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Friday, February 21, 2014

कलंकित पेशा, शर्मसार समाज

दिल्ली में जिस वक्त एक पूर्वोत्तर के छात्र की कथित पिटाई से मौत पर बवाल मचा हुआ था उसी वक्त पूर्वोत्तर से एक ऐसी खबर आई जो शर्मनाक होने के साथ साथ समाज को चिंतित करनेवाली थी । दिल्ली में पूर्वोत्तर की छात्र की मौत का मामला इतना तूल पकड़ा कि उसके कोलाहल में ये खबर दब कर रह गई ।  पूर्वोत्तर के ही एक विश्वविद्यालय की शोध छात्रा ने अपने शोध निर्देशक की हरकतों से तंग आकर खुदकुशी कर ली। खबरों के मुताबिक शोध निर्देशक छात्रा के साथ अश्लील हरकतें करता था और छात्रा के विरोध के बाद उसको तरह तरह से तंग करता था । इस तरह का वाकया भारत की गुरु शिष्य परंपरा पर कलंक है, हमारे समाज पर बदनुमा धब्बा है । दरअसल हाल के दिनों में पूरे देश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से इस तरह की बेचैन करनेवाली खबरें नियमित अंतराल पर आती रहती हैं । चाहे वो दिल्ली विश्वविद्यालय हो या फिर देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक दिल्ली का ही जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय । हर जगह से छात्राओं के यौन शोषण की खबरों के आरोप शिक्षक पर लगते रहे हैं। विश्वविद्यालय की जांच में बहुधा शिक्षक दोषी पाए जाते रहे हैं और उनपर कार्रवाई भी होती है। कई बार जुर्माना और पदावनति तो कई बार शिक्षकों को मुअत्तल तक किया जाता रहा है । दिल्ली विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर को तो इस तरह के आरोप में अपनी नौकरी तक गंवानी पड़ी । उनको अदालत से भी राहत नहीं मिली ।  सवाल नौकरी जाने या सजा मिलने का नहीं है सवाल है कि शिक्षा के संस्थानों में ऐसी कुत्सित मानसिकता वाले लोगों की बढ़ती संख्या और कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में यौन शोषण की बढ़ती घटनाएं ।
हमारे समाज में आदिकाल से गुरु को भगवान से उपर का दर्जा प्राप्त है । गुरू को ब्रहमा, विष्णु और महेश तक कहा गया है । कहा तो  भी गया है कि गुरू भगवान से भी ऊपर होते हैं । याद कीजिए गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पांय, बलिहारि वा गुरू की जिमि गोविंद दियो बताय । मतलब यह कि अगर गुरु और भगवान दोनों साथ खड़े हों तो पहले गुरु को प्रणाम करूंगा क्योंकि गुरु ने ही तो भगवान के बारे में बताया है । उस देश में जहां गुरू को इतना ऊंचा दर्जा हासिल है वहां अगर कोई भी शिक्षक अपनी छात्रा के साथ यौन शोषण करता या करने की कोशिश करता है तो वो अक्षम्य अपराध है, समाज को कलंकित करनेवाला अपराध, भरोसे का कत्ल करने का अपराध, मान्यताओं को धराशायी करने का अपराध। इस तरह के अपराध या घिनौनी करतूतों की सजा पदावनति या नौकरी से बर्खास्तगी नहीं हो सकती है । जिस छात्रा को के साथ किसी शिक्षक ने बदसलूकी की है उसकी मानसिक स्थिति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है । लेकिन इस तरह के ज्यादातर मामलों में ये देखा गया है कि आरोपी शिक्षकों को मामूली सजा देकर यौन शोषण के मामले को रफा दफा कर दिया जाता है । होना यह चाहिए कि इस तरह के अपराध के लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान हो । दिल्ली में निर्भया गैंगरेप के बाद बने कानून के तहत उनपर कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि गुरू-छात्र के बीच के भरोसे के रिश्ते को कोई कलंकित करने के बारे में कोई सोच भी नहीं सके । इस कानून क बनानेवाले स्वर्गीय जस्टिस जे एस वर्मा ने इस तरह के अपराध पर विस्तार से विचार किया है । लेकिन हमारे यहां की सरकारें छात्राओं के यौन शोषण के मामलों को लेकर संवेदनशील नहीं हैं । निर्भया गैंगरेप के पहले केंद्र सरकार ने कार्यस्थल पर यौन शोषण का एक बिल सितंबर दो हजार बारह में लोकसभा में पेश किया था । संवेदनहीनता इतनी कि इस बिल पर व्यापक चर्चा तक नहीं की गई थी । निर्भया गैंगरेप के बाद देशभर में उठे जनज्वार ने सरकार को फिर से विचार करने को मजबूर कर दिया ।
 दरअसल इन मामलों में होता यह है कि छात्रा जब भी अपने यौन शोषण की शिकायत करती है तो विश्वविद्यालय शिकायत की जांच के लिए एक कमेटी बना देती है । यौन शोषण का केस सामने आने के बाद विशाखा गाइडलाइंस के मुताबिक विश्वविद्यालय के ही कर्मचारियों की कमेटी बनाई जाती है जिसमें आधी सदस्य महिलाएं होती हैं, इसके अलावा महिलाओं के यौन शोषण के खिलाफ काम करनेवाली गैर सरकारी संस्था का भी एक सदस्य इस कमेटी में होता है ।  विशाखा गाइडलाइंस के मुताबिक ऐसे मामलों में सबसे पहले भारतीय दंडविधान की धाराओं के अंतर्गत सक्षम अधिकारियों के पास मामला दर्ज करवाना होता है । लेकिन हमारे देश के विश्वविद्यालयों में ये देखा जाता है कि यौन शोषण का केस दर्ज करवाने के पहले एक इंटरनल कमेटी से उसकी जांच करवाई जाती है । अब जबकि नए कानून के मुताबिक यौन शोषण और बलात्कार की परिभाषा बदल गई है तो जरूरत इस बात की है कि मामला के सामने आने के बाद फौरन बाद आरोपी के खिलाफ केस दर्ज हो और कानून के हिसाब से कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो । ताकि फिर हम गर्व से कह सकें – गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुर देवो महेश्वर: । 

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