हम आपके लिए सितारे लेकर आते हैं और आप उनमें चमक भरते हैं। कुछ दिनों पहले सिनेमा हाल के कारोबार की कंपनी पीवीआऱ आईनाक्स ने अपने विज्ञापन में ये भी बताया कि इस वर्ष जुलाई- सितंबर की तिमाही में उसके सिनेमाघरों में चार करोड़ अस्सी लाख दर्शक पहुंचे। । पीवीआर के पास देशभर के 115 शहरों में 1702 स्क्रीन हैं। इस विज्ञापन को देखकर मस्तिष्क में एक बात कौंधी कि अगर तीन महीने में पीवीआर के मल्टीप्लेक्सों में करीब पांच करोड़ दर्शक फिल्म देखने पहुंचे तो अगर इसमें सिंगल थिएटर और अन्य मल्टीप्लेक्स शृंखलाओं के दर्शकों को जोड़ दिया जाए तो आंकड़े कहीं और ऊपर चले जाएंगे। देशभर में सिंगल थिएटरों की संख्या में निरंतर कमी आ रही है। फिल्म फेडरेशन आफ इंडिया की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकडों के मुताबिक देशभर में सिंगल थिएटर 10167 हैं। अगर इन आंकड़ों में कमी भी आई होगी तो छह से सात हजार तक सिंगल थिएटर तो देश में हैं हीं। पीवीआर के आंकड़े संकेत कर रहे हैं कि सिनेमा का दर्शक एक बार फिर से सिनेमाघरों की ओर लौट रहा है। पीवीआर के इन आंकड़ों को देखने के बाद सिनेमाप्रेमी होने के कारण मन में संतोष हुआ लेकिन ये जिज्ञासा भी हुई कि देखा जाए कि किन फिल्मों ने ये चमत्कार किया। खिन फिल्मों के कारण जुलाई-सितंबर की तिमाही में बाक्स आफिस पर खुशी का वातावरण देखने को मिल रहा है।
जागरण फिल्म फेस्टिवल के दौरान मुंबई में फिल्मकारों से चर्चा हो रही थी। पटकथा लेखक हैदर रिजवी ने एक बहुत महत्वपूर्ण बात कही थी। उन्होंने बताया था कि अब मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में लोगों के चेहरे खिले हुए हैं। लोगों का विश्वास वापस लौटता दिख रहा है। उस समय ये बात आई गई हो गई। अब सोचता हूं तो ऐसा लगता है कि इस बात में कई संकेत छिपे हुए थे। फिल्मों से जुड़े लोगों का विश्वास वापस लौटना और उनके चेहरे के खिलने का सीधा संबंध सिनेमाघरों में दर्शकों की वापसी और मुनाफा से जुड़ा हुआ है। पिछले दिनों ओरमैक्स मीडिया की सिंतबर की बाक्स आफिस रिपोर्ट आई थी। ओरमैक्स मीडिया हर महीने के तीसरे सप्ताह में पिछले महीने की बाक्स आफिस रिपोर्ट जारी करती है जिसमें फिल्मों के कारोबार की जानकारी होती है। ओरमैक्स मीडिया की रिपोर्ट पर फिल्म इंडस्ट्री और उससे जुड़े लोगों का विश्वास है। ऐसा माना और कहा जाता है। सिंतबर की भारत की बाक्स आफिस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। सितंबर 2023 में प्रदर्शित फिल्मों ने घरेलू बाक्स आफिस पर 1353 करोड़ रुपए का कारोबार किया है। इस वर्ष प्रदर्शित फिल्मों के आंकड़ों पर नजर डालें तो फिल्म के कारोबार की तस्वीर बेहद अच्छी नजर आती है। इस वर्ष अबतक फिल्मों ने 8798 करोड़ रुपए का कारोबार किया है जो पिछले वर्ष से छह प्रतिशत अधिक है।
दरअसल कोरोना महामारी के दौरान सिनेमाघरों से दर्शक दूर हो गए थे और कई बड़े बजट की फिल्में भी बाक्स आफिस पर अच्छा नहीं कर पाई थीं। इस वर्ष का आरंभ भी काफी अच्छा रहा था। उसके बाद के महीनों में भी प्रदर्शित गदर-2, पठान और जवान ने बाक्स आफिस पर बंपर कमाई की। इन तीनों फिल्मों ने अलग अलग 600 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार किया है। अब भी इनको दर्शक मिल रहे हैं। 66 वर्ष के अभिनेता सनी देओल ने जब लंबे अंतराल के बाद फिल्मों में वापसी की तो गदर 2 में उनका जादू सर चढ़कर बोला। इस फिल्म की सफलता का अनुमान फिल्मों से जुड़े लोग भी नहीं लगा पाए थे। इसी तरह 57 वर्ष के अभिनेता शाह रुख खान को भी दर्शकों ने खूब पसंद किया। उनकी फिल्म पठान 646 करोड़ रुपए तो फिल्म जवान ने 733 करोड़ रुपए का कारोबार किया। इन अधेड़ उम्र के अभिनेताओं के साथ साथ तमिल फिल्मों के सुपर स्टार 72 वर्षीय के रजनीकांत की फिल्म जेलर ने भी भारत में करीब चार सौ करोड़ रुपए का कारोबार करके ये साबित किया कि दक्षिण भारतीय फिल्मों के बास का जलवा अब भी कायम है। इन सबके बीच एक फिल्म आई ओएमजी-2 । इसमें पंकज त्रिपाठी, यामी गौतम के अलावा अक्षय कुमार भी संक्षिप्त भूमिका में हैं। