प्रयागराज में जारी महाकुंभ में लगभग 50 करोड़ श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया। महाकुंभ में स्नान के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या और काशी में पहुंच रहे हैं। अयोध्या में इतनी संख्या में श्रद्धालु पहुंच गए कि कई दिनों तक स्कूल बंद करना पड़ा। रामपथ को वाहनों के लिए बंद करना पड़ा। अयोध्या के निवासियों को रामपथ पर स्थित चिकित्सालय तक पहुंचने में संघर्ष करना पड़ा। आसपास के जिलों से आनेवाले रास्तों पर वाहनों पर सख्ती की गई। अयोध्या में प्रभु श्रीराम के नव्य और भव्य मंदिर का निर्माण कार्य जैसे जैसे आगे बढ़ रहा है वैसे वैसे वहां श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ रही है। पिछले वर्ष श्रीराम मंदिर को दर्शन के लिए खोला गया था। मंदिर परिसर में अब भी कई तरह के निर्माण कार्य चल रहे हैं। परकोटा से लेकर अन्य स्थानों पर मंदिर के भव्य स्वरूप को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जानकारों के मुताबिक मंदिर में एक लाख व्यक्ति प्रतिदिन दर्शन का अनुमान लगाकर तदनुसार व्यवस्था की गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि श्रद्धालुओं की संख्या अनुमानित संख्या से अधिक हो जा रही है। दर्शकों को व्यवस्थित करने के लिए स्कूल बंद करने पड़ते हैं, अयोध्या शहर के लोगों को घरों से निकलने में परेशानी होती है। रामपथ के आसपास वाहनों पर प्रतिबंध को लेकर मुश्किल होती है। व्यवस्था संभालने में पुलिस को भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है। अभी मंदिर का कार्य चल रहा है तो इसके पूर्ण होने के साथ सुचारू रूप से प्रभु के दर्शन की व्यवस्था पर विचार करना चाहिए।
अयोध्या में दो तरह से श्रद्धालु दर्शन करते हैं, एक तो आम दर्शन जिसमें श्रद्धालु पंक्तिबद्ध हो जाते हैं और धीरे धीरे चलते हुए दर्शन करके मंदिर परिसर से बाहर आ जाते हैं। इसके अलावा एक सुगम दर्शन होता है। इसकी लेन अलग है। इसमें पासधारक ही प्रवेश कर सकते हैं। इस लेन में जाने के लिए पास प्रशासन, पुलिस और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट से जारी होता है। तीसरा अतिविशिष्ट पास जारी होता है जिसके धारक रंगमंहल बैरियर के पास से मंदिर में प्रवेश करते हैं। दर्शन के लिए किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पिछले वर्ष तो काफी इंताजम किए गए थे, लेकिन धीरे धीरे ये सुविधाएं कम होती चली गईं। अयोध्या पहुंचनेवाले श्रद्धालुओं को धर्मशालाओं और आश्रमों का आसरा रह गया। कई नए होटल खुले जरूर हैं लेकिन वो श्रद्धालुओं की संख्या के आधार पर अपने कमरों की दर तय करते हैं। जो कई बार बहुत अधिक हो जाता है। ऐसा लगता है कि अभी ट्रस्ट की प्राथमिकता में मंदिर परिसर का निर्माण है, इस कारण श्रद्धालुओं की सुविधाओं की ओर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया जा रहा है। किंतु यही उचित समय है कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र श्रद्धालुओं की सुविधाओं और अयोध्या पहुंचनेवाले भक्तों की संख्या को ध्यान में रखते हुए योजनाबद्ध तरीके से निर्माण कार्य करे। दर्शन के लिए जिस प्रकार के लेन आदि की व्यवस्था करनी है या राम मंदिर के आसपास के क्षेत्र में वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था करनी है उसपर गंभीरता से विशेषज्ञों के साथ विचार करके निर्णय लिया जाना चाहिए। अगर ऐसा हो पाता है तो दीर्घकाल तक श्रद्धालुओं की संख्या से ना तो अयोध्यावासियों को कोई तकलीफ होगी और ना ही प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए पहुंचनेवाले भक्तों को।
