कोलकाता से एक मित्र का फोन आया और उसने चौंकानेवाली बात की। उन्होंने अनुरोध किया कि दिल्ली के आईटीसी मार्या होटल स्थित बुखारा रेस्तरां में चार लोगों के डिनर के लिए अमुक तारीख को व्यवस्था करवा दें। मैंने उनसे कहा कि क्या सिर्फ खाने के लिए आपलोग कोलकाता से दिल्ली आ रहे हैं। उत्तर मिला कि हां वो लोग शाम की फ्लाइट से आएंगे और डिनर के बाद रात की फ्लाइट से वापस लौट जाएंगे। मैंने भी उनको हां कह दिया। सोचा किसी से कहकर उनके लिए बुखारा में टेबल का इंतजाम करवा देंगे। टेबल के लिए जब प्रयास करना आरंभ किया तो पता चला कि ये बेहद कठिन कार्य है। बताया गया कि चाणक्यपुरी के जिस इलाके में होटल मौर्या है उस क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों, इंकम टैक्स अधिकारियों से लेकर एक्साइज वालों तक पर बुखारा में टेबल का इंतजाम करने/करवाने का भारी दबाव होता है। जब कई लोगों ने इस काम के लिए हाथ खड़े कर दिए तो मन में जिज्ञासा हुई कि क्यों न चलकर इस रेस्तरां को देखा जाए कि क्या कारण है कि इसमें टेबल मिलना इतना कठिन है।
चाणक्यपुरी के आलीशान पांच सितारा होटल आईटीसी मौर्या के इस रेस्तरां में पहुंचा तो इसके बाहर लगे टेबलों पर बैठे लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। रेस्तरां में अंदर घुसते ही उसके इंटीरियर ने ध्यान खींचा। पत्थरों से सजी दीवारें और लकड़ी से बने आकर्षक खंभे इसको अलग ही लुक दे रहे थे। खाने की मेज की एक तरफ दीवार से लगी बेंच थी और दूसरी तरफ स्टूल लगे हुए थे। टेबल और स्टूल की ऊंचाई भी कम थी लेकिन लोग चाव से आनंदित होकर भोजन करने में लीन थे। सौभाग्य से हमें भी जगह मिली और हम वहां खाने बैठ गए। वेज और नानवेज प्लैटर के अलावा दाल बुखारा और भरवां कुलचा और पुदीना पराठा की खेप आई। दाल बुखारा बेहद स्वादिष्ट था। बुखारा की रसोई में काम करनेवाले शेफ ने बताया कि दाल को बनाने में कई घंटे लगते हैं। उड़द की दाल को सात-आठ घंटे तक पानी में भिगो कर रखा जाता है। उसके टमाटर को उबालकर और पीस कर मसालों और मक्खन में मिलाकर धीमी आंच पर पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में करीब सत्रह से अठारह घंटे लगते हैं। धीमी आंच पर पकाने की वजह से दाल बुखारा बेहद स्वादिष्ट बन जाता है। दाल बुखारा को पुदीना पराठा के साथ खाने का अपना अलग ही मजा है। कई लोग दाल बुखारा को खस्ता रोटी के साथ खाना पसंद करते हैं। बुखारा की एक और विशेषता है वहां एक बहुत बड़े साइज का नान परोसा जाता है। बड़े आकार का एक नान चार पांच लोगों के लिए काफी होता है। नानवेज पसंद करनेवालों के लिए भी यहां कई तरह के विक्लप उपलब्ध थे। सीक कबाब और पेशावरी कबाब के अलावा यहां आनेवाले लोग सिकंदरी रान को पसंद कर रहे थे। सिकंदरी रान कम उम्र के लैंब के मांस से तैयार किया जाता है। उसको सिरका में मैरीनेट करने के बाद उसमें दालचीनी, काला जीरा और मिर्ची का पेस्ट डालकर धीमी आंच पर पकाया जाता है। इसके अलावा तंदूरी झींगा भी यहां की खास डिश है। बताते हैं कि जब अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा भारत के दौरे पर आए थे तो उनको बुखारा का तंदूरी झींगा बेहद पसंद आया था। बड़े आकार की झींगा मछली को अजवाइन फ्लैवर वाली दही में मैरिनेट किया जाता है। मैरिनेट करने के दौरान इसमें लाल मिर्च, हल्दी और गरम मसाला भी मिला दिया जाता है। थोड़ी देर बाद इसको सीक में डालकर धीमी आंच पर सेंका जाता है।
मेनकोर्स के बाद बारी आई डेजर्ट्स की। बुखारा अपने ग्राहकों के लिए गुलाब जामुन, कुल्फी, फिरनी और रसमलाई पेश करते हैं। मिट्टी के बरतन में परोसा जानेवाला फिरनी बेहद स्वादिष्ट था। एक छोटे बाउल में 6 छोटी छोटी रसमलाई थी जिसका स्वाद बाजार में मिलनेवाले अन्य रसमलाई से अलग। थोड़ा कम मीठा लेकिन स्वाद अप्रतिम। दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में स्थित इस रेस्तरां में जगह मिलने में भले ही कठिनाई होती हो लेकिन एक बार आपको जगह मिल जाती है तो बेहतरीन खाने का स्वाद संघर्ष के बाद मिली सफलता सरीखी होती है।
3 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 07 मई 2023 को साझा की गयी है
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बढ़िया लिखा है
सुन्दर जानकारी |
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