पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में रावण वध के बाद हुए
हादसे में चौंतीस लोगों की मौत हुई । मरनेवालों में ज्यादा संख्या में बच्चे और महिलाएं
थी । जांच का एलान हुआ । जांच शुरू हो गई । जांच खत्म भी हो जाएगी । जांच रिपोर्ट भी
बन जाएगी । कोई कार्रवाई होगी या नहीं ये विश्वास, के साथ नहीं कहा जा सकता । हादसे
के बाद पटना के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक का तबादला हो गया । नए अफसर पदस्थापित
हो गए । धीरे धीरे जीवन सामान्य हो भी जाएगा । पर बड़ा सवाल बना रहेगा । क्या इन हादसों
से हम कोई सबक लेंगे । क्या हादसे की जांच में हर बिंदु को शामिल कर सूक्ष्मतासे तफ्तीश
की जाएगी । शायद नहीं । पटना में दो साल पहले छठ पूजा के वक्त भी भगदड़ मची थी । शाम
के वक्त छठ पूजा के पहले अर्घ्य के वक्त अदालतघाट पर मची भगदड़ में चौदह लोगों की मौत
हुई थी । उस वक्त छठ पूजा के दौरान मची भगदड़ के बाद मौके पर पहुंचे न्यूज चैनल के
संवाददाताओं को प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया था कि दो लड़कों ने अचानक से अस्थायी पुल
गिरने की बात शुरू कर दी । साथ ही दोनों लड़कों ने यह भी कहना शुरू किया कि पुल के
पहले बिजली का तार गिर गया है और लोगों की करंट से मौत हो गई है । यह अफवाह जंगल के
आग की तरह फैली और अर्ध्य देकर लौट रहे लोगों के बीच अफरातफरी मच गई । जान बचाने के
लिए लोग भागने लगे । जाहिर सी बात है भगदड़ मच गई और महिलाएं और बच्चे इसके शिकार बने
। पटना के गांधी मैदान में रावण वध के बाद हुए हादसे के बाद भी प्रत्यक्षदर्शियों ने
यह बताया कि दो लड़के आए और उन्होंने बिजली का तार गिरने की बात की । दोनों लड़कों
ने यह भी बताया कि कई लोग करंट की चपेट में आ गए हैं । यहां भी यह अफवाह उसी तरह से
फैली जिसकी परिणति भगदड़ और महिलाओं और बच्चों की मौत में हुई । छठ पूजा और रावण दहन
के दौरान मची घटनाओं को अगर हम जोड़कर देखते हैं तो एक सूत्र नजर आता है । यह सूत्र
है अफवाह की वजह से भगदड़ । दोनों जगह पर बिजली के तार गिरने की अफवाह । हादसे के दोनों
स्थानों पर श्रद्धा का सैलाब । दोनों हादसों की जगह पर महिलाओं और बच्चों की ज्यादा
संख्या में उपस्थिति । दोनों स्थानों पर लोगों के निकलने का तंग रास्ता । सवाल यही
है कि क्या ये हादसा था या इसे एक सोची समझी रणनीति के तहत अंजाम दिया गया ।
जांचकर्ताओं को अफवाह के इस पैटर्न पर खास तवज्जो देनी होगी । इस बात की पड़ताल
करनी होगी कि क्या पटना में अफवाह के अस्त्र से गड़बड़ी फैलाने वाला कोई संगठित गिरोह
तो सक्रिय नहीं है । गंभीरता से इस बात की भी जांच करनी होगी कि क्या गड़बड़ी फैलानेवाले
लोग पहले इस तरह के आयोजनस्थलों की रेकी करते है । जहां हालात उनके अनुकूल होता है
वहां अफवाह फैलाई जाती है । दो हजार बारह के छठ पूजा के दौरान मचे भगदड़ के दौरान अगर
अफवाह वाली बात की जांच की जाती और साजिश के कोण पर भी जांचकर्ताओं का ध्यान जाता तो
शायद पटना के गांधी मैदान में इस बार चौंतीस लोगों की जान नहीं जाती । उस वक्त पुलिस
ने ना तो अफवाह फैलाने वालों का स्केच जारी किया और यह भी ज्ञात नहीं हो सका कि उस
जांच का क्या नतीजा निकला । लेकिन इतना अवश्य साफ है कि पुलिस की ढिलाई से गड़बड़ी
फैलानेवाले अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने में कामयाब हो जाते हैं । मासूमों की
जान जाने के बाद हमारी एजेंसियों चेतती अवश्य हैं पर सबक नहीं लेतीं ।
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