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से काफी दिक्कतों के बाद पास हुई इस फिल्म ने भी भारत में 200 करोड़ रुपए से अधिक का बिजनेस किया। इस फिल्म के निर्देशक अमित राय की जमकर प्रशंसा हुई। फिल्म से जुड़े लोगों का मानना है कि अगर फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने इस फिल्म को वयस्क फिल्म (ए सर्टिफिकेट) की बजाए यूनिवर्सल (यू) प्रमाण पत्र दिया तो इसका कारोबार और भी बेहतर हो सकता था। इस फिल्म ने न केवल अच्छा कारोबार किया बल्कि अक्षय कुमार को लगातार पांच फिल्मों की असफलता के बाद सफलता का स्वाद भी चखाया। तमाम विवादों के बीच भी फिल्म आदिपुरुष ने 331 करोड़ रुपए का और द केरला स्टोरी ने ढाई सौ करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार किया। इन फिल्मों ने दर्शकों को सिनेमाघरों में लौटाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। फिल्मों की इस सफलता में हिंदी फिल्मों की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत है जबकि तमिल और तेलुगु फिल्मों की हिस्सेदारी सोलह सत्रह प्रतिशत के करीब है।
कोरोना महामारी के समय भी और उसके बाद भी फिल्मों को लेकर कई फिल्मी पंडित सशंकित हो गए थे। उनको लगने लगा था कि हिंदी फिल्मों का बाजार खत्म हो गया है। पिछले वर्ष उन्होंने ये भवियवाणी तक कर दी थी कि अब दक्षिण भारतीय फिल्में ही चलेंगी। उस समय भी कार्तिक आर्यन की फिल्म भूल भुलैया-2 ने उम्मीद जगाए रखी थी और ढाई सौ करोड़ रुए से अधिक का कारोबार किया था। अजय देवगन और तब्बू की फिल्म दृश्यम 2 ने और भी अच्छा बिजनेस किया था। उस फिल्म ने बाक्स आफिस पर तीन सौ करोड़ रुपए के करीब अर्जित किया था। इन सभी सफल फिल्मों पर नजर डालें तो इनमें से कई पुरानी फार्मूला वाली फिल्में हैं। जिसमें जबरदस्त एक्शन है, रोमांस है और ऐसे संवाद हैं तो दर्शकों को पसंद आते हैं। लगता है कि दर्शकों को हल्का फुल्का मनोरंजन पसंद आ रहा है। द केरला स्टोरी और ओएमजी 2 में कहानी अलग हटकर है। द केरला स्टोरी और ओएमजी 2 दोनों में यथार्थ बहुत मजबूती के साथ उपस्थित है। अच्छी कहानी और अच्छा मनोरंजन दोनों दर्शकों को पसंद आ रहे हैं। आनेवाले दिनों में सलमान खान की फिल्म टाइगर 3, शाह रुख खान की डंकी और प्रभास की सालार आनेवाली है, जिसको लेकर दर्शकों के बीच उत्सुकता है। अगर इन तीनों फिल्मों ने बहुत अच्छा कारोबार किया तो ये वर्ष भारतीय फिल्मों के लिए बहुत अच्छा वर्ष साबित होगा। फिल्मों के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती है दर्शकों को सिनेमाघरों की तरफ निरंतर आकर्षित करते रहने की। इसके लिए फिल्मों के टिकटों की दरें कम करनी चाहिए। कई बार सिनेमाघर इस तरह के प्रयोग कर भी रहे हैं। जब वहां किसी विशेष दिन टिकटों की दर सौ रुपए के करीब रखा जाता है तो उस दिन दर्शकों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक रहती हैं। सिनेमाघरों में टिकटों के मूल्य के साथ साथ वहां मिलनेवाले खाद्य सामग्रियों और पेयजल के मूल्य पर भी ध्यान देना चाहिए और दर्शकों को उचित मूल्य पर उपलब्ध होना चाहिए। एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति अपने परिवार के साथ फिल्म देखने जाता है तो टिकट और इंटरवल में पापकार्न और चाय काफी के लिए उसे दो हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में वो सोचता है कि एक दो महीने बाद फिल्म ओटीटी प्लेटफार्म पर आ ही जाएगी, तब देख लेंगे। इस धारणा को कमजोर करना होगा ताकि फिल्मों के प्रति दर्शकों का प्रेम बना रहे।
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