अस्सी के दशक की एक फिल्म में नोबेल पुरस्कार विजेता और अंग्रेजी कविता को नई दिशा देनेवाले कवि टी एस इलियट के पारिवारिक जीवन के कई अनछुए पहलुओं को दर्शाया गया था जिसको लेकर अच्छा खासा विवाद खड़ा हो गया था । इलियट पर यह आरोप लगता रहा है कि वो एक क्रूर पति थे और अपनी पहली पत्नी विवियन पर तमाम जुल्म किया करते थे । इसको लेकर इंग्लैंड और अमेरिका में अच्छा खासा विवाद भी रहा है और इलियट के जीवन काल में उनपर जमकर हमले भी हुए और उन्हें तमाम आलोचनाएं झेलनी पड़ी । दरअसल अगर हम इलियट के जीवन के पन्नों को थोड़ा पलटें तो बेहद दिलचस्प कहानी सामने आती है । ये उन्नीस सौ पंद्रह के वसंत की बात है जब हॉवर्ड में ‘डॉयल’ के संपादक सियोफील्ड थायर ने अपनी बहन की दोस्त और डांसर विवियन वुड से इलियट को मिलवाया । वसंत का मौसम था, पहचान को प्यार में बदलते देर नहीं लगी और इलियट ने परिवार की मर्जी के खिलाफ विवियन से शादी रचा ली । लेकिन इसके बाद के संघर्ष ने दोनों के रिश्तों के बीच खटास ला दी । एक वजह विवयन की बर्टेंड रसेल से नजदीकी भी रही । संघर्ष के दिनों में इलियट अपनी पत्नी के साथ रसेल के घर रह रहे थे , उस दौरान कुछ समय के लिए बर्टेंड रसेल और विवियन एक दूसरे के बेहद करीब आ गए थे । इस करीबी ने पति-पत्नी के रिश्ते में दरार डाल दी । संबंध बनते बिगड़ते रहे लेकिन दस साल के बाद दोनों अलग रहने लगे और अपने धार्मिक विश्वास के चलते तलाक नहीं ली । पति से अलग रहने और साथ होने की तमाम कोशिशों के नाकामयाब होने से विवयन को जो मानसिक तनाव और अवसाद हुआ उसने उसे अंदर से तोड़ दिया । हालात इतने बिगड़े कि उसे लंदन के एक मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती करवाना पड़ा । तबियत ठीक होने की बजाए बिगड़ती चली गई और विवयन उन्नीस सौ सैंतीस में गुमनामी में उसकी मौत हो गई । यह वो वक्त था जब इलियट को अंग्रेजी कविता की दुनिया में प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा दोनों हासिल हो रही थी । आलोचकों का आरोप है कि अपने करियर के चक्कर में इलियट ने अपनी पत्नी पर समुचित ध्यान नहीं दिया और उसे उसके हाल पर मरने के लिए छोड़ दिया । कालांतर में इलियट ने दूसरी शादी भी रचाई ।
लेकिन इलियट की मौत के चालीस साल बाद ये तमाम आरोप खारिज होते नजर आ रहे हैं । इलियट की दूसरी पत्नी के वैलेरी ने इलियट के कुछ पत्रों का संग्रह प्रकाशित किया है जो बीस से तीस के दशक में इलियट ने अपने भाई और अपने साहित्यिक मित्रों को लिखा था । इन पत्रों से यह साफ जाहिर होता है कि इलियट अपनी पहली पत्नी की बीमारी को लेकर बेहद दुखी रहा करते थे । विवयन की देखभाल करनेवाले डॉक्टरों को कोसते हुए इलियट ने उन्हें जर्मन ब्रूट और अपनी हुनर का दंभ भरनेवाला डॉक्टर करार दे रहे थे । उन्होंने एक पत्र में लिखा कि वो अपनी पत्नी की बीमारी से इतने तंग आ चुके हैं कि वो आत्महत्या करना चाहते हैं ।
अप्रैल उन्नीस सौ चौबीस में इलियट ने अपने भाई को लिखा- ‘विवियन की पिछली बीमारी और उसकी वजह से जो कष्ट झेल रही है, मैं उसका वर्णन नहीं कर सकता । मैं उसे तीन महीने के लिए अकेला भी नहीं छोड़ सकता ।‘ जब उन्नीस सौ सत्ताइस में इलियट ने अमेरिका की नागरिकता छोड़ कर ब्रिटिश नागरिकता स्वीकार की तो उपन्यासकार जॉन मिडिल्टन मरे को एक पत्र लिखा-‘ मेरी पत्नी की तीबयत बेहद खराब है और अब तो हालता इतने बिगड़ चुके हैं कि पिछले तीन दिनों से वह ये सोच रही है कि उसके शरीर और दिमाग का साथ छूट चुका है । अपने दुख और संत्रास का वर्णन करते हुए इलियट ने यहां तक लिख दिया कि मैंने जानबूझकर अपनी भावनाओं का कत्ल कर दिया है, अपने आपको मार दिया है ताकि मैं विवियन को ये एहसास दिला सकूं कि कोई उसका ध्यान रखनेवाला है । मरे को ही एक दूसरे खत में इलियट ने ये लिखा कि - विवयन की तबीयत बहुत खराब है और कई बार तो ये लगता है कि वो मौत उसके बिल्कुल पास खड़ी है ये उसके जीवन का सबसे खराब पल हैं और वो किस्मत के सहारे ही जीवित है । इलियट के इस पत्र को उनकी दूसरी पत्नी के सक्रिय सहयोग से प्रकाशित किया गया है । इन पत्रों से इलियट की क्रूर पति और एंटी सीमेटिक की जो छवि थी वो धव्स्त होती लग रही है । लेकिन पत्रों के इस संग्रह के प्रकाशन के पहले ही पश्चिमी मीडिया में इसको लेकर अच्छी खासी साहित्यिक बहस शुरू हो गई है और इलियट के समर्थकों ने आरोप लगानेवाले आलोचकों पर हल्ला बोल दिया है । अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ये बहस किस दिशा में मुड़ती है और अंग्रेजी के महानतम कवियों में से एक इलियट को लेकर अंग्रेजी आलोचकों का क्या रुख होता है ।
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