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Sunday, October 13, 2024

देविका रानी के सामने कांपे थे अशोक


सुबह के साढे नौ बजे थे। बांबे टाकीज की एक फिल्म की शूटिंग शुरु होनेवाली थी। बांबे टाकीज के कर्ता-धर्ता हिमांशु राय ने अपनी नई फिल्म में एक नए लड़के को नायक के तौर पर लेने का निर्णय किया था। फिल्म का नाम था जीवन नैया और युवक थे अशोक कुमार। सुबह सुबह जब अशोक शूटिंग के लिए फिल्म के सेट पर पहुंचे तो उनको देखकर हिमांशु राय चौंके। अशोक कुमार ने बेतरतीब तरीके से अपने बाल कटवा लिए थे। हिमांशु राय ने उनसे पूछा कि ये क्या है अशोक? हकलाते हुए अशोक कुछ बोलते इसके पहले ही हिमांशु राय ने हेयर ड्रेसर को बुलाकर कहा कि इनके बाल ठीक करो। विग लगाओ। अशोक ने हिमांशु राय की ओर कातर भाव से देखा, सर कुछ कहना चाहता हूं। हिमांशु राय ने अपने अंदाज में कहा कि बोलो। अशोक ने हिमांशु राय का हाथ पकड़ा और उनको सेट के एक कोने में लेकर जाकर धीरे से बोले कि मैं आपके कहने पर फिल्म में काम तो कर लूंगा पर मुझे नायिका के आलिंगन के लिए मत कहिएगा। वो मुझसे हो नहीं हो पाएगा। क्यों? पूछा हिमांशु राय ने। अशोक चुप रहे तो हिमांशु ने आश्वस्त किया कि ऐसा कोई दृष्य फिल्म में नहीं होगा। उसके बाद मेकअप आर्टिस्ट अशोक को लेकर चली गई। मेकअप और गेटअप ठीक होकर जब अशोक सेट पर पहुंचे तो उनके होश उड़ गए। सामने देविका रानी थीं जिनके साथ उनको पहला ही शाट देना था।

अशोक को निर्देशक ने सीन समझाया। अशोक नर्वस हो रहे थे। हिमांशु राय उनके पास पहुंचे उनके कंधे पर हाथ रखकर बोले कि ये बहुत ही सामान्य बात है कि एक लड़का अपनी प्रेमिका के लिए सोने का हार लाता है और फिर उसके गले में डालता है। तुमको इतना ही करना है। अशोक कुमार हाथ में सोने की चेन लेकर देविका रानी के पास पहुंचते हैं। नायिका के करीब पहुंचते ही वो नर्वस हो जाते हैं और दौड़कर बाथरूम की ओर भाग जाते हैं। थोड़ी देर बाद वापस आते हैं। दृश्यांकन आरेभ होता है। अशोक कांपते हाथों से देविका रानी के गले में हार डालने का प्रयास करते हैं। हार उनकी बालों में उलझ जाता है। फिर से प्रयास करने को कहा जाता है। इस बार निर्देशक शूटिंग नहीं रोकते हैं और अशोक कुमार को कहते हैं कि वो गले में हार डालें। अशोक कुमार ने इतनी जोर से हार पहनाने का प्रयास किया कि देविका रानी के बाल ही खुल गए और फिर निर्देशक ने सर पीट लिया। दरअसल अशोक कुमार दो बातों से बुरी तरह से घबरा रहे थे। एक तो उनके बास की पत्नी नायिका थी, दूसरे उनकी मां ने कह रखा था कि फिल्मों में काम करने जा तो रहे हो लेकिन लड़कियों से दूर ही रहना। आखिरकार ये सीन बाद में शूट करने का निर्णय हुआ। दूसरा सीन कुछ यूं था कि फिल्म का खलनायक अभिनेत्री को छेड़ने की कोशिश करेगा। अशोक कुमार को उसको धक्का देकर गिराना था। निर्देशक ने उनको सीन समझाया। कहा कि वो दस गिनेंगे और जैसे ही दस पूरा होगा धक्का देना था। शाट आरंभ हुआ। निर्देशक ने गिनती आरंभ की। घबराए अशोक कुमार ने दस पूरा होने की प्रतीक्षा नहीं की और खलनायक को धक्का दे दिया। धक्का इतनी जोर का था कि देविका रानी और खलनायक दोनों धड़ाम से फर्श पर गिरे। खलनायक का पांव टूट गया। देविका रानी खिलखिलाते हुए उठ खड़ी हुईं। उस दिन शूटिंग रोकनी पड़ी। 

