वर्ष 2022 बीतने को आया। साहित्य सृजन की दृष्टि से इस वर्ष कुछ उल्लेखनीय पुस्तकों का प्रकाशन हुआ। कथेतर विधा में प्रकाशित पुस्तकों पर मेरी टिप्पणी
हिंदी साहित्य के इतिहास में जब छायावाद पर बात होती है तो जयशंकर प्रसाद, निराला, महादेवी और पंत का नाम लिया जाता है। जयशंकर प्रसाद की कृति कामायनी पर मुक्तिबोध से लेकर रामस्वरूप चतुर्वेदी तक ने विस्तार से लिखा है। उनकी रचनाओं को समग्रता में समझने के लिए इस वर्ष एक पुस्तक आई है, जयशंकर प्रसाद, महानता के आयाम। जयशंकर प्रसाद की रचनाओं से गुजरते हुए पाठकों को ये अनुभूति होती है कि कवि/लेखक खुद को लगातार परिष्कृत करता चलता है। इस पुस्तक के लेखक ने अपनी इस पुस्तक में प्रसाद के इस गुण को भी रेखांकित करने का प्रयास किया है।
पुस्तक- जयशंकर प्रसाद, महानता के आयानम, लेखक- करुणाशंकर उपाध्याय, प्रकाशक- राधाकृष्ण प्रकाशन,नई दिल्ली, मूल्य- रु. 1495
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संस्कृत काव्यशास्त्र के अध्येता राधावल्लभ त्रिपाठी का मानना है कि साहित्य का उत्स जीवन है। कविता और उसकी व्याख्या के सिद्धांतों के मूल में लोक और जीवन है। इसलिए वो कहते हैं कि जीवन में रस है, रीति है, वक्रोक्ति है तो ये सारे तत्व कविता में भी हैं। अपनी पुस्तक भारतीय साहित्यशास्त्र की नई रूपरेखा में त्रिपाठी संस्कृत काव्यशास्त्र की प्राचीन परंपरा का परीक्षण करते हैं। साथ ही भारतीय काव्यशास्त्र के संदर्भों से वैश्विक साहित्य के मूल्यांकन की एक पीठिका भी तैयार करते हैं। इसमें साहित्य की उपादेयता के साथ रस और अलंकार का भी विवेचन है।
पुस्तक- भारतीय साहित्यशास्त्र की नई रूपरेखा, लेखक- राधावल्लभ त्रिपाठी, प्रकाशक- सामयिक बुक्स, नई दिल्ली, मूल्य- रु. 895
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नाम और कवर के चित्रों से ये लग सकता है कि ये फिल्मी पुस्तक है। दरअसल ये पुस्तक एक साहित्यिक कृति के फिल्म बनने की बेहद दिलचस्प कहानी है। ‘दो गुलफामों की तीसरी कसम’ नाम की इस पुस्तक के लेखक हैं अनंत। उन्होंने इस पुस्तक में बहुत ही रोचक अंदाज में फणीश्वर नाथ रेणु की कृति ‘मारे गए गुलफाम अर्थात तीसरी कसम’ के पात्रों के चयन पर लिखा है। गाड़ीवान हिरामन और नर्तकी हीराबाई की भूमिका निभाने वाले कलाकार से लेकर फिल्म के निर्देशक चुनने की रोचक कहानी है, जिसको अनंत ने सधे अंदाज में लिखा है।
पुस्तक- दो गुलफामों की तीसरी कसम, लेखक- अनंत, प्रकाशक- कीकट प्रकाशन, पटना, मूल्य- रु 650
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कश्मीर साहित्य और संस्कृति को लेकर बेहद समृद्ध रहा है। भारत की इस भूमि पर ऐसे ऐसे दार्शनिक, कवि और लेखक हुए हैं जिन्होंने भारतीय प्रज्ञा को अपनी लेखनी से नई ऊंचाई दी। कश्मीरी काव्य में रामकथा, कश्मीर के कृष्णभक्त कवि परमानंद, कश्मीर की प्रसिद्ध कवयित्री अलखेश्वरी रूपभवानी और हिंदी और कश्मीरी के अंतर्संबंधों पर केंद्रित एक पुस्तक आई, कश्मीर साहित्य और संस्कृति। इसमें कश्मीरी साहित्य के अलावा वहां की संस्कृति पर भी लेखक शिबन कृष्ण रैणा ने प्रकाश डाला है। कश्मीरी नववर्ष नवरेह से लेकर कश्मीरी शिवरात्रि के बारे में विस्तार से लिखा गया है। कश्मीर की संस्कृति और साहित्य को जानने के लिए यह उपयोगी पुस्तक है।
पुस्तक- कश्मीर, साहित्य और संस्कृति, लेखक- शिबन कृष्ण रैणा, प्रकाशक- लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज, मूल्य – रु 199
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स्वाधीनता के अमृत महोत्व वर्ष में कई गुमनाम नायकों या कम ज्ञात नायकों पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हुई। ऐसी ही एक पुस्तक है महाराणा, सहस्त्र वर्षों का धर्मयुद्ध । इस पुस्तक में लेखक ने मेवाड़ के योद्धाओं की वीरगाथा को कमलबद्ध किया है। लेखक ने मुस्लिम आक्रांताओं से लोहा लेनेवाले और हिंदू समाज की रक्षा करनेवाले मेवाड़ के शूरवीरों और जौहर की ज्वाला में अपने को होम करनेवाली रानियों के बारे में लिखते हुए लेखक सत्य को भी उद्घाटित करते चलते हैं।
पुस्तक- महाराणा,सहस्त्र वर्षों का धर्मयुद्ध, लेखक- ओमेन्द्र रत्नू, प्रकाशक- प्रभात प्रकाशन, दिल्ली, मूल्य- रु 500
3 comments:
Jai Shankar Prasad is not only a Chhayavadi poet (कामायनी) but also a great storyteller in novels, dramas. short stories.
Jai Shankar Prasad is not only a Chhayavadi poet(कामायनी) but also a great storyteller in novels, and dramasand short stories.
jai Shankar Prasad is not only a Chhayavadi poet (कामायनी) but also a great storyteller in novels, dramas, and short stories.
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