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Monday, September 11, 2023

मोहब्बत की ‘चांदनी’


मैं तुमसे मोहब्बत करता हूं, मैं तुमसे मोहब्बत करता हूं, ये दो सादा से बोल जहां में पहली पहली बार न जाने किसने कहे और किससे कहे। जब जब ये बोल मोहब्बत की दुनिया में किसी ने दोहराए मासूम हंसी बेकल होकर दीवानावार चले आए। नेपथ्य से ये आवाज आती है और फिर चांदनी, चादनी, चांदनी की पुकार सुनकर सफेद कपड़ों में, सफेद दुपट्टा लहराती, सफेद धुंध के बीच श्रीदेवी जब परदे पर आती है तो सिनेमा हाल तालियों से गूंज उठता था। आप ठीक समझे हम बात कर रहे हैं आज से 39 वर्ष पहले आई फिल्म चांदनी की जिसने श्रीदेवी को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया था। यश चोपड़ा की इस फिल्म में ऋषि कपूर, विनोद खन्ना और अनुपम खेर आदि भी थे लेकिन इसको श्रीदेवी की फिल्म के तौर पर याद किया जाता है। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के मध्यमवर्गीय परिवार की एक चुलबुली लड़की की भूमिका में श्रीदेवी ने उत्कृष्ट अभिनय किया। ये फिल्म इतनी सफल हुई थी कि 14 सितंबर 1989 को फिल्म के रिलीज होने के बाद युवतियों के फैशन में सफेद सलवार कमीज और दुपट्टे का चलन बढ़ गया था। इस फिल्म के पहले शायद ही किसी अभिनेत्री ने सफेद बिंदी लगाई हो। श्रीदेवी ने सफेद सलवार कमीज के साथ सफेद बिंदी लगाई। घुटनों से लंबी चोटी, हाथों में कांच की चूड़ियां पहनकर ये चुलबुली लड़की दर्शकों को अपने मोहपाश में बांध लेती थी। इस फिल्म कि नायिका के चेहरे का लावण्य और शिफान साडियों के गेटअप में पर्द पर उसकी उपस्थिति ऐसा रोमांटिक माहौल बनाती थी जिसमें दर्शक खो जाते थे। श्रीदेवी की नकल में उन दिनों लड़कियों ने भर भरकर हाथों में चूड़ियां पहनी थीं। यही इस फिल्म  की सफलता का बड़ा कारण था। रेचल डायर ने अपनी पुस्तक में यश चोपड़ा को उद्धृत किया है। यह बताया गया कि पहले भानु अथैया ने इस फिल्म का ड्रेस डिजायन किया था लेकिन वो यश चोपड़ा को पसंद नहीं आया। वो लीना को लेकर आए और सफेद और चटख रंगों के कपड़े तैयार करवाए गए। मध्यवर्गीय लड़कियों की पसंद को ध्यान में रखा गया। घर में होते हुए वो कैसे कपड़े पहनती हैं और आफिस में कैसी साड़ियां या कपड़े पहनती हैं। ये सोच जब पर्दे पर उतरा तो सफल रहा।  

श्रीदेवी ने फिल्म चांदनी में अपने अभिनय से दर्शकों का तो दिल जीता ही निर्देशक यश चोपड़ा का भरोसा भी जीता। बहुत कम लोगों को ये मालूम है कि श्रीदेवी चांदनी फिल्म के लिए यश चोपड़ा की पहली पसंद नहीं थीं। यश चोपड़ा चाहते थे कि रेखा इस भूमिका को निभाए। पता नहीं ये संयोग हो सकता है लेकिन यश चोपड़ा की फिल्म सिलसिला में रेखा का नाम चांदनी ही था। रेखा को यश जी ने इस फिल्म की कहानी सुनाई लेकिन रेखा इस भूमिका के लिए तैयार नहीं हुईं। रेखा के इंकार करने के बाद यश चोपड़ा ने श्रीदेवी को अपनी फिल्म में लिया। फिल्म के प्रदर्शन के समय यश चोपड़ा ने इस बात को स्वीकार किया था कि रेखा अपने समय की सबसे प्रतिभाशाली अभिनेत्री है। जब मैंने चांदनी के लिए श्री को साइन किया था तब मुझे इस बात का यकीन नहीं था कि वो रेखा जितना अच्छा अभिनय कर पाएगी लेकिन शूटिंग के पहले शेड्यूल के समाप्त होते होते मुझे अपने चयन पर खुशी होने लगी थी। श्री ने कमाल कर दिया था और ऐसा लगने लगा था कि चांदनी तो वही है। इतना ही नहीं चांदनी फिल्म की मूल कहानी वो नहीं थी जो पर्दे पर आई। रेचल की पुस्तक में ही इस बात का भी जिक्र मिलता है कि मूल कहानी में ऋषि कपूर और श्रीदेवी की शादी हो जाती है और उनके एक बेटा भी होता है। इस कहानी के आधार पर दिल्ली में शूटिंग भी आरंभ हो गई थी। जब कुछ दिनों की शूटिंग हो गई तो यश चोपड़ा ने रील्स देखने शुरु किए। उनको मजा नहीं आया। अब वो कहानी बदलना चाहते थे। दिल्ली में शूटिंग के दौरान ही यश चोपड़ा ने पटकथा लेखक के साथ बैठकर मध्यांतर तक की कहानी बदल दी और उसको फिर से शूट किया। 

फिल्म चांदनी एक बेहरीन रोमांटिक फिल्म थी और ऐसा माना जाता है कि कयामत से कयामत तक, चांदनी और मैंने प्यार किया ने हिंदी फिल्मों में रोमांस की वापसी करवाई। 1988 में कयामत से कयामत तक आई फिर चांदनी और फिर मैंने प्यार किया। इसके पहले हिंदी फिल्मों में एक्शन का दौर था। यश चोपड़ा एक्शन फिल्मों से इतना ऊब चुके थे कि उन्होंने फिल्म चांदनी में विनोद खन्ना और श्रीदेवी का एक एक्शन सीक्वेंस हटा दिया। मूल कहानी में श्रीदेवी आग में फंसती है और विनोद खन्ना उनको बचाते हैं। यश जी को ये सीन रोमांटिक फिल्म में नहीं भा रहा था। जब उनके इस कदम के बारे में फिल्म के वितरकों को पता चला तो उन्होंने फिल्म से विनोद खन्ना के एक्शन दृश्य को हटाने का विरोध किया। उनका तर्क था कि विनोद खन्ना की फिल्म में एक्शन नहीं होगा तो फिल्म चलेगी नहीं। यश चोपड़ा उस सीन को हटाने पर अड़े थे और वितरक जुड़वाने पर। यश चोपड़ा ने एक तरकीब सोची, उन्होंने वितरकों को कम दर पर फिल्म देने का प्रस्ताव किया। वितरक तैयार हो गए। फिल्म चांदनी बिना विनोद खन्ना के एक्शनन दृश्य के सिनेमागृहों तक पहुंची। उसके बाद की कहानी तो इतिहास है लेकिन इस फिल्म की नायिका के गेटअप ने फैशन का जो ट्रेंड बदला वो हिंदी फिल्मों में सदैव याद रखा जाएगा।  

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