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Monday, December 25, 2017

आत्मकथाओं ने बटोरी सुर्खियां

इस वर्ष अंग्रेजी में कई ऐसी पुस्तकें प्रकाशित हुईं जिसने खासी चर्चा बटोरी। इनमें सिनेमा, राजनीति, पर्यावरण, खेल और समाज शास्त्र की पुस्तकें शामिल रहीं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा जिन किताबों की हुई उनमें फिल्मी कलाकारों की आत्मकथाएं या जीवनियां शामिल रहीं। इस बार हम चर्चा करेंगे उन चुनिंदा फिल्मी पुस्तकों की जो पूरे साल भर सुर्खियों में रहीं। सबसे ज्यादा चर्चा बटोरी फिल्मकार करण जौहर की संस्मरणात्मक शैली में लिखी किताब एन अनसूटेबल बॉय। करण जौहर के संस्मरणों की किताब एन अनसुटेबल बॉयमें उनके बचपन से लेकर अबतक की कहानी है, कहीं विस्तार से तो कहीं बेहद संक्षेप में । करण ने अपनी फिल्मों की तरह अपनी इस किताब में भी इमोशन का तड़का लगाया है । करण जौहर जब अपने बचपन आदि के बारे में बहुत विस्तार से लिखते हैं तो कई बार इस बात का अहसास होता है कि किताब के संपादन में थोड़ी निर्ममता की आवश्यकता थी । करण जौहर ने इस किताब में अपने सेक्सुअल प्रेफरेंस को लेकर भी खुलकर बातें की । शाहरुख खान से अपनी दोस्ती पर भी एक अध्याय लिखा । इस पुस्तक में उन्होनें काजोल से अपने संबंधों के टूटने की वजह भी बताई है । यहां जिस साफगोई से करन ने लिखा है उसकी तारीफ की जानी चाहिए, वर्ना आमतौर पर तो आत्मकथात्मक संस्मरणों में सच के आवरण में झूठ का पुलिंदा पेश किया जाता रहा है । दो सौ सोलह पृष्ठों की इस किताब की अगर संपादन के वक्त चूलें कस दी जातीं तो पाठकों के लिए और रोचक होती।
करण की किताब से पहले ऋषि कपूर की आत्मकथा खुल्लम खुल्ला प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक में भी कई ऐसे प्रसंग हैं जिसने सालभर सुर्खियां बटोरीं। पत्रकार मीना अय्यर के साथ मिलकर लिखी गई इस किताब में उन्होंने अपने पिता और खुद की प्रेमिकाओं के बारे में खुल कर लिखा है । इस किताब में सिर्फ प्यार मोहब्बत के किस्से ही नहीं हैं, इस में ऋषि कपूर ने अपनी असफलता के दौर पर भी लिखा है और माना है कि उस दौर में वो अपनी असफलता के लिए नीतू सिंह को जिम्मेदार मानने लगे थे इस वजह से पति-पत्नी के रिश्तों में तनाव आ गया था । लेकिन इस किताब का सबसे मार्मिक प्रसंग है जब राज कपूर अपने अंतिम दिनों में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती थे तो दिलीप कुमार उनसे मिलने आए थे । अस्पताल में बेसुध पड़े राज कपूर के हाथ को पकड़कर दिलीप कुमार ने कहा था- राज, अब उठ जा । तू हमेशा से हर सीन में छाते रहे हो, इस वक्त भी सारे हेडलाइंस तेरे पर ही है । राज आंखे खोल, मैं अभी पेशावर से आया हूं और वहां से कबाब लेकर आया हूं जो हमलोग बचपन में खाया करते थे । दिलीप कुमार बीस मिनट तक ऐसी बातें करते रहे थे । ऋषि ने बताया कि दोनों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा रहती थी लेकिन दोनों बेहतरीन दोस्त थे । यह किताब शास्त्रीय आत्मकथा से थोड़ा हटकर है क्योंकि इसमें हर वाकए पर ऋषि कपूर कमेंटेटर की तरह अपनी राय भी देते चलते हैं ।
एक और किताब जो चर्चा में रही वो थी आशा पारिख की आत्मकथा द हिट गर्ल। करीब ढाई सौ पन्नों की इस किताब को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया गया है। आशा पारिख की इस आत्मकथा के सहलेखक हैं मशहूर फिल्म समीक्षक खालिद मोहम्मद। इसकी भूमिका सुपरस्टार सलमान खान की है। किसी भी बॉलीवुड शख्सियत की जब जीवनी या आत्मकथा आती है तो पाठकों को यह उम्मीद रहती है कि उसमें जीवन और संघर्ष के अलावा उस दौर का मसालाभी होगा। आशा पारिख की इस किताब हिट गर्ल में मसाला की चाह रखनेवाले पाठकों को निराशा होगी क्योंकि आशा पारिख ने अपनी समकालीन नायिकाओं, नंदा और साधना आदि से अपनी प्रतिस्पर्धा के बारे में तो लिखा है लेकिन उस लेखन ये यह साबित होता है कि उस दौर में अभिनेत्रियों को बीच अपने काम को लेकर चाहे लाख मनमुटाव हो जाए लेकिन उनके बीच किसी तरह का मनभेद नहीं होता था। आशा पारिख ने अपनी इस किताब में माना है कि वो फिल्मकार नासिर हुसैन के प्रेम में थीं । नासिर साहब ने ही आशा पारिख को उन्नीस सौ उनसठ में अपनी फिल्म दिल दे के देखो में ब्रेक दिया था। दिल दे के देखो से शुरू हुआ सफर एक के बाद एक सात फीचर फिल्मों तक चला । ये सातों फिल्म सुपर हिट रही थीं । आशा पारिख ने अपनी किताब में इस बात पर भी प्रकाश डालने की कोशिश की है कि उन्होंने शादी क्यों नहीं की । उन्होंने साफगोई से स्वीकार किया है कि वो नहीं चाहती थी कि उनकी वजह से नासिर साहब अपने परिवार से दूर हो जाएं या उनपर एक परिवार को तोड़ने का ठप्पा लगे। आशा पारिख और नासिर साहब की नजदीकियो के बारे में कभी बॉलीवुड में इस तरह से चर्चा नहीं हुई कि दोनों प्रेम में थे। ना ही उस रिलेशनशिप को लेकर नासिर साहब के परिवार के लोगों ने कभी सार्वजनिक रूप से आपत्ति की।
