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Friday, March 13, 2020

असमय चला गया प्रतिभाशाली कथाकार

हिंदी के प्रतिभाशाली लेखक, कहानीकार और संपादक प्रेम भारद्वाज ने बहुत ही कम उम्र में दुनिया छोड़ दी। हिंदी साहित्य में जब राजेन्द्र यादव के संपादन में साहित्यिक पत्रिका हंस अपनी कहानियों और पत्रिका में उठाए गए विवादों की वजह से चर्चा बटोर रहा था तब प्रेम भारद्वाज ने पाखी के संपादन का बीड़ा उठाया था। अपने संपादकीय कौशल की वजह से प्रेम भारद्वाज ने पाखी को हिंदी साहित्य की एक ऐसी पत्रिका के रूप में स्थापित किया जो हंस को चुनौती देने लगा था। राजधानी के साहित्य जगत में बहुधा इस बात की चर्चा होती थी साहित्य में अब नोएडा और दरियागंज के बीच मुकाबला है। हंस का प्रकाशन दरियागंज से होता था जबकि पाखी नोएडा से निकलती है। प्रेम भारद्वाज भी अपने संपादकीयों में अक्सर विवाद उठाने की कोशिश करते थे लेकिन वो राजेन्द्र यादव की तरह खुलकर नहीं खेलते थे। वो परोक्ष रूप से अपनी बात कहते थे। प्रेम भारद्वाज आज से करीब बीस-बाइस साल पहले पटना से दिल्ली आए थे। पाखी में उन्होंने लंबे समय तक काम किया। साहित्यिक पत्रिका में संसाधनों की कमी की बात हमेशा सामने आती है लेकिन बावजूद इसके प्रेम भारद्वाज ने पाखी की स्तरीयता को कभी कम नहीं होने दिया। पाखी में उन्होंने नए लेखकों को जोड़ा।
मुझे याद पड़ता है कि पिछले वर्ष के विश्व पुस्तक मेला में प्रेम भारद्वाज की मांग सबसे अधिक थी। हमलोग मजाक में कहते भी थे कि वो घंटे के हिसाब से कार्यक्रमों में उपस्थित हो रहे हैं। लगातार किताबों पर होनेवाले कार्यक्रमों का संचालन करना या फिर नई किताबों पर बोलना यह साबित करता था कि प्रेम भारद्वाज के अध्ययन का दायरा बहुत विस्तृत था। कुछ सालों पहले उनकी पत्नी का निधन हो गया। फिर अप्रिय परिस्थियों में उनको पाखी छोड़ना पड़ा था जिसके बाद उन्होंने दिल्ली से ही भवन्ति नाम की साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया था। इस पत्रिका के शुरुआती अंकों ने काफी चर्चा बटोरी थी। अचानक एक दिन खबर आई थी कि प्रेम भारद्वाज नोएडा के मेट्रो अस्पताल में भर्ती हो गए हैं। बाद मे पता चला था कि कैंसर ने उनको अपनी चपेट में ले लिया है। नोएडा-दिल्ली और अहमदाबाद में उनका इलाज चला और वो ठीक होने लगे थे। सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हो गए थे और उन्होंने पाठकों को भरोसा दिया था कि जल्द ही भवन्ति का नया अंक सामने होगा। अचानक एक दिन खबर फैली की उनको ब्रेन हेमरेज हो गया। उसके चंद दिनों बाद प्रेम भारद्वाज के निधन की खबर से हिंदी जगत सन्न रह गया। उऩका कहानी संग्रह फोटो अंकल काफी चर्चित रहा था। प्रेम भारद्वाज ने सबरंग साहित्य के लिए कई बार लिखा था। उनको श्रद्धांजलि।

1 comment:

रेणु said...

स्तब्ध हूँ सुनकर अनंत जी | प्रेम जी पाखी के रूप में एक अनमोल थाती छोड़ गये हैं | उनका जाना स्तब्ध और आहत दोनों कर गया | व्यक्तिगत रूप से परिचित नहीं पर उनके योगदान से वाकिफ हूँ | भगवान् उनकी आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान से दिवंगत आत्मा को कोटि नमन |