कुछ दिनों पहले जब ऋषि कपूर का निधन हुआ था तो
मनोरंजन चैनलों पर ऋषि कपूर के पुराने इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल हुए। कपिल
शर्मा के शो में ऋषि और नीतू सिंह वाला एपिसोड भी खूब चला। उस एपिसोड में जब ऋषि
कपूर की प्रेमिकाओं की बात हो रही थी तो कपिल शर्मा ने नीतू सिंह से एक अंगूठी के
बारे में पूछा, जब नीतू सिंह ने कहा कि वो उनके पास है तो ऋषि ने कहा कि छोड़ो वो
किस्सा यार वो किसी के पास नहीं है वो तो समंदर में है। दरअसल ये बात हो रही थी ऋषि
कपूर की उस अंगूठी के बारे में जो उनको उनकी पहली प्रेमिका यासमीन मेहता ने अपने
प्रेम की निशानी के तौर पर दी थी। ये एक बेहद साधारण अंगूठी थी लेकिन उसपर एक खास
तरह का चिन्ह बना हुआ था। ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा ‘खुल्लम खुल्ला’ में
लिखा है कि जब वो लोग बॉबी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे तो डिंपल ने उस अंगूठी को
उनकी उंगुली से निकालकर अपनी उंगली में पहन लिया था। फिर डिंपल ने उसको लौटाया नहीं
और उस अंगूठी को पहनती रही। बॉबी फिल्म की शूटिंग के दौरान ही राजेश खन्ना ने
डिंपल को देखा और उसको अपना दिल दे बैठे। उस समय राजेश खन्ना सुपर स्टार थे और उनकी
लोकप्रियता चरम पर थी। राजेश खन्ना ने डिंपल को प्रपोज किया और दोनों शादी के बंधन
में बंध गए। लेकिन इस बीच एक बेहद दिलचस्प किस्सा हुआ। जब राजेश खन्ना ने डिंपल को
प्रपोज करने के लिए उनका हाथ अपने हाथ में लिया तो उनको वो अंगूठी दिखाई दी जो
डिंपल ने ऋषि की उंगली से उतारकर अपनी उंगली में पहन रखा था। राजेश खन्ना को डिंपल
की खूसूरत उंगली में वो अंगूठी नहीं भायी और उन्होंने डिंपल के हाथ से उस अंगूठी
को उतारकर जूहू के अपने घर के नजदीक समंदर में उछाल दिया। ऋषि कपूर और यासमीन के
प्यार की निशानी जो डिंपल की उंगली में चमकती थी वो समंदर के आगोश में समा गई। उस
वक्त फिल्मी गॉसिप छापने वाली पत्रिकाओं में छपा भी था, राजेश खन्ना ने ऋषि कपूरी
की अंगूठी समंदर में फेंकी। लेकिन ऋषि ने साफ तौर पर कहा है कि उनको डिंपल से कभी
प्यार नहीं था, न ही उनको प्रति आकर्षित थे। हां उन्होंने इतना जरूर माना कि वो
डिंपल को लेकर थोड़े पजेसिव थे।
बॉलीवुड सितारों की अंगूठी, उनकी मोहब्बत और समंदर
का ये रोमांटिक जिक्र पहली बार नहीं हुआ। इसके पहले देवानंद ने भी अपनी आत्मकथा ‘रोमासिंग विद लाइफ’ में भी
किया है। देवानंद और सुरैया का प्रेम परवान चढ़ रहा था लेकिन सुरैया की नानी को ये
पसंद नहीं आ रहा था और उन्होंने साफ तौर पर सुरैया को ये संदेश दे दिया था कि अगर
ये प्रेम सबंध आगे बढ़ा तो या तो सुरैया रहेगी या उनकी नानी। लेकिन सुरैया की मां
अपनी बेटी और देवानंद के प्यार के पक्ष में थी। जब सुरैया के प्यार पर पहरा लगा था
तो उनकी मां ने ही देवानंद और सुरैया को रात साढे ग्यारह बजे के बाद अपने अपार्टमेंट
की छत पर मिलने का इंतजाम किया था। देवानंद ने अपनी आत्मकथा में बेहद रोचक तरीके
से इस मुलाकात का उल्लेख किया है। उसी मुलाकात में सुरैया ने देवानंद से अपने
प्रेम का इजहार किया था और उनसे आलिंगबद्ध होकर ‘आई लव
यू’ कहा था। प्यार के इस मोड़ पर देवानंद इतने खुश
थे कि उन्होंने अगले ही दिन मुंबई के झवेरी बाजार से सुरैया के लिए एक एक बेहद
खूबसूरत अंगूठी खरीदी। अब समस्या ये थी कि सुरैया तक अंगूठी पहुंचे कैसे। देवानंद
फोन करें तो सुरैया की नानी उठाएं और ये फोन रख दें। संपर्क का कोई सूत्र नजर नहीं
आ रहा था। अचानक देवानंद को अपने सिनेमेटोग्राफर मित्र दिवेचा याद आए। दिवेचा पहले
भी देवानंद और सुरैया के बीच प्रेम-पत्रों के आदान प्रदान का माध्यम बन चुके थे। जब
दिवेचा को देवानंद ने फोन किया तो उन्होंने पूछा कि क्या फिर से प्रेम-पत्र
पहुंचाना है। एक दिन पहले ही सुरैया से मिल चुके देवानंद ने बेहद खुशी के साथ कहा
था कि नहीं इस बार इंगेजमेंट रिंग पहुंचाना है। फिर दिवेचा ने देवानंद की वो
अंगूठी सुरैया तक पहुंचा दी। अब देवानंद की खुशी सातवें आसमान पर थी और वो ये
मानकर बैठे थे कि उनकी इंगेजमेंट हो गई लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। सुरैया
की नानी और उनके रिश्तेदारों ने मिलकर सुरैया पर इतना दबाव बनाया कि वो देवानंद से
संबंध तोड़ने पर राजी हो गई। सुरैया जब इस बात के लिए राजी हो गई तो एक दिन वो
देवानंद की अंगूठी लेकर समदंर के किनारे पहुंची। उसे अपनी उंगली से उतारा और आखिरी
बार देखा, देवानंद के साथ के अपने प्यार को याद किया और फिर अंगूठी को सागर की
लहरों पर उछाल दिया। उन लहरों ने देवानंद और सुरैया के प्यार की निशानी को अपने
आगोश में ले लिया। फिर समंदर शांत हो गया और सुरैया अपने घर लौट आई।
1 comment:
वाह! बहुत रोचक किस्से। दुश्यंत-शकुंतला की अंगूठी भी मछली निगल गई थी। मजा आया पढ़ कर।
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