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Friday, October 1, 2021

समाज को बांटनेवाले के नाम सड़क


अंग्रेजों की नीति थी बांटो और राज करो। यह नीति राज करने तक सीमित नहीं रही। अंग्रेजों ने भारतीय समाज को बांटने की बेहद गहरी चाल चली थी जिसकी परिणति देश के विभाजन में हुई। जब 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति हुई थी तब से अंग्रेज इस जुगत में लग गए थे कि किस तरह से भारतीय समाज को बांट दिया जाए। इसके लिए उन्होंने दूरगामी नीतियां बनानी आरंभ की थी। सबसे पहले उन्होंने भारतीयों को शासन में सीमित भागीदारी देने के लिए 1861 में इंडियन काउंसिल एक्ट लागू बनाया। इसके करीब तीन दशक बाद अधिक सुधार की घोषणा करते हुए 1892 में दूसरा इंडियन काउंसिल एक्ट बनाया गया। शासन में भारतीयों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की बात करते हुए इस एक्ट में और सुधार का दावा करनेवाला 1909 का इंडियन काउंसिल एक्ट बना। इस एक्ट में प्रमुख भूमिका निभाई थी उस वक्त के भारतीय मामलों के मंत्री (सेक्रेट्री आफ स्टेट फार इंडिया ) लार्ड मार्ले और तत्कालीन वायसराय लार्ड मिंटो। इसको मार्ले-मिंटो सुधार 1909 के नाम से भी जाना जाता है। इस सुधार ने ही हमारे देश में सांप्रदायिकता का बीज बोया था। इसमें पहली बार मुसलमानों को अलग प्रतिनिधित्व या अलग चुनाव क्षेत्र की बात की गई थी।  

इन कानूनों के बाद अंग्रेज एक और कानून लेकर आए थे जो मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट पर आधारित थी। इसको शासन में जनभागीदारी बढ़ानेवाला सुधार बताया गया था। लेकिन इसकी मंशा कुछ और थी। इसको उस वक्त के भारतीय मामलों के मंत्री ई एस मांटेग्यू और तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड चेम्सफोर्ड ने तैयार किया था। इन सुधारों को गवनर्नमेंट आफ इंडिया एक्ट 1919 के जरिए पेश किया गया था। इस कानून के अंतर्गत प्रांतों को कई अधिकार देने की बात की गई थी लेकिन साथ ही  मुसलमानों के अलग प्रतिनिधित्व के प्रयासों को और मजबूती दी। इस इतिहास को इस वजह से बताया जा रहा है ताकि ये याद दिलाया जा सके कि हमारे देश के बंटवारे के बीज बोनेवाले और उसको फलने-फूलने की जमीन तैयार करनेवाले कौन थे। 1919 में जिसने इस देश में सांप्रदायिकता को मजबूती दी उसके नाम से आज नई दिल्ली में एक सड़क है चेम्सफोर्ड रोड। ये रोड कनाट प्लेस को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से जोड़ता है। इतना ही नहीं जब जलियांवाला बाग में जनरल डायर ने कहर बरपाया था उस वक्त चेम्सफोर्ड ही भारत के गवर्नर जनरल थे। चेम्सफोर्ड ने आरंभ में डायर को बचाने की कोशिश की थी। ऐसे व्यक्ति के नाम से नई दिल्ली इलाके में सड़क क्यो है? 


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