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Sunday, April 20, 2014

कायम रहेगा जादुई यथार्थवाद

अपने एक इंटरव्यू में गाब्रिएल गार्सिया मार्केज से जब पूछा गया था कि अगर किसी लेखक को सफलता या प्रसिद्धि जल्द मिल जातेी है तो ये उसके लेखन के लिए अच्छा है या बुरा तो मार्केज ने कहा था कि लेखक के लिए प्रसिद्धि किसी किसी भी वय में बुरा होता है । मैं तो चाहता हूं कि मेरी किताबें मेरी मृत्यु के बाद प्रसिद्ध हों खासकर उन देशों में जहां किताबें भी माल की तरह से खरीदी बेची जाती हैं । मार्केज की ये ख्वाहिश तो पूरी नहीं हो पाई क्योंकि वो अपने जीवन काल में ही इतने मशहूर हो गए । उनकी किताब वन हंड्रेड इयर ऑफ सालिड्यूड दुनिया के अलग अलग देशों की भाषाओं में अनूदित होकर तकरीबन 5 करोड़ प्रतियां बिक चुकी हैं और लगातार उसकी मांग बनी हुई है। मार्केज की इस किताब को कालजयी उपन्यास का दर्जा हासिल है । इसके अलावा भी स्पेऩिश में लिखने वाले इस महान लेखक की अन्य किताबें भी खासी लोकप्रिय रही हैं। मार्केज ने अपनी जिंदगी की शुरुआत पत्रकार के तौर पर की थी और जिंदगी के आखिरी क्षणों तक अपने पत्रकार होने पर गर्व करते रहे । मार्केज का मानना था कि पत्रकार को बहुत सोच विचार कर अखबार के हितों को ध्यान में रखकर लिखना होता है वहीं उपन्यासकार को तो अपनी पसंद और विचार और अपनी विचारधारा को व्यक्त करने की पूरी आजादी होती है । और अपनी इसी आजादी का उन्होंने अपनी रचनाओं में जमकर आनंद उठाया था चाहे वो वन हंड्रेड इयर ऑफ सालिट्यूड हो या फिर उनका पहला उपन्यास लीफ स्टॉर्म ।

गाब्रियल गार्सिया मार्केज का जन्म एक लातिन अमरीकी देश कोलंबिया में हुआ था । उनका बचपन सामान्य तरीके से नहीं गुजरा । अपने माता पिता से अलग वो अपने नाना-नानी के साथ रहना पड़ा था । बाद के दिनों में मार्केज ने माना था कि उनके लेखन पर उनके नाना-नानी की छाप गहरी रही है । कहानियों और उपन्यासों के कहने के स्टाइल पर उनकी नानी की किस्सागोई का और नाना के विचारधारा की छाप होने की बात भी मार्केज ने स्वीकारी है । मार्केज नेमाना था कि उनकी रचनाओं में जादुई यथार्थवाद दिखाई देता है वह उनकी नानी की कहानियों का आवश्यक तत्व हुआ करता था । मार्केज की नानी की कहानियों में अंधविश्वास, भूत-प्रेत आदि का समावेश हुआ करता था । उनकी नानी जब कहानी सुनाया करती थी तो उनता अंदाज इस तरह का होता था कि सुनने वाले को घटनाएं और परिस्थियां एकदम से यथार्थवादी लगा करती थी. हो चाहे वो बिल्कुल ही काल्पनिक । मार्केज ने अपनी नानी की इस कला में अपनी बौद्धिकता का पुट देकर उसे मैजिकल रियलिज्म के नाम से प्रतिपादित किया । बाद में वो विश्व में एक कला के तौर पर स्थापित हो गई । मार्केज का पहला उपन्यास लीफ स्टॉर्म उन्नीस सौ उनचास में छपा । इस उपन्यास के साथ भी एक दिलचस्प किस्सा जुड़ा हुआ है । इसको प्रकाशक मिलने में तकरीबन सात साल लगे थे । लेकिन बाद में मार्केज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और फिर एकर के बाद एक उपन्यासों और कहानियों ने उनको विश्व लेखक के तौर पर स्थापित कर दिया । उनकी रचनाओं का अलग अलग भाषाओं में अनुवाद होने लगा और 1982 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार मिला । उनकी रचनाओं पर फिल्में बनीं । लव इन द टाइम ऑफ कॉलरा पर बनी फिल्म ने सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले थे । मार्केज के निधन से साहित्य का एकर ऐसा सितारा चला गया जिसकी चमक से साहित्य का दुनिया जगमगाया करता था ।