पिछले दिनों तिरुपति में बालाजी के मंदिर जाकर दर्शन करने का सौभाग्य मिला। वहां दर्शन की व्यवस्था देखकर मन में ये विचार आया कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टियों को वहां जाकर श्रद्धालुओं और मंदिर परिसर की व्यवस्था को देखना चाहिए। अगर उनको उचित लगे तो उस व्यवस्था को बेहतर करके उसको राम मंदिर परिसर में लागू करने का प्रयास करना चाहिए। तिरुपति से जैसे ही आप तिरुमला की पहाड़ी स्थित मंदिर में दर्शन करने के लिए यात्रा आरंभ करते हैं तो उसके पहले आपको आनलाइन दर्शन का टिकट और मंदिर के आसपास रहने की व्यवस्था कर लेनी होगी। अन्यथा आपको नीचे तिरुपति में रुकना होगा। अगर आप विशिष्ट या सुगम दर्शन करना चाहते हैं तो तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के कार्यालय में संपर्क करना होगा। वहां आपको अपने आधार कार्ड के साथ आवेदन करना होगा। इसके बाद से सारी व्यवस्था आनलाइन। अगर आपका आवेदन स्वीकृत हो जाता है तो आपके मोबाइल पर एक लिंक आएगा। उस लिंक से आपको पेमेंट करना होगा। पेमेंट होते ही आपके मोबाइल पर ही पास आ जाएगा। जिसमें दर्शन का समय और गैट आदि का उल्लेख होता है। वहां सर्व दर्शन, शीघ्र दर्शन और ब्रेक दर्शन की व्यवस्था है। सबके लिए अलग अलग शुल्क है। अगर आपने तिरुमला में रात में रुकने की व्यवस्था करनी है तो आनलाइन बुकिंग करनी होगी। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के कार्यालय में जाकर अपने लिए कमरा आवंटित करवाना होगा। सबकुछ व्यवस्थित। आपकी फोटो ली जाएगी फिर पैसा जमा करने के लिए बगल के काउंटर पर भेजा जाएगा। आनलाइन पैसे जमा होंगे। कमरे के किराए जितना ही सेक्युरिटी जमा करवाना होता है। फिर आपके मोबाइल पर कमरा आवंटन की जानकारी और एक कोड आ जाएगा। उसको लेकर बताए हुए स्थान पर पहुंच जाइए। कमरा तैयार मिलेगा। कमरा में चेक इन करते ही एक कोड आपके मोबाइल पर आएगा। जब आप कमरा छोड़ रहे हों तो आपको ये कोड बताना होता है। फिर वापस उसी कार्यालय में जाना होता है जहां आपने पैसे जमा करवाए थे। वहां इस कोड को बताते ही आपको मोबाइल पर सेक्युरिटी मनी के रिफंड की जानकारी आ जाएगी। कहीं भी नकद से लेन देन नहीं। कहीं भी किसी प्रकार का बिचौलिया या एजेंट नहीं।
सर्वदर्शन और शीघ्रदर्शन के श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए मंदिरर के गर्भगृह तक पहुंचने में जितना भी समय लगे उनको पंक्ति में ही बने रहना होता है। 12-13 घंटे भी लगते हैं तो मंदिर प्रशासन श्रद्धालुओं का पूरा ख्याल रखते हैं। भोजन, फल और बच्चों के लिए दूध आदि की नियमित अंतराल पर व्यवस्था होती है। दर्शन के लिए जो रास्ता बनाया गया है उस रास्ते में वाशरूम की व्यवस्था है। चौबीस घंटे वहां सफाई कर्मचारी तैनात रहते हैं। एकदम स्वच्छ व्यवस्था। किसी भी श्रद्धालु को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाता है। ब्रेकदर्शन के लिए जब सर्वदर्शन की लाइन रोकी जाती है तब भी किसी को किसी तरह की परेशानी नहीं होती है क्योंकि सब पारदर्शी तरीके से किया जाता है। बताय जाता है कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के चेयरमैन बी आर नायडू सक्रिय रूप से व्यवस्था पर नजर रखते हैं। दर्शन के बाद नीचे पहुंचने के लिए 40 मिनट का समय तय है। अगर आपका वाहन 40 मिनट के पहले नीचे के बैरियर तक पहुंचता है तो आपको जुर्माना देना होगा। ये व्यवस्था वाहनों की गति सीमा को कंट्रोल करने के लिए बनाई गई है। जिस प्रकार से मंदिरों में हिंदुओं की आस्था बढ़ रही है उसको ध्यान में रखते हुए दर्शन की व्यवस्था को बहुत बेहतर करने की आवश्यकता है। जिस प्रकार से युवाओं की सनातन में आस्था बढ़ रही है तो उनकी आस्था को गाढा करने के लिए आवश्यक है कि मंदिरों की व्यवस्था तिरुमला बालाजी मंदिर जैसी हो।
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