हिंदी साहित्य जगत में अरसे से चर्चा थी कि यतीन्द्र मिश्र फिल्म निर्देशक और गीतकार गुलजार पर पुस्तक लिख रहे हैं। आखिरकार यतीन्द्र मिश्र की बहुप्रतीक्षित पुस्तक इस वर्ष आई। दैनिक जागरण संवादी में इस पुस्तक की पहली झलक पाठकों को देखने को मिली। ये पुस्तक गुलजार की आधिकारिक जीवनी और उनकी रचनात्मकता के विभिन्न आयामों को प्रस्तुत करती है। इसमें विभाजन के बाद विस्थापन का दर्द, संघर्ष और फिल्मों में उनके आरंभिक दिनों से लेकर शीर्ष पर पहुंचने की कहानी है। ये पुस्तक दो भागों में है जिसका नाम गुलजार के गीतों से लिया गया है। पहला भाग हजार राहें मुड़ के देखीं और दूसरा खंड है थोड़ा सा बादल, थोड़ा सा पानी। पहला खंड लगभग साढे तीन पृष्ठों का है, जिसमें लेखक ने गुलजार के जीवन और रचनाकर्म पर रोचक तरीके से लिखा है। दूसरे खंड में गुलजार का बहुत लंबा साक्षात्कार है जो पहले खंड की प्रामाणिकता को पुष्ट करता है।
पुस्तक- गुलजार सा’ब, प्रकाशक- वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, मूल्य- रु 1995
जितेन ठाकुर का नाम समकालीन हिंदी कथाकारों में सम्मान के साथ लिया जाता है। उनकी कहानियों में जो किस्सागोई होती है वो पाठकों को बांधती है। कहानीकार जब संस्मरण लिखता है तो उसका प्रयास होता है कि वो घटनाओं को एक ऐसे कथासूत्र में पिरोए कि पाठकों को रोचक लगे। जितेन ठाकुर ने अपने संस्मरणों की पुस्तक जुगनुओं के मेले में स्वयं को केंद्र में तो रखा तो है लेकिन घटनाओं के उल्लेख के साथ कहानी जब आगे बढ़ती हैं तो ऐसा लगता है कि पाठक वर्णित कालखंड में पहुंच गया हो। जम्मू तहसील के एक युवक की किसान बनने की जिद और उसके शिकारी बन जाने की कथा वो इस तरह से रचते हैं जिसको पढ़ते हुए पाठकों को ये एहसास ही नहीं होता है कि वो अपने पड़दादा की कहानी बता रहे हैं। इंटर कालेज में फीस माफी का प्रसंग हो या नौकरी का संघर्ष, जितेन ठाकुर के कहन का अंदाज निराला है।
पुस्तक- जुगनुओं के मेले, प्रकाशक- मेधा बुक्स, दिल्ली, मूल्य- रु 200
साहित्य अकादमी और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित वरिष्ठतम लेखक रामदरश मिश्र अपने जीवन के शताब्दी वर्ष में चल रहे हैं। रामदरश मिश्र करीब अस्सी वर्षों से लेखन कर्म में लगे हैं। उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन किया है और अपने रचनाकर्म से उसे समृद्ध भी किया है। उनके शताब्दी वर्ष में आलोचक ओम निश्चल ने उनके जीवन और साहित्य को परखते हुए एक पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में ओम निश्चल ने रामदरश मिश्र की कविताओं, गजलों, उपन्यासों और उपन्यासिकाओं पर विचार किया है। इस पुस्तक में ओम निश्चल जी ने रामदरश मिश्र से जुड़े संस्मरण भी लिखे हैं जो अपने मोहक गद्य की ववजह से पठनीय हैं। इस पुस्तक में रामदरश मिश्र जी के विभिन्न अवसरों पर लिए गए साक्षात्कार भी संकलित हैं। कहना न होगा कि ये पुस्तक रामदरश मिश्र के लंबे लेखकीय जीवन को जानने समझने की कुंजी है।
पुस्तक- रामदरश मिश्र, जीवन और साहित्य, प्रकाशक- सर्वभाषा प्रकाशन, नई दिल्ली, मूल्य- रु 449
जनरल रावत ने भारत के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ यानि तीनों सेनाओं के प्रमुख का दायित्व संभाला और प्रखरता और तेजस्विता के साथ नेतृत्व किया। जनरल रावत ऐसे देशभक्त सैनिक थे जिनको ना केवल अपने देश के सैनिकों पर भरोसा था बल्कि अपने विज्ञानियों के सामर्थ्य पर विश्वास भी था। उन्होंने भारतीय सेना में सुधारों के अलावा मेक इन इंडिया पर खासा जोर दिया। डीआरडीओ और सेना के बीच के अंतर्विरोधों को दूर करके उन्होंने देसी सैन्य साजो समान के उत्पादन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया। अपने सैन्य प्रमुख के कार्यकाल में उन्होंने सिरक्षा बलों के साथ साथ सुरक्षा तंत्र के आधुनिकीकरण की दिशा में बहुत योगदान किया। हेलीकाप्टर दुर्घटना में उनका निधन हो गया। ऐसे चीफ आफ डिफेंस स्टाफ के पराक्रमी और प्रेरक जीवन गाथा को मनजीत नेगी ने कलमबद्ध किया। इस पुस्तक में सैन्य जीवन के अलावा उनकी जिंदगी के महत्वपूर्ण पड़ावों को भी लेखक ने रोचक तरीके से रेखांकित किया है।
पुस्तक- महायोद्धा की महागाथा, प्रकाशक- प्रभात प्रकाशन, मूल्य- रु 500
भारतीय ज्ञान परंपरा में गीता एक ऐसा ग्रंथ है जिसपर कई मनीषियों ने विचार किया है, जिसमें चक्रवर्ती राजगोपालाचारी से लेकर विनोबा भावे तक शामिल हैं। उनके बाद भी कई विद्वानों ने गीता को अपने तरीके से व्याख्यित करने का प्रयास किया। हाल में लेखक और प्रशासनिक अधिकारी विजय अग्रवाल ने भी अपनी नई पुस्तक गीता का ज्ञान के माध्यम से इस ग्रंथ को अपनी तरह से व्याख्यित किया है। इसके विभिन्न अध्यायों में कर्म को केंद्र में रखकर उन्होंने अपनी स्थापना दी है। कर्म के अलावा उन्होंने मन और पहचान को भी अपनी पुस्तक में प्रमुखता दी है और गीता के श्लोकों के आधार पर उसका विवरण प्रस्तुत किया है। विजय अग्रवाल की पुस्तक की शैली और व्याख्या के तरीके को देखकर लगता है कि लेखक ने युवाओं को ध्यान में रखकर इसको लिखी है।
पुस्तक- गीता का ज्ञान, प्रकाशक- बेंतेन बुक्स, भोपाल, मूल्य- रु 350
1 comment:
Having read this I thought it was really enlightening.
I appreciate you taking the time and energy to put this informative article together.
I once again find myself spending a lot of time both reading and leaving comments.
But so what, it was still worth it!
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