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Sunday, January 5, 2025

याद सदा रखना ये कहानी


फिल्म जब जब फूल खिले का क्लाइमैक्स सीन याद करिए। नायिका हीरो को तलाशते रेलवे स्टेशन पहुंचती है। वो गलती से दूसरे प्लेटफार्म पर पहुंच जाती है और ट्रेन उसके सामने से निकल जाती है। वो निराश होती है लेकिन अचानक उद्घोषणा होती है कि पठानकोट जानेवाली गाड़ी प्लेटफार्म नंबर पांच से रात नौ बजकर 40 मिनट पर रवाना होगी। वो भागती हुई पांच नंबर प्लेटफार्म पर पहुंचती है। परेशान हालत में राजा राजा चिल्लाते हुए नायक को ढूढती है। जैसे ही नायक उसको दिखता है तो ट्रेन चल पड़ती है। वो दरवाजे पर लगे हैंडल को पकड़कर दौड़ती हुई नायक से माफी मांगने लगती है। अपने साथ ले चलने की गुहार लगाती है। ये लंबा सीक्वेंस है। ट्रेन चल रही होती है, नायक खामोशी से अपनी प्रेमिका को देखता रहता है और वो ट्रेन के साथ दौड़ती रहती है। अचानक प्लेटफार्म खत्म होता है और नायक एक्शन में आकर नायिका को ट्रेन के अंदर खींच लेता है। नायक हैं शशि कपूर और नायिका है नंदा। वही नंदा जो अबतक फिल्मों में बहन या पत्नी की भूमिका निभा रही होती थी, इस फिल्म में एक बिल्कुल ही अलग रोल में चुलबुली प्रेमिका की भूमिका में दिखती है। फिल्म हिट हो जाती है। शशि कपूर जिनकी फिल्में अबतक निरंतर फ्लाप हो रही थी वो रातों रात स्टार बन जाते हैं। ट्रेन का ये सीक्वेंस बहुत कठिन था और रात दो बजे से सुबह चार बजे के बीच बांबे सेंट्रल स्टेशन पर फिल्माया गया था। नंदा इस सीन को करते हुए बेहद डरी हुई थी क्योंकि अगर शशि कपूर कुछ सेकेंड से चूकते तो वो ट्रेन के नीचे आ सकती थी। नंदा ने इस सीन को किया। 

शशि कपूर के साथ फिल्म में इस सीन को करने के लिए नंदा क्यों तैयार हुई थीं इसके पीछे दिलचस्प कहानी है। नंदा, मास्टर विनायक की बेटी थीं। मास्टर विनायक फिल्म इंडस्ट्री के बड़े प्रोड्यूसर-डायरेक्टर थे। उनका परिवार फिल्म निर्माण से जुड़ा था। व्ही शांताराम नंदा के रिश्तेदार थे। 41 वर्ष की उम्र में मास्टर विनायक का निधन हो गया तब नंदा की उम्र महज सात वर्ष थी। परिवार चलाने के लिए नंदा को फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर काम करना पड़ा था।  बेबी नंदा के नाम से उन्होंने कई फिल्में की। नंदा को अभिनेत्री के तौर पर व्ही शांताराम ने अपनी फिल्म तूफान और दीया में अवसर दिया था। राज कपूर के साथ उन्होंने फिल्म आशिक की थी। इसके निर्माण के दौरान राज कपूर से उनकी दोस्ती हो गई। इस बीच उनकी कई सफल फिल्में आई। जब राज कपूर को पता चला कि जब जब फूल खिले में नंदा शशि कपूर की प्रेमिका का रोल कर रही हैं तो वो नंदा के पास पहुंचे। राज साहब ने नंदा का हाथ पकड़कर कहा कि पता चला है कि तुम शशि के साथ काम कर रही हो। आप उससे सीनियर कलाकार हो प्लीज उसका ध्यान रखना। शशि मेरा भाई नहीं, मेरा बेटा है और असफलता का काऱण अंदर से टूटा हुआ है। अगर तुम उसकी मदद करोगी तो वो फिल्म अच्छे से कर पाएगा। राजकपूर की ये बात नंदा के दिल को छू गई। जब जब फूल खिले के क्लाइमैक्स की बात आई तो कुछ लोगों ने नंदा से कहा कि उनको इस खतरनाक सीक्वेंस के लिए बाडी डबल का उपयोग करना चाहिए। नंदा नहीं मानी क्योंकि उनको राज कपूर की बात याद थी। इस फिल्म के क्लाइमैक्स का गीत, याद सदा रखना ये कहानी, चाहे जीना चाहे मरना, भले ही फिल्म के प्रेमी-फ्रेमिका के बीच हो लेकिन याद तो सदा नंदा से किया राज कपूर का अनुरोध और नंदा का उसको निभाना भी रहेगा। जब शशि कपूर असफलता का दौर झेल रहे थे तो नंदा के उनके साथ कई फिल्में कीं।

नंदा का बचपन बहुत संघर्ष में बीता था, इस कारण वो अंतर्मुखी थीं। सेट पर बहुत बातें नहीं करती थीं। उन्होंने विवाह भी नहीं किया। कहा जाता है कि वहीदा रहमान की सलाह पर उन्होंने निर्देशक मनमोहन देसाई के साथ सगाई तो की थी लेकिन विवाह के पहले और सगाई के दो वर्ष बाद मनमोहन देसाई का घर की छत से गिरकर निधन हो गया। ये तो विधि का विधान ही कहा जाएगा कि नंदा का निधन भी घर की छत से गिरकर ही हुआ। हलांकि दोनों के निधन में दो दशक का अंतराल रहा। 1952 से लेकर 1983 तक के लंबे कालखंड में नंदा ने कई बेहद सफल फिल्में कीं जिनमें धूल का फूल, काला बाजार, आंचल, छोटी बहन प्रमुख हैं। 1960 से लेकर बाद के कुछ वर्षों तक वो और अभिनेत्री नूतन फिल्म इंडस्ट्री में सबसे अधिक महंगी एक्ट्रेस के तौर पर चर्चित रहीं। उनका किसी फइल्म में होना सफलता की गारंटी माना जाता था। बाल कलाकार से लेकर सह कलाकार से लेकर मेन लीड और फिर सह-कलाकार की दर्जनों भूमिका में नंदा के अभिनय के इंद्रधनुष को देखा जा सकता है। 


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