सलमान खान की कोई फिल्म आनेवाली होती है तो दर्शकों के बीच एक उत्सुकता का माहौल बन जाता है। दर्शक प्रतीक्षा करने लग जाते हैं। हाल ही में रिलीज हुई सलमान खान की फिल्म ‘राधे, योर मोस्ट वांटेड भाई’ को लेकर ऐसा ही माहौल बना। सिनेमा हॉल के लगभग बंद होने की स्थिति में सलमान की फिल्म को लेकर सप्ताहांत में जो माहौल बनता है वो तो इस बार नहीं बन पाया। सिनेमा हॉल के बंद होने की वजह से सलमान की फिल्म के निर्माताओं ने इस फिल्म को ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म जी-5 पर रिलीज किया। ओटीटी के साथ ही फिल्म डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवा देनेवाली कंपनियों, टाटा स्काई, डिश टीवी और एयरटेल डिजीटल, पर भी रिलीज की गई। फिल्मों की रिलीज में ये एक नया प्रयोग था। दर्शकों को जी 5 पर फिल्म देखने के लिए अलग से पैसे देने पड़े। आमतौर पर ये होता है कि किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म की अगर आपने सदस्यता ली हुई है तो वो आप वहां उपलब्ध ज्यादातर सामग्री देख सकते हैं। कुछ समाग्री को देखने के लिए अलग से पैसे देने पड़ते हैं। सलमान की फिल्म ‘राधे, योर मोस्ट वांटेड भाई’ को देखने के लिए अलग से दो सौ उनचास रुपए देने पड़ रहे हैं। इस वक्त जब फिल्म इंडस्ट्री पर कोरोना का संकट छाया हुआ है, नई फिल्में बन नहीं पा रही हैं, शूटिंग रुकी हुई हैं, कई फिल्में तैयार हैं लेकिन सिनेमा हॉल बंद होने की वजह से उनकी रिलीज टलती जा रही है, ऐसे में ‘राधे, योर मोस्ट वांटेड भाई’ की रिलीज से एक नए रास्ते का संकेत मिलता है। एक ऐसा रास्ता जिसपर चलना अगर सफल रहा तो फिल्म उद्योग को बड़ी राहत मिल सकती है।
नए रास्ते का संकेत इस वजह से कह रहा हूं कि सलमान खान की फिल्म जब रिलीज हुई, तो ओटीटी प्लेटफॉर्म के मुताबिक, पहले दिन बयालीस लाख दर्शक मिले। उपलब्ध जानकारी के मुताबिक सभी प्लेटफॉर्म को मिलाकर अगर विचार किया जाए तो पहले दिन मिले दर्शकों की संख्या संतोषजनक कही जा सकती है। पहले दिन तो जी 5 पर इतने दर्शक पहुंचे कि वो प्लेटफॉर्म थोड़ी देर तक दर्शकों का बोझ ही नहीं उठा सका और हैंग हो गया। इस संख्या के हिसाब के फिल्म के बिजनेस पर नजर डालते हैं। हर दर्शक को फिल्म देखने के लिए 249 रु देने पड़ रहे थे। अगर दर्शकों की संख्या और एक बार फिल्म देखने के पैसे पर विचार करें तो तो पहले ही दिन फिल्म ने सौ करोड़ रुपए से अधिक का बिजनेस कर लिया। ये किसी भी फिल्म के लिए ऐसी ओपनिंग है जो स्वप्न सरीखी है। कुछ लोगों का कहना है कि जो बयालीस लाख दर्शकों का आंकड़ा है वो सभी पैसे देनेवाले दर्शक न हैं। उनका तर्क है कि एक परिवार के चार लोगों ने बैठ कर देखा होगा तो दर्शकों का वास्तविक आंकड़ा तो करीब साढे दस लाख का ही होता है। पर इस तरह के अनुमान का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता है, सिर्फ अटकल ही लगाई जा सकती है। अगर कोई कंपनी अपनी किसी फिल्म के दर्शकों का आंकड़ा जारी करती है तो ये माना जाता है कि आकलन का आधार भुगतान होता है । क्योंकि पे पर व्यू (एक बार देखने का भुगतान) तो दर्शकों को एक ही बार फिल्म देखने की अनुमति देता है। ये भी सिनेमा हॉल के टिकट की तरह है कि अगर आपने एक शो का टिकट लिया है तो आप तय शो में ही फिल्म देख सकते हैं और वो भी एक ही बार। ओटीटी पर भी अगर कोई फिल्म पे पर व्यू है तो वहां भी दर्शक एक बार ही देख सकते हैं। सलमान खान की फिल्म ‘राधे, योर मोस्ट वांटेड भाई’ के बारे में फिल्म के कारोबार पर नजर