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Saturday, September 3, 2022

राजनीति के ‘रंगबाज’ और ‘महारानी’

मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू होने के बाद बिहार में सामाजिक बदलाव की बयार बही थी। लगभग उसी समय बिहार में कई ऐसे बाहुबली भी उभरे जो बाद में राजनीति के रास्ते विधानसभा और संसद के सदस्य बने। इनमें पप्पू यादव से लेकर आनंद मोहन तक और शहाबुद्दीन से लेकर सूरजभान सिंह तक का नाम शामिल है। बाद के दिनों में भी ये क्रम चलता रहा और स्थानीय स्तर के अपराधी भी विधानसभा पहुंचने लगे। इन आपराधिक प्रवृत्ति वाले नेताओं का लगभग सभी राजनीतिक दल ने अपने हित में उपयोग किया। किसी ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले इन नेताओं उपयोग सरकार बनाने के लिए समर्थन जुटाने में किया तो किसी ने सरकार बचाने के लिए। 1990 के बाद के दशकों में बिहार की राजनीति का अपराधीकरण तेज हुआ। उसी समय राजनीति के अपराधीकरण पर देशव्यापी चर्चा हुई थी। चुनाव में बूथ लूटने और कब्जा करने की घटनाएं भी खूब हुई, चुनावी हिंसा भी। ये वही दौर था जब बिहार में जाति और विचारधारा के नाम पर सामूहिक नरसंहार हुए। नक्सलियों ने विचारधारा और समानता हासिल करने की आड़ में नरसंहार किए तो जाति आधारित निजी सेनाओं के बीच भी खूनी खेल खेला गया। जातियों के नए नेता पैदा होते चले गए। जातियों के बीच चौड़ी होती खाई को नेताओं ने अपने वोटबैंक के तौर पर उपयोग करना आरंभ कर दिया। पाटने की कोशिश किसी ने नहीं की। लालू प्रसाद यादव जैसे गरीब परिवार से आनेवाले व्यक्ति बिहार के मुख्यमंत्री बने तो सामाजिक न्याय का नारा जोरशोर से लगा। उनपर जब घोटाले का आरोप लगा तो उन्होंने अपने राजनीतिक सहयोगियों को नजरअंदाज करते हुए अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया। कहना न होगा कि उस समय बिहार में राजनीति और अपराध की दुनिया में बहुत कुछ घट रहा था जो किसी फिल्मी पटकथा से कम रोचक और दिलचस्प नहीं था। बिहार में उन्हीं दिनों की राजनीतिक घटनाओं और बाहुबलियों को केंद्र में रखकर कई बेवसीरीज बने भी और अब भी बन रहे हैं।

हाल में दो वेबसीरीज आई है जिसके केंद्र में बिहार की राजनीति, बिहार के बाहुबली और बिहार की राजनीतिक और आपराधिक घटनाएं हैं। जी 5 पर बाहुबलियों को केंद्र में रखकर एक सीरीज आती है जिसका नाम है ‘रंगबाज’। इस वेब सीरीज के पहले सीजन में उत्तर प्रदेश के खतरनाक अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ल के कारनाओं पर आधारित पूर्वांचल की राजनीति को दिखाया गया था। इसमें हरिशंकर तिवारी और वीरेन्द्र शाही के बीच चलनेवाले खूनी खेल को फिक्शनलाइज किया गया था। रंगबाज का पहला सीजन 22 दिसंबर 2018 को रिलीज हुआ था। इस शृंखला में 20 दिसंबर 2019 को राजस्थान के गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के अपराध पर सीरीज आई। इस कहानी में राजस्थान की राजनीति के उन आयामों को भी दर्शकों के सामने पेश किया गया है जिसके बारे में देश दुनिया को जानकारी कम थी। ‘रंगबाज फिर से’ नाम से के बाद इस वर्ष 29 जुलाई को ‘रंगबाज, डर की राजनीति’ के नाम से बिहार के सिवान के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन के बनने और उनके मिटने की कहानी को दर्शकों के सामने पेश किया गया है। रंगबाज के इस सीजन में बिहार में सामाजिक न्याय के दौर की राजनीति के दांव पेंच और अपने राजनीतिक लक्ष्य को हासिल करने के लिए हिंसा का सहारा लेने के बारे में विस्तार से बताया गया है। शहाबुद्दीन के किरदार के साथ विनीत कुमार सिंह ने न्याय किया है। वेब सीरीज के इस सीजन की स्क्रिप्ट बहुत कसी हुई है। इसमें शहाबुद्दीन की प्रेमकथा वाले प्रसंग को भी उभारा गया है। शहाबुद्दीन के चरित्र के क्रूरतम पक्ष पर अपेक्षाकृत कम फोकस किया गया है। चंदा बाबू, जिनके बेटों की हत्या हुई थी, के दर्द और संघर्ष को उभारने में निर्देशक लगभग नाकाम रहे हैं। कहा जा सकता है कि ये सीजन शहाबुद्दीन पर केंद्रित है इस वजह से चंदा बाबू पर ज्यादा फोकस नहीं किया गया है। अगर चंदा बाबू के दर्द और संघर्ष को उभारा गया होता तो शहाबुद्दीन के कारनामों को अधिक प्रामाणिकता के साथ पेश किया जा सकता था। दरअसल इस तरह से सीरीज के लेखक सुनी सुनाई बातों, पुस्तकों और इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर कहानी कंस्ट्रक्ट करते हैं। उनको उस दौर के समाचरपत्रों को भी देखना चाहिए और कहानी लिखने के पहले प्राथमिक स्त्रोतों तक पहुंचना चाहिए था।

बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव जब घोटाले के भंवर में फंसे तो उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया था। उस घटना पर केंद्रित वेब सीरीज महारानी का दूसरा सीजन भी आया है। दूसरे सीजन में निर्देशक और लेखक ने इसकी कहानी को बहुत अधिक काल्पनिक बनाकर फिल्मी बनाने की कोशिश की है। इसमें पति पत्नी के बीच के संघर्ष में ‘वो’ की एंट्री कहानी को ‘पति पत्नी और वो’ की ओर ले जाती है। केंद्रीय पात्र भीमा भारती का अपनी पार्टी की कार्यकर्ता कीर्ति सिंह के साथ प्रेम चलता है। फिल्मी अंदाज में तीज वाले दिन जब भीमा भारती अपनी प्रेमिका कीर्ति सिंह के साथ अकेले कमरे में होते हैं तो रानी भारती की एंट्री कराई जाती है। ये बेहद पुराना फार्मूला रहा है। इस सीरीज में भी जब ये प्रसंग आता है तो दर्शक चौंकता नहीं है क्योंकि उसको पता है कि आगे क्या होनेवाला है। प्रेम प्रसंग के अलावा इसमें राजनीति की तमाम साजिशें हैं, तिकड़में हैं, डरा धमकाकर नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश भी है। पूरी कहानी अविभाजित बिहार में चलती है जहां शिबू सोरेन का किरदार भी महत्वपूर्ण पात्र के रूप में सामने आता है। झारखंड राज्य को लेकर सियासी सौदेबाजी भी है। इसके अलावा कई किरदार बिहार की समकालीन राजनीति के नेताओं से मेल खाते हैं। बहुत वर्षों पहले पटना में एक विधायक ने एक लड़की के साथ रेप किया था। वो आपराधिक वारदात देश भर में चर्चित हुआ था। उस घटना को भी महारानी सीजन 2 में दिखाकर इसको बिहार की कहानी बताने और बनाने की कोशिश निर्माताओं ने की है। और तो और इसमें चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के चरित्र से मेल खाता एक महिला पात्र गढ़ा गया है जो हमेशा लैपटाप पर आंकड़ों का खेल करती है। अपने नेता की छवि निर्माण में लगी रहती है।

रानी भारती के रोल में हुमा कुरैशी ने बेहतरीन अभिनय किया है लेकिन उनको अपने उच्चारण पर काम करने की जरूरत है। जब वो बिहार की कम पढ़ी लिखी मुख्यमंत्री के रूप में बोलती हैं तो ये उनके बोली से परिलक्षित नहीं होता है। कई स्थितियों में उनका इस तरह का उच्चारण खटकता है। बावजूद इन कमियों के महारानी का सीजन 2 पहले सीजन से बेहतर है। अब निर्माताओं ने तीसरे सीजन का भी संकेत दे दिया है। भीमा भारती की हत्या हो जाती है। दूसरे सीजन के अंत में जिस तरह से वेबसीरीज को मर्डर मिस्ट्री बनाने की कोशिश हुई है उसको देखकर लगता है कि इस सीरीज को लिखनेवालों के सामने राजनीति की जमीन को पकड़े रहने की चुनौती होगी। अन्यथा राजनीति से आरंभ होकर ये वेबसीरीज प्रेम त्रिकोण के रास्ते अपराध कथा में बदल जाएगी। ये अच्छी बात है कि बिहार की राजनीति और यहां की आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं पर मनोरंजन की दुनिया का ध्यान गया है। बिहार में इस तरह के पात्रों और घटनाओं की कमी नहीं है। अभी न बने लेकिन भविष्य में इस बात की संभवाना तो है ही कि जब महारानी का चौथा या पांचवा सीजन आएगा तो उसमें नीतीश कुमार के राजनीतिक दांव-पेंच और अलग अलग पार्टियों के साथ सरकार बनाने की घटनाओं पर भी रोचक कहानी कंस्ट्रक्ट होगी। तब इसको देखना और दिलचस्प होगा।   

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