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Friday, October 28, 2011

उच्च मानदंड की अपेक्षा

जब टीम अन्ना की सहयोगी किरण बेदी पर हवाई यात्राओं के लिए ज्यादा पैसे वसूलने का आरोप लगा तो पहले ज्यादा पैसा लेने को लोगों की भलाई के लिए लिया गया पैसा करार देकर उसको जायज ठहराने की कोशिश की गई । बाद में किरण ने यह ऐलान कर अपनी ईमानदारी का परचम लहराने की कोशिश की कि वो उन संगठनों के पैसे वापस कर देंगी जिनसे ज्यादा पैसे वसूले गए थे। सवाल पैसे वापस करने का नहीं है । सवाल यह है कि टीम अन्ना की अहम और मुखर सदस्य किरण बेदी ने जिस तरह से अपनी यात्रा के लिए गैर सरकारी संगठनों से ज्यादा पैसे वसूले वो उनकी इंटेग्रेटी पर बड़ा सवाल खड़े करता है । सार्वजनिक जीवन में नैतिकता और शुचिता का डंका पीटनेवाली किरण बेदी ने एक नहीं बल्कि कई संगठनों से अपनी हवाई यात्रा के एवज में ज्यादा धन लिया । उनपर आरोप है कि उन्होंने इकॉनामी क्लास में यात्रा की और बिजनेस क्लास के टिकट के बराबर भुगतान हासिल किया । अपने उपर लग रहे आरोपों से तिलमिलाई किरण बेदी कहा कि यात्रा टिकट से जो पैसे बचे वो लोगों की भलाई के लिए उन्होंने अपने एनजीओ में जमा करवा दिए । टेलीकॉम घोटाले में जेल में बंद तमिलनाडू के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि की बेटी कनिमोड़ी ने भी अपने एनजीओ में ही धन लिया था । उनका संगठन भी लोगों की भलाई के ही काम करता है । तो क्या उनके भी गुनाह माफ कर दिए जाने चाहिए । लिहाजा किरण बेदी की इन दलीलों में दम नहीं है । जिस नैतिकता और शुचिता की बात करते हुए किरण बेदी ने हमारे देश के नेताओं को कठघरे में खड़ा किया था उन्हीं के भंवर में वो फंस गई हैं । इल्जाम इतने पर ही नहीं रुके । आरोप यह भी है कि उन्होंने एक ही शहर की यात्रा के लिए दो अलग अलग संगठनों से पैसे लिए । किरण बेदी को गैलेंटरी अवॉर्ड की बिनाह पर यात्रा में छूट मिलती है । किरण बेदी ने वो छूट भी हासिल की और फिर किराए का पूरा पैसा भी वसूला । यह तो सीधे तौर पर घपला है। सरकारी छूट भी हासिल करो उसको भुना भी लो ।ईमानदारी का डंका भी बजाओ और जहां मौका मिले वहां माल भी काट लो । इनके अगुवा अन्ना हजारे चूंकि मौन व्रत पर हैं इस वजह से उनके प्रमुख सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने किरण बेदी के समर्थन में मोर्चा संभाला और अपनी चिरपरिचित शैली में किरण का बचाव करते हुए कहा कि यह सब जनलोकपाल के मुद्दे से देश का ध्यान हटाने की साजिश के तहत किया जा रहा है । केजरीवाल पहली बार डिफेंसिव और दलीलों में लचर लग रहे थे । सिर्फ जनलोकपाल के मुद्दे से ध्यान हटाने की कोशिश की आड़ में किरण का बचाव करने में असमर्थ केजरीवाल ने आनन फानन में बुलाई अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में तो यहां तक कह डाला कि उन्हें पूरे मामले की जानकारी नहीं है । सवाल यह उठता है कि अगर आपको पूरे मामले की जानकारी नहीं थी तो फिर मीडिया के सामने आकर बयानबाजी क्यों कर रहे हैं । क्या बयान देने से पहले पूरे मामले की जानकारी हासिल करने की जरूरत नहीं समझी गई । जब सवालों के तीर ज्यादा चलने लगे तो अरविंद ने इशारों-इशारों में मीडिया को इस मामले में केस दर्ज करवाने की नसीहत दे डाली । सवाल अब भी सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ा है कि क्या किरण बेदी ने गलत नहीं किया । क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का एक तथाकथित बड़ा चेहरा छोटे से लाभ के लिए अपने रास्ते से भटक नहीं गया । क्या वीरता के लिए मिले छूट का बेजा इस्तेमाल नहीं किया । क्या लोगों की भलाई करने के लिए भ्रष्ट तरीके से पैसा जुटाना जायज है । अरविंद और अन्ना हजारे हमेशा से पारदर्शिता की बात करते रहे हैं लेकिन किरण बेदी के मामले में जो गड़बड़झाला है उससे उसकी हवा निकल जाती है ।