दरअल अशोक कुमार के जीवन की कहानी बहुत दिलचस्प है। उनका ननिहाल बिहार के भागलपुर में था। उनकी मां ने एक लड़की के साथ उनका रिश्ता तय किया था। लड़की के पिता को जब पता चला कि अशोक कुमार फिल्मों में काम करनेवाले हैं तो उन्होंने रिश्ता तोड़ दिया था। 1934 में अशोक कुमार ने हिमांशु राय की कंपनी बांबे टाकीज में नौकरी आरंभ की थी। हिमांशु राय ने उनको अभिनेता बना दिया। उधर उनकी मां को भी जब पता चला कि उनका बेटा फिल्मों में काम करनेवाला है तो उन्होंने नसीहत दी कि फिल्मी लड़कियों से दूर रहना। 

1938 तक अशोक कुमार की छह फिल्में आ चुकी थीं। फिल्म अछूत कन्या से उनको प्रसिद्धि भी मिल चुकी थी। उधर उनकी मां परेशान थी कि बेटा इतनी लड़कियों के बीच रहता है क्या पता क्या कर ले। वो अपने बेटे की शादी को लेकर चिंतित रहने लगी थी। 1938 के अप्रैल में मुंबई में अशोक कुमार को एक टेलीग्राम मिला जो उके पिता ने भेजा था। उसमें लिखा था जल्द से खंडवा आ जाओ अति आवश्यक है। उस समय अशोक कुमार फिल्म वचन की शूटिंग कर रहे थे। उन्होंने फौरन निर्देशक और निर्माता से बात की खंडवा रवाना हो गए। ट्रेन खंडवा पहुंची। अशोक कुमार ट्रेन से उतरने लगे तो देखा कि उनके पिताजी ट्रेन के अंदर आ रहे हैं। वो रुक गए। पिताजी ने आते ही कहा कि ट्रेन से उतरने की जरूरत नहीं है। हमें आगे कलकत्ता (अब कोलकाता) जाना है। उनको पिताजी से पूछने की हिम्मत नहीं हुई। पिताजी ने ही कहा कि लेडीज डब्बे में जाकर अपनी भाभी से मिल लो। वो भाभी से मिलने पहुंचे तो भाभी मुस्कुरा दीं। अशोक कुमार ने पूछा कि हम कोलकाता क्यों जा रहे हैं। भाभी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा कि देवर जी बनो मत, हम तुम्हारी शादी के लिए कलकत्ता जा रहे हैं। अशोक जोर से हंसे और अपने डब्बे में आ गए। कलकत्ता पहुंचे तो उनकी मां और अन्य रिश्तेदार पहले से वहां थे। नाटकीय घटनाक्रम में अशोक कुमार की शादी कर दी जाती है। उनके बहनोई शशधर मुखर्जी भी शादी में नहीं पहुंच पाते हैं। ये दिन था 14 अप्रैल 1938 और अशोक कुमार की पत्नी का नाम था शोभा। अशोक कुमार शादी के बाद वापस मुंबई (तब बांबे) लौटे। शादी के बाद अशोक कुमार की प्रसिद्धि और आय दोनों में बढ़ोतरी हुई। अशोक कुमार की मां निश्चिंत हो गईं कि बेटा फिल्मों में काम करके भी बिगड़ेगा नहीं।  


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