तीसरी किताब जो खासी चर्चित रही वो थी अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दिकि की संस्मरणों की किताब एन आर्डिनरी लाइफ, अ मेमोयॉर जिसको विवाद के बाद बाजार से वापस लेना पड़ा और नवाज को सार्वजनिक तौर पर खेद प्रकट करना पड़ा। अपनी इस पुस्तक में नवाज ने साथी कलाकार निहारिका सिंह और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की सुनीता के साथ अपने रिश्तों पर लिखा । सुनीता ने तो इस पुस्तक एन आर्डिनरी लाइफ को एक्सट्राआर्डिनरी लाइ यानि असाधारण झूठ तक करार दे दिया। जबकि निहारिका सिंह ने आरोप लगाया कि नवाज ने उनके और अपने रिश्ते के बारे में झूठी कहानी गढ़ी है। जब विवाद राष्ट्रीय महिला आयोग तक जा पहुंचा तो नवाज ने बाजार से किताब वापस लेने का एलान कर दिया।
नवाजुद्दीन के इन संस्मरणों में उनके बचपन से लेकर सफल होने तक की यादें हैं जिनको उसने रितुपर्ण चटर्जी के साथ मिलकर कलमबद्ध किया है। नवाज की इस किताब में जब वो अपने बचपन के दिनों को याद करते हैं तभी वो इस बात के मुकम्मल संकेत दे देते हैं कि किताब में आगे क्या होगा। अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में उन्होंने शबाना, फरहाना से लेकर कई महिला मित्रों को जिक्र किया है और उनको लेकर अपने मन में दबे प्रेम का इजहार भी किया है। इस पुस्तक में एक अंतर्धारा शुरू से लेकर अंत तक दिखाई देती है वो है लेखक का महिलाओं को लेकर आकर्षण और अपने कदकाठी और रंग को लेकर एक प्रकार की कुंठा। नवाज के इन संस्मरणों का बेहतरीन हिस्सा है उनके बचपन की कहानी जहां वो अपने गांव के बारे में बताते हैं, वहां के माहौल पर टिप्पणी करते चलते हैं। नवाज की शादी और तलाक का प्रसंग भी मार्मिक है जो पाठकों को बांधे रखता है, इन प्रसंगों में वो तीन तलाक के मुद्दे पर भी तल्ख टिप्पणी करते हैं।
हेमा मालिनी की प्रामाणिक जीवनी हेमा मालिनी: बियांड द ड्रीम गर्ल की भी इस वर्ष खासी चर्चा रही। अभिनेत्री और बीजेपी सांसद हेमा मालिनी की इस जीवनी की भूमिका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लिखी है। हेमा मालिनी की यह जीवनी पत्रकार और प्रोड्यूसर राम कमल मुखर्जी ने लिखी है। इस पुस्तक के पहले भावना सोमैया ने भी ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी की प्रामाणिक जीवनी लिखी थी । इस पुस्तक का नाम हेमा मालिनी था और ये जनवरी दो हजार सात में प्रकाशित हुई थी। हेमा मालिनी की दूसरी प्रामाणिक जीवनी में उनके डिप्रेशन में जाने का प्रसंग विस्तार से है। हेमा मालिनी ने कैसे उसको लगभग छुपा कर झेला और फिर उससे उबरीं। डिप्रेशन को साझा करने से इसका असर कम होता है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसको झुपाने से मर्ज और बढ़ जाता है। मर्ज और शोहरत के बीच हेमा का संघर्ष इसमें चित्रित हुआ है।
राजेश खन्ना के जीवनीकार और फिल्म कयामत से कयामत तक पर एक मुक्कमल पुस्तक के लेखक गौतम चिंतामणि की इस वर्ष फिल्म पिंक पर एक किताब- पिंक द इनसाइड स्टोरी, आई जिसकी खासी चर्चा रही। इस किताब में गौतम ने बेहद दिलचस्प तरीके से उन स्थितियों की चर्चा की है, जिन्होंने इस फिल्म के आइडिया को मजबूत किया। किस तरह से सोसाइटी और परिवार में लड़कियों के हालात को लेखक और निर्देशक ने महसूस किया और उन हालात ने फिल्म को कितनी मजबूती दी इसको लेखक ने पाठकों के सामने रखा है। किताब की भूमिका अमिताभ बच्चन ने लिखी है और इसमें फिल्म पिंक की पूरी स्क्रीनप्ले भी है। आज के हालात के मद्देनजर यह किताब नो का मतलब नो को समझने में मदद करती है। इस तरह से हम देखें तो ये लगता है कि देश में फिल्मी पुस्तकों के पाठक हैं, चाहे वो आत्मकथा हो, जीवनी हो या फिर किसी फिल्म पर लिखी मुकम्मल किताब।



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