ऐसा बहुत कम होता है कि किसी अन्य भाषा की फिल्म
को लेकर दूसरी भाषा के लोग उद्वेलित हों। इन दिनों तेलुगू में बनी एक फिल्म को
लेकर हिंदी भाषा के दर्शकों का एक बड़ा वर्ग क्षुब्ध नजर आ रहा है। दरअसल तेलुगू
में एक फिल्म आई है जिसका नाम है ‘कृष्णा एंड हिज लीला’ और ये फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई। इस फिल्म
के रिलीज होने के बाद इसके नाम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। ट्विटर पर लोगों का
गुस्सा जमकर निकल रहा है और वो नेटफ्लिक्स पर पाबंदी लगाने की मांग कर रहे हैं। दरअसल
अंग्रेजी सबटाइटल के साथ रिलीज हुई इस फिल्म में नायक का नाम कृष्णा है और उसकी एक
गर्लफ्रेंड का नाम राधा और एक का सत्या है। रुक्मिणी से प्रेरित होकर एक पात्र का
नाम रुखसार रख दिया गया है। इस फिल्म के आरंभ और अंत में ये बताया जाता है कि ये सत्य
अफवाह पर आधारित है। दरअसल इसमें कहीं भी कृष्ण की कहानी नहीं है बस नाम रखकर
विवादित करने की कोशिश दिखाई देती है। ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म पर दिखाए जाने
वाले कंटेंट की तुलना में ये फिल्म साफ सुथरी है। लेकिन नाम से विवादित करके
दर्शकों को अपनी ओर खींचने का प्रयास है।
पौराणिक नामों को रखकर विवाद खड़ा करके प्रचार
हासिल करने की कोशिशें पहले भी की जाती रही हैं पर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के होने से स्थिति अराजक नहीं हो पाती थीं। 2017 में गोवा में आयोजित अंतराष्ट्रीय
फिल्म फेस्टिवल के इंडियन पैनोरमा में एस दुर्गा फिल्म को अनुमति नहीं देने पर
विवाद हुआ था। मामला कोर्ट कचहरी तक गया था। इस फिल्म का नाम पहले कुछ और था लेकिन
बाद में इसको एस दुर्गा किया गया था। इस बीच कई जगह इस फिल्म के पोस्टर पर थ्री
एक्स दुर्गा भी लिखा गया था। भारतीय समाज में बेहद समादृत पौराणिक चरित्रों और
देवी देवताओं के नाम के साथ इस तरह के शब्दों को जोड़कर विवाद खड़ा करने की
कोशिशें ‘वाटर’ फिल्म में दीपा
मेहता ने भी की थी। इसी तरह से कुछ समय पहले नेटफ्लिक्स पर ‘लैला’ नाम की एक वेब
सीरीज में इस तरह का प्रयास किया गया था। ओटीटी को लेकर कोई नियमन ने होने की वजह
से जो फिल्में यहां रिलीज होती हैं वो मनमानी कर सकती हैं। अगर नियमन होता को
कृष्णा एंड हिज लीला जैसे नामों पर प्रमाणन के पहले विचार तो होता ही।
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