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Saturday, October 9, 2010

उदासीन हिंदी समाज

आज हिंदी आलोचना के शिखर पुरुष रामविलास शर्मा की जन्मतिथि है । सुबह दफ्तर पहुंचा तो अपने सहयोगी से पूछा कि आपको मालूम है कि आज रामविलास जी का जन्मदिन है तो उन्होंने सहज भाव से कहा कि क्या आज रामविलास पासवान का जन्मदिन है । मैं हतप्रभ रह गया और मुझसे कुछ कहते नहीं बना । हम अपने पूर्वज साहित्यकारों के प्रति इतने उदासीन क्यों है । क्यों नहीं हमारे जेहन में उनका नाम आता है । इस उदासीनता के लिए क्या हमारा हिंदी समाज जिम्मेदार है । या फिर हमारे साहित्यकार खुद जिम्मेदार हैं । इस विषय पर लिखने का मन बना रहा हूं । तबतक आप अपनी प्रतिक्रिया दें ।

2 comments:

सोनू said...

किस विषय पर चर्चा करें? पुराने लेखकों से अनजान होने के पीछे के कारण व्यापक ही होंगे।

एक बात गिना सकता हूँ, पुरानी किताबों और उनके नए संस्करणों की अनुपलब्धता।

Anonymous said...

I was curious if you ever thought of changing the page layout of your blog?
Its very well written; I love what youve got to say.
But maybe you could a little more in the way of content so people could connect with it better.
Youve got an awful lot of text for only having 1 or 2 images.
Maybe you could space it out better?