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Monday, December 23, 2024

सत्यजित राय से प्रभावित थे श्याम बेनेगल


स्वाधीन भारत में जिन कुछ फिल्मकारों ने व्यावसायिक फिल्मों से हटकर समांतर सिनेमा की शुरुआत की उनमें श्याम बेनेगल प्रमुख हैं। 1973 में जब श्याम बेनेगल की पहली फिल्म अंकुर प्रदर्शित हुई तबतक उनका संघर्ष बहुत लंबा हो चुका था। करीब 12 वर्षों के बाद उनका फिल्म बनाने का सपना पूरा हो सका। श्याम बेनेगल ख्यात फिल्मकार सत्यजित राय को अपना गुरु मानते थे। बेनेगल ने एकाधिक बार ये माना कि उनपर सत्यजित राय का गहरा प्रभाव था। वो सत्यजित राय की तरह की ही फिल्में बनाना चाहते थे। जब फिल्म अंकुर की एडिटिंग हो रही थी को श्याम बेनेगल ने सत्यजित राय को बांबे (अब मुंबई) बुलाकर फिल्म दिखाई थी। मुंबई के बुडहाउस रोड और कोलाबा के बीच एक छोटे से थिएटर में सत्यजित राय ने अंकुर देखी थी। फिल्म देखने के बाद सत्यजित राय ने खूब प्रशंसा की थी। उन्होंने श्याम बेनेगल से पूछा था कि इस फिल्म से तुम्हारी क्या अपेक्षा है?  बेनेगल ने उत्तर दिया था कि वो चाहते हैं कि फिल्म मुंबई के इरोस सिनेमाघर में सप्ताह भर चले। तब सत्यजित राय ने कहा था कि ये एक नहीं कई हफ्तों तक चलेगी। राय का कथन सही साबित हुआ था। इस फिल्म से श्याम बेनेगल को फिल्मकार के रूप में पहचान मिली। 

श्याम बेनेगल को इंदिरा गांधी पसंद करती थीं। उनकी फिल्म अंकुर की वो प्रशंसक थीं। कहा जाता है कि विदेशी राजनयिकों को वो अंकुर दिखाया करती थीं। इमरजेंसी के दौरान 1976 में जब श्याम बेनेगल की फिल्म निशांत आई तो भारत सरकार ने उसको प्रतिबंधित कर दिया। भारत में इस फिल्म पर प्रतिबंध था लेकिन अंतराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में फिल्म निशांत पसंद की जा रही था। कान फिल्म महोत्सव में तो इस फिल्म को आडियंस अवार्ड भी मिला था। इस फिल्म को भारत में पदर्शित करने के लिए सत्यजित राय ने इंदिरा गांधी को पत्र लिखा । इंदिरा गांधी ने फिल्म मंगवा कर देखी। फिल्म देखने के बाद उस वक्त के सूचना और प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ला को प्रतिबंध हटाने का उपाय ढूंढने को कहा। शुक्ला को जब पता चला कि बेनेगल सीधे इंदिरा गांधी तक पहुंच गए हैं तो आगबबूला हो गए। उन्होंने बेनेगल को अपने दफ्तर में बुलावाया और काफी देर तक कार्यालय में खड़े रहने को मजबूर किया। बाद में कुछ शर्तों के साथ प्रतिबंध हटाने का आश्वासन दिया। प्रतिबंध हटा। पर फिल्म के पहले एक सूचना देनी पड़ी कि इस फिल्म की घटनाएं स्वाधीनता पूर्व के भारत की हैं। फिल्म प्रदर्शित हुई। श्याम बेनेगल ने कई बेहतरीन फिल्में बनाई लेकिन उनको याद किया जाएगा उन फिल्मों के लिए जिसमें उन्होंने सामाजिक विषमता दिखाई। 


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