
गीता
वेश्या और उसके समाज का चित्रण हिंदी साहित्य में ही नहीं, हर भाषा और देश के साहित्य में जरूरत से ज्यादा हुआ है । अधिकतर पुरुषों द्वारा, कुछ हद तक स्त्रियों द्वारा भी । पर इन वेस्याओं का चित्रण बहुआयामी जटिल इंसान के रूप में जरा कम ही हुआ है । लेकिन गीताश्री ने अपने लेख-अंधेरी गली के रोशन मकान- में कोलकाता की रेडलाइट एरिया की यौनकर्मियों की स्थिति और उनके संघर्ष को जिस तरह से उभारा है वो किसी को भी सोचने पर विवश कर देता है । सोनागाछी की यौनकर्मियां किस तरह से सरकार से मनोरंजनकर्मी का दर्जा देने को लेकर जूझ रही है और मनोरंजन कर देने के लिए सीना ठोक कर तैयार है वो एक नए बहस को जन्म देने के लिए काफी है । गीताश्री पत्रकार तो हैं ही साहित्य जगत में भी उनकी आवाजाही नियमित रही है । दिल्ली में बुजुर्ग साहित्यकार और संपादक किस तरह से भी किसी भी युवा लेखिका को हाथों-हाथ लेते हैं और उसको महान रचनाकार साबित करने पर तुल जाते हैं लेकिन उनकी मानसिकता क्या होती है इसको गीता ने अपने लेख – उठो कवियो, नी कवयित्री आई है – में बेनकाब किया है । एक और जो लेख इस किताब में अहम है वो है – लेस्बियन लोक की मानसिकता । अपने इस लेख में लेखिका ने स्त्रियों की समलैंगिकता को कोमलता से जोडा़ है । प्रचीन भारतीय समाज में लेस्बियनिज्म को ढूंढती लेखिका कामसूत्र तक पहुंच जाती है और गणिकाओं के बहाने से उस वक्त के सामज में समलैंगिकता को सामने लाती हैं । साथ ही विश्व साहित्य में सीमोन, अरस्तू के विचारों के आधार पर लेस्बियनिज्म को एक मानवीय चश्मे से देखने का प्रयास किया गया है । गीताश्री के विचारों से सहमति आवश्यक नहीं है लेकिन बहस का एक आधार और इल विषय पर नए सिरे से विमर्श की चुनौती तो देती ही है ।
कुल मिलाकर अगर स्त्री आकांक्षा के इस नए मानचित्र पर विचार करते हैं तो उपरी तौर पर पाते हैं कि इस मानचित्र में कई खांचे बेहद साधारण और सामान्य लगते हैं लेकिन गहराई से विचार करने पर ये बेहद गंभीर और विचारोत्तेजक हैं । गीताश्री अपने लेखों में कई अहम विषयों को सरसरी तौर पर छूकर निकल गई है जो कि गंभीर विश्लेषण और लेखिका के विचारों की मांग करते हैं लेकिन लेखिका की पहली किताब होने की वजह से इसको नजरअंदाज किया जा सकता है, लेकिन इस किताब ने स्त्री आकांक्षा के नए बनने वाले चित्र का खाका तो खींच ही दिया है ।
-------------------------------------------------------------------------------
समीक्ष्य पुस्तक- स्त्री आकांक्षा के मानचित्र
लेखिका- गीताश्री
प्रकाशक- सामयिक प्रकाशन, दिल्ली
मूल्य- 200 रुपये
No comments:
Post a Comment