दूसरा संगीन इल्जाम लगा है टीम अन्ना के एक और अहम सदस्य डॉक्टर कुमार विश्वास पर । अन्ना आंदोलन के दौरान कुमार विश्वास बड़े जोश-ओ-खरोश के साथ रामलीला मैदान में मंच संचालन करते नजर आए थे । उसके बाद गाहे बगाहे खबरिया चैनलों ने भी उनको तवज्जो दी । कुमार विश्वास ने भी खुद को टीम अन्ना का प्रवक्ता साबित करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी । कुमार विश्वास ने खुद को टीम अन्ना के अहम सदस्य के तौर पर स्थापित भी कर लिया । लेकिन इन सबके बीच कुमार यह भूल गए कि वो गाजियाबाद के लाजपत राय कॉलेज में शिक्षक भी हैं । आरोप है कि बेईमानी के खिलाफ ईमानदारी का झंडा थामे कुमार विश्वास ने क्लास लेना बंद कर दिया । देश के लिए बड़ी जिम्मदारी निभाने वाला शख्स छात्रों के प्रति अपनी जिम्मेदारी भुला बैठा । छात्र कॉलेज आते रहे और शिक्षक के गैरहाजिर रहने पर मायूस होकर लौटते रहे । कॉलेज प्रशासन के मुताबिक कुमार विश्वास बगैर किसी जानकारी से अनुपस्थित रहते हैं । कुमार विश्वास कवि सम्मेलनों में जाकर ज्ञान का अलख जगा रहे हैं, पैसे भी कमा रहे हैं । पैसा कमाना गलत नहीं है लेकिन नौकरी करते हुए बगैर छुट्टी के आंदोलन में शामिल होना, चुनाव में दौरे पर जाना कितना जायज है । क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है कि जिस काम के लिए आपको पैसे मिलते हैं उसको आप उचित ढंग से नहीं कर रहे हैं । अरविंद केजरीवाल ने कुमार विश्वास के मसले पर भी सफाई देने की कोशिश की और इस मुद्दे को भी जनलोकपाल से ध्यान भटकाने वाला करार दिया । लेकिन क्या टीम अन्ना पर उठनेवाला हर सवाल जनलोकपाल से भटकाने के लिए उठाया जा रहा है । अरविंद जैसे समझदार आदमी से इस तरह के लचर तर्क की अपेक्षा नहीं थी। यहां यह जानना दिसचस्प होगा कि कुमार विश्वास ने अगर अपने कॉलेज से छुट्टी ली तो वजह क्या बताई । सवाल यह है कि टीम अन्ना अगर ईमानदारी और नैतिकता की बात करेंगे तो उन्हें पहले खुद ही उसका पालन करना होगा ।
टीम अन्ना ने जब भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का ऐलान किया था तो पूरे देश ने उन्हें सर आंखों पर बिठा लिया था । टीम अन्ना के हर सदस्य को लेकर, टीम अन्ना के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं को लेकर समाज में एक इज्जत बनी थी । जब दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे अनशन पर बैठे थे तो तिरंगा हाथ में लिए लोगों को, बाइक सवार युवकों को लोग अपनी गाड़ियां रोककर रास्ता देते थे । यह उसी प्रकार की श्रद्धा का प्रदर्शन था जैसा कि लोग कांवड़ियों को रुककर रास्ता देते वक्त करते हैं । कहने का मतलब यह कि देश की जनता के मन में टीम अन्ना और उसकी विश्वसनीयता की बेहद उंची जगह बनी थी । टीम अन्ना भ्रष्टाचार के खिलाफ एक ऐसे प्रतीक के तौर पर उभरी थी जिसपर पूरा देश आंख मूंदकर श्रद्धाभाव से यकीन कर रहा था । आंदोलन शुरू होने के बाद टीम अन्ना के कई सदस्यों पर संगीन इल्जाम लगने शुरू हो गए । सबसे पहले प्रशांत भूषण को नोएडा में फॉर्म हाउस के लिए जमीन आवंटन का मामला उछला । उस जमीन का आवंटन भी टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की तरह पहले आओ पहले पाओ की नीति के तहत किया गया था । नोएडा की जमीन का मामला थमा भी नहीं था कि इलाहाबाद के उनके घर की रजिस्ट्री की फीस का मामला सामने आया । प्रशांत भूषण के बाद अरविंद केजरीवाल को इंकम टैक्स विभाग की तरफ से बकाया राशि चुकाने का नोटिस मिला । लेकिन जब ये आरोप लग रहे थे तो अन्ना आंदोलन अपने चरम पर था और लोगों को लगा कि सरकार और चंद लोग टीम अन्ना को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं । प्रशांत और अरविंद पर लग रहे आरोपों का असर उल्टा हुआ था । देश की जनता और मजबूती के साथ टीम अन्ना से जुड़ती चली गई ।
अब वक्त आ गया है कि टीम अन्ना को उन्हीं उच्च मानदंडों पर खरा उतरना होगा जिसके लिए वो आंदोलन कर रहे हैं । गांधी जब कोई बात कहते थे तो पहले खुद उसपर अमल करते थे । गांधी उपदेश कम देते थे मिसाल कायम करके जनता को वो काम करने के लिए प्रेरित ज्यादा करते थे । गांधी के अनुयायियों ने भी उसी सिद्धांत पर अमल किया । टीम अन्ना से भी देश उसी ईमानदारी और नैतिकता की अपेक्षा रखता है ।

3 comments:

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