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Friday, June 29, 2018

लेखन का ज्वांइट वेंचर


बेस्टसेलर लेखक अमीश ने अपनी नई किताब, सुहैलदेव और बहराइच का महासंग्राम का एलान किया था। इस किताब के बारे में बात करते हुए अमीश ने एक चौकानेवाली जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि विकास सिंह उनके सहलेखक हैं। पुस्तक का जो कवर जारी किया गया था उसमें भी अमीश के साथ छोटे आकार में सहलेखक के रूप में विकास सिंह का नाम छपा है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि अमीश किसी के साथ मिलकर किताब लिख रहे हैं। रचनात्मक लेखन में यह नए तरह के ट्रेंड की शुरुआत है। अमीश के मुताबिक उन्होंने भारतीय गाथाएं श्रृंखला के लिए अलग अलग लेखकों को सहलेखक के तौर पर रखा है। इस योजना में अमीश सहलेखक के साथ आइडिया साझा करते हैं,सहलेखक उस आइडिया और विषय से संबंधित शोध अमीश की सोच के हिसाब से किताब लिखता है। जब किताब तैयार हो जाती है तो अमीश उसको देखते हैं और भाषा और कथ्य में अपने लेखन के स्टाइल के हिसाब से बदलाव कर फाइनल करते हैं। सुहैलदेव और बहराइच का महासंग्राम भी इसी तरह से लिखा गया है। अमीश का कहना है कि इस तरह से लिखकर वो हर छह महीने पर अपनी किताब पाठकों के लिए प्रस्तुत कर सकेंगे। भारतीय प्रकाशन जगत के लिए यह एक नया ट्रेंड है जहां लेखक अपनी सोच को अमली जामा पहनाने के लिए एक सहलेखक रखता है। बातचीत में अमीश ने बताया कि किताब पूरी तरह से उनकी होगी, पाठकों को कहीं से ये नहीं लगेगा किसी और ने इसका लेखन किया है। सहलेखक के होने से यह सहूलियत होगी कि मूल लेखक विषय के रिसर्च और पहले ड्राफ्ट की मेहनत से बच जाएगा और अपना अधिक समय आइडिएशन और नए प्लॉट की तलाश में लगा सकेगा।
भारत के लिए यह ट्रेंड भले ही नया हो लेकिन विदेशों में इससे मिलता जुलता प्रयोग काफी सफल रहा है। मशहूर अपराध कथा लेखक जेम्स पैटरसन तो इसको और भी व्याप्क रूप से अपने लेखन के साथ जोड़ते हैं। अपने उपन्यास प्राइवेट की सीरीज के लिए पैटरसन ने कई देशों में सहलेखक रखा वहां की स्थानीय कहानी को अपने स्टाइल में लिखा जा सके। 2014 में जेम्स पैटरसन को जब मुबंई को केंद्र में रखकर अपना उपन्यास लिखना था तो उन्होंने अश्विन सांघी को अपना सहलेखक रखा था। जेम्स पैटरसन सहलेखक को कहानी लेकर आने को कहते हैं और फिर उसको अपने स्टाइल में लिखने की सलाह देते हैं या फिर उस कहानी में सुधार करते हैं। अभी हाल ही में जेम्स पैटरसन ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के साथ मिलकर एक उपन्यास लिखा, द मिसिंग प्रेसिंडेंट। इसमें भी साइबर अटैक,आतंकवादी हमले को विषय बनाया गया है। यह उपन्यास जबरदस्त हिट रही है। हिंदी में लेखन का ये ज्वाइंट वेंचर अगर चल पड़ा तो स्थिति बेहद दिलचस्प होगी और संभव है कि अमीश जैसे लेखकों की पुस्तकें धड़ाधड़ बाजार में आएं।   

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