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Monday, October 13, 2025

आत्मविश्वास से खींची बड़ी रेखा


तेलुगू फिल्मों से बाल कलाकार के तौर पर अपने करियर का आरंभ करने वाली रेखा के पिता जेमिनी गणेशन और मां पुष्पावल्ली भी बेहतरीन कलाकार थे। रेखा जब हिंदी फिल्मों में आई थीं तो उनकी काया व सांवले रंग को लेकर नकारात्मक टिप्पणियां की गई थीं। उनके ड्रेसिंग सेंस और मेकअप का भी मजाक उड़ाया जाता था। यही नहीं उनकी अभिनय क्षमता पर भी प्रश्न चिन्ह लगाए जाते थे। यहां तक कहा गया कि वो एक ऐसी हीरोइन हैं जिनको फिल्मों में गुड़िया की तरह रखा जाता है, जिससे अभिनय की अपेक्षा नहीं की जाती है। ये बातें प्रोड्यूसर्स, निर्देशक और उस समय के फिल्म पत्रकारों ने इतनी बार कहीं कि रेखा का स्वयं पर से विश्वास डिग गया। वो बार-बार ये सोचतीं कि हिंदी फिल्मों की दुनिया में उनका गुजारा नहीं, क्योंकि उनकी तुलना उस दौर की सुंदर अभिनेत्रियों से की जाती थी। बहुधा हेमा मालिनी से। उनकी एक और छवि गढ़ी गई थी कि वो बहुत बिंदास हैं और सेट पर बोलती ही रहती हैं। उस दौर में एक फिल्म पत्रिका ने तो यहां तक लिख दिया था कि रेखा चूंकि गंभीर नहीं हैं इस कारण उनको कोई गंभीरता से नहीं लेता।

ऐसे माहौल में रेखा ने स्वयं को बदलने का तय किया। वो योग की शरण में गईं और उन्होंने वजन काफी कम कर लिया। अपनी साज-सज्जा पर ध्यान दिया। ये 1977 के आसपास की बात थी। अब वो फिल्मों के चयन में भी सावधान हो गईं। वैसी ही फिल्मों का चयन करने लगीं जिनमें उनको अभिनय प्रतिभा दिखाने का अवसर मिले। 1978 में उनकी फिल्म आई घर। इसमें रेखा ने रेप विक्टिम का रोल किया था। इसमें जिस प्रकार से पीड़िता का अभिनय किया उसने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया। फिर आई मुकद्दर का सिकंदर। इसके बाद तो रेखा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इस फिल्म में रेखा ने तवायफ के रोल में अभिनय की जो छाप छोड़ी वो दर्शकों के मानस में बैठ गई। फिर आई मि. नटवरलाल और सुहाग। अमिताभ बच्चन के साथ रेखा की जोड़ी सफलता की गारंटी बन गई। यही वो दौर था रेखा और अमिताभ बच्चन के कथित प्रेम की कहानी भी सुनाई दे रही थी। इन दोनों के आन स्क्रीन और आफ स्क्रीन केमिस्ट्री की बातें होती थीं। 1980 में हृषिकेश मुखर्जी की फिल्म आई खूबसूरत। ये एक कामेडी फिल्म थी जिसमें पूरी फिल्म रेखा के कंधों पर चलती है। इसमें जिस तरह से रेखा ने चुलबुली लड़की का अभिनय किया वो यादगार बन गया। इस फिल्म के बाद ये मान लिया गया कि रेखा अपने दम पर भी फिल्म को सफल बना सकती हैं।
फिर तो एक से एक फिल्मों में रेखा ने अभिनय का लोहा मनवाया। चाहे वो उमराव जान हो या फिर उत्सव। श्याम बेनेगल की फिल्म कलयुग में द्रौपदी के रोल में रेखा ने जबरदस्त अभिनय किया। एक ऐसी लड़की जो दक्षिण भारत से आई थी, अपने उच्चारण से लेकर पहनावे तक का उपहास जिसने झेला था, आज भी उनके स्टाइल की बात होती है।
(10 अक्तूबर को प्रकाशित)

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