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Monday, September 22, 2025

सितंबर के सितारे


हमारे यहां विभिन्न कलाओं का कैनवस इतना बड़ा है कि वर्ष के हर महीने में इन कलाओं से जुड़े कलाकारों की जन्मतिथि या जयंती उनके स्मरण का अवसर देती हैं। भारतीय फिल्मों का इतिहास सौ वर्षों से अधिक का हो गया है। कई कलाकारों ने भारतीय फिल्मों में अपने हुनर से उसको समृद्ध किया। हर महीने इन कलाकारों में से कइयों से जुड़ी घटनाएं, फिल्में, फिल्मों में उनके गाए गानों आदि की चर्चा होती है पर सितंबर एक ऐसा महीना है जिसमें कई दिग्गज कलाकारों की जन्म तिथि पड़ती है। भारत रत्न लता मंगेशकर से लेकर रणबीर कपूर तक कई कलाकारों का जन्म सितंबर में हुआ। लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर को हुआ। लता मंगेशकर बनने के लिए उन्होंने कई सालों की तपस्या की। मुंबई (तब बांबे) के नाना चौक इलाके के दो कमरे के छोटे से फ्लैट में मां और भाई बहनों के साथ रहते हुए लता मंगेशकर ने न दिन देखा और न रात, बस एक ही सपना देखा कि कैसे अपनी गायकी को बेहतर करना है। लता मंगेशकर कोई भी गाना गातीं तो अपने पिता मास्टर दीनानाथ मंगेशकर की दी सीख याद रखतीं। पिता ने कहा था ‘गाते समय हमेशा ये सोचना कि तुमको अपने पिता या गुरु से बेहतर गाना है।‘ लता ने इसको अपने जीवन में उतार लिया। अपनी गायिकी से वो उस ऊंचाई पर पहुंच गई जहां पहुंच पाना किसी के लिए आसान नहीं। लता मंगेशकर की छोटी बहन आशा भोंसले का जन्म आठ सितंबर को हुआ था। लता मंगेशकर की लोकप्रियता के बीच हिंदी फिल्मों की दुनिया में एक ऐसी आवाज आई जिसे संगीतकार राहुल देब बर्मन के हुनर ने वो ऊंचाई दे दी जो लंबे समय तक बनी रही। फिल्म तीसरी मंजिल में आशा भोंसले और मोहम्मद रफी के गाए युगल गीत अमर हो गए। ओ मेरे सोना रे सोना हो या ऐ हसीना जुल्फों वाली हो या आ जा आ जा मैं हूं प्यार तेरा को याद करिए, आज भी वेलेंटाइन डे पर तीसरी मंजिल फिल्म के ये गीत अवश्य बजते हैं।

गीतों से अगर अभिनय की ओर बढ़ें तो सदाबहार अभिनेता देवानंद का जन्म 26 सितंबर को हुआ। देवानंद का सपना था कि वो प्रसिद्ध हों, इसलिए उन्होंने फिल्मों का रास्ता चुना। बांबे आए, लेकिन फिल्मों में काम नहीं मिल पा रहा था। मिलिट्री सेंसर आफिस में नौकरी की। फिर प्रभात स्टूडियो की एक फिल्म हम एक हैं में काम मिला। फिल्म चली नहीं तो संघर्ष और बढ़ गया। इस फिल्म के दौरान उनकी दोस्ती कोरियोग्राफर गुरु दत्त से हो गई थी। एक दिन अचानक ट्रेन में उनकी मुलाकात अशोक कुमार से हुई। देवानंद ने उनसे फिल्मों में काम मांगा। अशोक कुमार ने देवानंद को बांबे टाकीज बुलाया। वहां निर्देशक शाहिद लतीफ ने देवानंद को ये खारिज कर दिया, कहा कि वो चाकलेटी दिखते हैं। अशोक कुमार अड़े रहे। देवानंद को फिल्म जिद्दी फिल्म में काम मिला। उसके बाद की कहानी इतिहास में दर्ज है। एक समय राज कपूर, देवानंद और दिलीप कुमार हिंदी फिल्मों पर राज करते थे। इसी दौर में देवानंद की दोस्ती किशोर कुमार हुई जो आजीवन चलती रही। हाल में हिंदी फिल्मों में पचास वर्ष पूर्ण करनेवाली शबाना आजमी भी सितंबर में ही पैदा हुईं। कपूर खानदान के दो सितारों, रणबीर और करीना कपूर का जन्म भी सितंबर में हुआ। रणबीर कम फिल्में करते हैं लेकिन दर्शकों को अपने अभिनय का कायल बना लेते हैं। करीना भी एक समय हिंदी फिल्मों में टाप की अभिनेत्री बन गई थीं। इन दिनों वो अलग तरह के रोल में नजर आ रही हैं। अभिनेता अक्षय कुमार भी सितंबर में ही जन्मे। दिल्ली से मुंबई जाकर अक्षय ने फिल्मी दुनिया में अपना एक अलग स्थान बनाया। जब हिंदी फिल्मों में तीन खान अभिनेतों का डंका बज रहा था तो उसके बीच अक्षय कुमार की फिल्मों की सफलता ने उनको सुपरस्टार बना दिया। अक्षय ने एक्शन से लेकर कामेडी फिल्मों में काम किया जो दर्शकों को खूब भाया।

अभिनेताओं के बाद अगर हम बात करें दो फिल्म निर्देशकों हर्षिकेश मुखर्जी और यश चोपड़ा भी सितंबर में ही जन्मे थे। आज दोनों हमारे बीच नहीं हैं लेकिन इन दोनों ने हिंदी फिल्मों के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी। बिमल राय जब कलकत्ता (अब कोलकाता) से बांबे आए तो उनके साथ चार अन्य युवा भी मुंबई पहुंचे उनमें से ह्रषिकेश मुखर्जी एक थे। बिमल राय के सहायक के तौर पर हिंदी फिल्मों में आए ह्रषिकेश मुखर्जी ने एक से एक श्रेष्ठ और लोकप्रिय फिल्में बनाईं। उनकी निर्देशित फिल्म आनंद ने अमिताभ बच्चन के अभिनय के नए आयाम से दर्शकों का परिचय करवाया। गोलमाल और मिली जैसी फिल्में मुखर्जी की फिल्म कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। लतो मंगेशकर ने कहा भी था कि वी शांताराम, गुरुदत्त और बिमल राय की परंपरा को ह्रषिकेश मुखर्जी ने आगे बढ़ाया। सितंबर के एक और सितारे हैं यश चोपड़ा। यश चोपड़ा ने अमिताभ बच्चन की फिल्म दीवार का निर्देशन किया जहां से एंग्री यंग मैन का युग आरंभ होता है। लेकिन यश चोपड़ा एक प्रयोगधर्मी निर्देशक थे। एंग्री यंग मैन को गढ़ने के बाद उन्होंने जब सिलसिला या चांदनी बनाई तो उसमें प्यार का एक अलग ही रूप दर्शकों को देखने को मिला। यश चोपड़ा ने एक्शन फिल्में की तो उसमें भी अपनी छाप छोड़ी और जब रोमांस और लवस्टोरी को विय बनाया तो दर्शकों को भी उनकी फिल्म से प्यार हो गया। सितंबर के इन सितारों में कुछ तो है जो इनको विशेष बनाती है। 

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