रखनेवालों का अनुमान है कि इस फिल्म को पहले चार दिन में सत्तर लाख दर्शक मिले। अगर ये अनुमान सही है तो पहले चार दिन में इस फिल्म ने करीब पौने दो सौ करोड़ रुपए का बिजनेस कर लिया है। यानि कि गुरूवार से लेकर रविवार तक इस फिल्म को जमकर दर्शक मिले। ये तो तब हो रहा था जब ‘राधे, योर मोस्ट वांटेड भाई’, पूरी फिल्म व्हाट्सएप और अन्य इंटरनेट मीडिया के माध्यमों पर सर्कुलेट हो रहा है। फिल्म के निर्माताओं ने इसको लेकर मुंबई पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवाई और जांच चल रही है।
कोरोना संकट की वजह से ये आशंका है कि निकट भविष्य में शायद ही सिनेमा हॉल खुल सके। कम से कम इस वर्ष अगस्त-सितंबर तक तो सिनेमा हॉल के खुलने की उम्मीद बहुत ही कम है, ऐसे में बड़ी बजट और बड़े सितारों की फिल्मों के रिलीज होने का एक नया मॉडल या विकल्प अपनाने से फिल्म उद्योग पर छाए संकट को कम किया जा सकता है। पे पर व्यू के हिसाब से ओटीटी और डायरेक्ट टू होम सेवा प्रदताओं के प्लेटफॉर्म पर पर फिल्म रिलीज करने का विकल्प। अगर ऐसा हो पाता है तो ये बिल्कुल नई शुरुआत होगी और नया ट्रेंड आरंभ होगा। सलमान खान की फिल्म की सफलता से बड़ी बजट की फिल्मों के निर्माताओं का हौसला बढ़ेगा। दरअसल बड़ी बजट की फिल्मों में निर्माताओं का पैसा लग चुका है और वो ज्यादा दिनों तक अपने निवेश को रोककर रखने की बजाए उससे मुनाफा कमाने के बारे में सोच सकते हैं। हो सकता है ओटीटी और डायरेक्ट टू होम पर फिल्मों को रिलीज करने से अपेक्षाकृत कम मुनाफा हो लेकिन रुका हुआ पैसा वापस आने से नए प्रोजेक्ट शुरू होंगे। लोगों को काम मिलेगा और इससे लगभग ठप पड़े फिल्म उद्योग में जान आ सकती है।
अगर फिल्मों के डिजीटल रिलीज को फिल्म निर्माता अपनाते हैं तो एक बेहद महत्वपूर्ण मसले पर ध्यान देना होगा। वो मसला है पायरेसी का। जिस तरह से सलमान खान की फिल्म का पायरेटेड वर्जन रिलीज वाले दिन ही इंटरनेट मीडिया पर घूमने लगा था, उसने इस फिल्म के निर्माताओं को चिंता में डाल दिया था। पायरेसी को रोकने के लिए इन प्लेटफॉर्म्स को ऐसा सिस्टम विकसित करना होगा कि वहां से कोई उसकी कॉपी न कर सके। अगर कोई कॉपी करने की कोशिश करे या कॉपी करने में सफल हो जाए तो संबंधित प्लेटफॉर्म के जरिए उस व्यक्ति तक पहुंचा जा सके जिसके डिवाइस से फिल्म की क़ॉपी की गई हो। आज तकनीक के इस दौर में ऐसा करना बहुत मुश्किल काम नहीं है। फिल्म उद्योग को बचाने के लिए कानून का पालन करवानेवाली एजेंसियों को भी कठोर कदम उठाने होंगे। पायरेसी करते हुए पकड़े जाने पर कठोर सजा का प्राविधान हो, इसके लिए फिल्म उद्योग के लोगों को संगठित होकर आवाज उठानी होगी। फिल्म उद्योग में कई ऐसा लोग हैं जो बयानवीर हैं, ट्वीटरवीर हैं लेकिन अपनी इंडस्ट्री और उससे जुड़े लोगों की समस्या का स्थायी हल ढूंढने में उनकी रुचि दिखाई नहीं देती है। इन वीरों को उनके हाल पर छोड़कर संजीदा निर्माताओं को सरकार के नुमाइदों से बात करने की पहल करनी होगी। कोरोना संकट के लंबा चलने की आशंकाओं के बीच हर क्षेत्र के लोगों को वैकल्पिक रास्ते पर विचार करना होगा, अगर कोई रास्ता सूझता है तो उसको अपनाने के लिए प्रयास करना होगा। इस तरह के प्रयासों से ही संबंधित क्षेत्र को राहत मिल सकती है, फिल्म जगत के सामने भी इसी तरह का विकल्प है कि वो अपने को बचाने के लिए नए रास्ते तलाशे। सलमान की फिल्म की रिलीज ने फिल्म उद्योग जगत को ऐसा ही एक रास्ता दिखाया है ।
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