3 जून 1973 को फिल्मों के महनायक और अभिनेत्री जया बच्चन की शादी हुई थी। 50 वर्ष पहले बांबे (अब मुंबई) में दोनों परिणय सूत्र में बंधे थे। अमिताभ की शादी में हरिवंश राय बच्चन के कुछ मित्र शामिल हुए थे। अमिताभ के दोस्त संजय गांधी भी। बारात निकलने के पहले पंडित नरेन्द्र शर्मा ने कहा कि दूल्हे को काजल का दिठौना लगना चाहिए। अमिताभ की मुंहबोली बहन नीरजा खेतान तैयार थीं। पुष्पा भारती ने लिखा है कि नीरजा ने जैसे ही काजल की डिबिया में अपनी ऊंगली डाली, उसकी आंखों में एक शरारती चमक तैर गई। तेजी जी ने उसको भांपते हुए कहा कि तेरा नेग तुझे मुंहमांगा मिल जाएगा, कोई शरारात मत करना। छोटा सा दिठौना लगा। बच्चन जी के अमिताभ को तिलक लगाने के बाद बारात मालाबार हिल के लिए चल पड़ी। संयोग ये था कि हिंदी के प्रसिद्ध लेखक भगवती चरण वर्मा बच्चन जी की शादी समारोह में भी थे और अब अमिताभ और जया को आशीर्वाद देने के लिए भी उपस्थित थे।
बारात चली तो अजिताभ और संजय गांधी अपनी गाड़ी को लेकर बहुत तेज चलने लगे। पीछे की गाड़ियां भी तेज रफ्तार पकड़ने लगी तो भगवती बाबू ने एकदम से कहा कि बारात को धीरे-धीरे चलना चाहिए। उनके इतना कहते ही धर्मवीर भारती ने गाड़ी धीरे चलानी शुरू कर दी। आराम से मालाबार हिल्स पहुंचे। द्वारपूजा के बाद हल्की बारिश शुरु हो गई तो किसी ने कहा कि लगता है कि जया ने बचपन में कड़ाही की खुरचन चाटी है तभी ब्याह के समय पानी बरसने लगा है। खुशनुमा माहौल था। जया के मुंहबोले भाई गुलजार भी अपनी नई नवेली दुल्हन राखी के साथ मौजूद थे। छत पर बने विवाह मंडप में रस्में होने लगीं। जब अग्नि के फेरे का समय आया तो जया की बहन नीता अपनी बहन का लहंगा संभालने के चक्कर में दो फेरे लगा गईं। ये देख तेजी बच्चन ने कहा अगर नीता इस तरह से सात फेरे ले लेगी तो उसपर भी अमित का हक हो जाएगा। इतना सुनते ही मंडप ठहाकों से गूंज उठा और नीता ने फौरन जया का लहंगा छोड़ा और बैठ गई। एक और दिलचस्प वाकया हुआ। मंडप पर धान की रस्म के समय दुल्हन के भाई गुलजार की खोज शुरु हुई लेकिन वो कब के निकल चुके थे। पुष्पा जी ने लिखा था, नई नवेली खूबसूरत पत्नी और मौसम की पहली फुहार। इतनी देर तक कहां...। विवाह संपन्न हुआ। बारात के पहले बहन ने भाई को काजल का जो दिठौना लगाया था उसने आजतक भाई को बुरी नजर से बचाकर रखा है।
2 comments:
बढिया है।
रोचक है।
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