दिलीप कुमार फिल्मों के बेहतरीन अभिनेता थे। फिल्मों के अलावा नेता का उनका रूप अल्पज्ञात है। दिलीप कुमार का उत्तर प्रदेश के अमेठी की राजनीति से नाता रहा है। इमरजेंसी के बाद 1977 में आम चुनाव की घोषणा हुई थी। संजय गांधी अमेठी से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे। दिलीप कुमार ने अमेठी में चुनाव प्रचार की इच्छा जताई थी। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पूरे क्षेत्र में इस बात का जमकर प्रचार किया कि फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार चुनाव प्रचार के लिए सात मार्च को अमेठी पहुंच रहे हैं। उन जगहों पर सुबह से लोगों की भीड़ जमा हो गई थी । लोग दिलीप कुमार को देखना चाहते थे। लेकिन अमेठी की जनता इंतजार करती रह गई क्योंकि दिलीप कुमार नहीं आए। कांग्रेस के किसी ने तारीख को लेकर घपला कर दिया था।
दिलीप कुमार का दौरा आठ मार्च का था। वो आठ मार्च को फुर्सतगंज हवाई अड्डे पहुंचे लेकिन वहां उनको रिसीव करने के लिए कोई नहीं था। उन दिनों अमेठी में यातायात की सुगम व्यवस्था नहीं थी। एक पीपल के पेड़ के नीचे दिलीप कुमार दो घंटे अकेले खड़े इंतजार करते रहे। दो घंटे बाद एक बस आई और उससे दिलीप कुमार अमेठी पहुंचे। जहां वो एक चाय दुकान पर उतरे और किसी से कांग्रेस के दफ्तर में खबर भिजवाई गई। थोड़ी देर बाद एक जीप दिलीप कुमार को लेने आई और फिर आनन फानन में उनकी सभा तय की गई। चूंकि उनके नाम का प्रचार नहीं किया जा सका था इसलिए बमुश्किल कुछ ही लोग दिलीप कुमार की सभा में आ पाए। चुनावी सभा असफल हो गई। दिलीप कुमार मायूस होकर लौट गए। अपनी पुस्तक द संजय स्टोरी में विनोद मेहता ने इस प्रसंग का उल्लेख चुनाव के दौरान कांग्रेस की बदइंतजामी और खराब प्लानिंग के सिलसिले में की है। इस घटना के 23 साल बाद कांग्रेस ने उनको राज्यसभा में भेजा ।
1 comment:
बहुत बढ़िया जानकारी दी आपने।😅
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