीच ब्रेकअप हो गया । इस पूरे प्रसंग को बताते हिए ऋषि इस बात पर हैरानी भी जताते हैं कि वैजयंती माला ने चंद साल पहले एक इंटरव्यू में अरने प्रेम संबंध से इंकार कर दिया था और कहा था कि राज कपूर ने पब्लिसिटी के लिए ये कहानी गढ़ी थी । ऋषि साफ तौर पर कहते हैं कि वैजयंतीमाला को तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश नहीं करना चाहिए वो भी तब जब राज कपूर अपने बचाव के लिए नहीं हैं ।
इसी तरह से ऋषि ने अपनी गर्लफ्रेंड यास्मीन से अपने संबधों के बारे में बताया है । ऋषि ने माना है कि एक फिल्म पत्रिका में उनके और डिंपल के बीच रोमांस की खबरों ने यास्मीन को उनसे अलग कर दिया । यास्मीन के गम में वो कई दिनों तक डूबे रहे थे और एक दिन होटल में यास्मीन को देखकर शराब के नशे में हंगामा किया था । जबकि उन्होंने साफ तौर पर माना है कि डिंपल से उनको कभी प्यार हुआ ही नहीं था । हलांकि कई सालों के बाद उन्होंने डिंपल के साथ फिर से सागर फिल्म में काम किया था तो उस दौर में नीतू सिंह भी दोनों के बीच के रिश्ते को लेकर सशंकित हो गई थी ।
ऐसा नहीं है कि इस किताब में सिर्फ प्यार मोहब्बत के किस्से ही हैं । इस में ऋषि कपूर ने अपनी असफलता के दौर पर भी लिखा है और माना है कि उस दौर में वो अपनी असफलता के लिए नीतू सिंह को जिम्मेदार मानने लगे थे इस वजह से पति-पत्नी के रिश्तों में तनाव आ गया था । लेकिन इस किताब का सबसे मार्मिक प्रसंग है जब राज कपूर अपने अंतिम दिनों में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती थे तो दिलीप कुमार उनसे मिलने आए थे । अस्पताल में बेसुध पड़े राज कपूर के हाथ को पकड़कर दिलीप कुमार ने कहा था- राज, अब उठ जा । तू हमेशा से हर सीन में छाते रहे हो, इस वक्त भी सारे हेडलाइंस तेरे पर ही है । राज आंखे खोल, मैं अभी पेशावर से आया हूं और वहां से कबाब लेकर आया हूं जो हमलोग बचपन में खाया करते थे । दिलीप कुमार बीस मिनट तक ऐसी बातें करते रहे थे । ऋषि ने बताया कि दोनों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा रहती थी लेकिन दोनों बेहतरीन दोस्त थे । खुल्लम-खुल्ला में ऋषि ने सचमुच दिल खोल दिया है ।

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