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Sunday, October 12, 2014

मोदियानो को साहित्य का नोबेल

मैं पेरिस के बाजार में टहल रहा था जब मेरी बेटी ने फोन पर मुझे सूचना दी कि स्वीडिश अकादमी ने साहित्य के लिए इस साल के नोबेल पुरस्कार से मुझे सम्मानित करने का फैसला लिया है । मैंने कभी नहीं सोचा था कि साहित्य का नोबेल पुरस्कार मुझे मिलेगा । इस फैसले की जानकारी मिलते ही मैं भावुक हो गया । मैं बेहद खुश हुआ, खुशी इस बात को लेकर और बढ़ गई कि मेरा नाती भी स्वीडिश है और उसी के देश से यह पुरस्कार आया है । मैं यह पुरस्कार उसको समर्पित करता हूं । ये बातें पैट्रिक मोदियानो ने नोबेले पुरस्कार की जानकारी मिलने के बाद नोबेल मीडिया को दिए अपने पहले इंटरव्यू में कही थी । पैट्रिक मोदियानो ने यह सही कहा कि उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि इस साल का साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार उनको मिलेगा, उम्मीद तो पूरे साहित्य जगत को भी नहीं थी । इतना अवश्य था सट्टा बाजार में पैट्रिक मोडियानो का भाव लगातार बढ़ते जा रहा था । महीने भर पहले पैट्रिक मोदियानो पर एक के मुकाबले सौ का भाव लग रहा था जो कि पिछले हफ्ते तक आते आते एक के मुकाबले दस तक पहुंच गया था । इसकी वजह उनका भी है । उनके लेखन से वैश्विक पाठकों का परिचय बेहद कम है । उनकी ज्यादातर रचनाएं फ्रेंच में हैं । फ्रांस के बाहर मोदियानो को बेहद कम लोग जानते हैं । साहित्य के लिए जब नोबेल पुरस्कार फ्रांस के लेखक पैट्रिक मोदियानो को देने का एलान किया गया तो नोबेल पुरस्कार देनेवाली संस्था तक उनसे संपर्क कायम करने में नाकाम रही थी और उनकी बेटी को इसकी सूचना दी गई थी। स्वीडिश अकादमी के सचिव पीटर इंगलैंड ने जब पैट्रिक मोदियानो के नाम का एलान किया तो उन्होंने भी ये माना कि हलांकि पैट्रिक मोदियानो की बाल साहित्य समेत करीब बीस किताबें प्रकाशित हैं,जिनमें से कई तो अनुदित हैं । फ्रांस में वो एक जाना-माना नाम हैं जबकि अन्य जगह पर उनकी कोई खास पहचान नहीं है । यह भी तथ्य है कि फ्रांस में पैट्रिक मोदियानो काफी लोकप्रिय हैं । तकरीबन हर दो साल पर उनकी कोई ना कोई कृति आती रहती है । उनके उपन्यासों का फ्रेंच पाठक बेसब्री से इंतजार करते हैं । पैट्रिक मोदियानो की इसी पहचान की वजह से वो इस बार नोबेल की रेस में नहीं थे । इस बार इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि साहित्य का नोबेल पुरस्कार अमेरिका के लेखक फिलिप रॉथ को मिलेगा । पूरी अमेरिका मीडिया इस बात को लेकर बेहद उत्साहित थी और अमेरिका के एक अखबार के मुताबिक फिलिप रॉथ के बारे में एक किस्सा काफी मशहूर है । किस तरह से नोबेल पुरस्कार के एलान के पहले वो अपने लिटरेरी एजेंट के न्यूयॉर्क दफ्तर पहुंचते हैं और वहां बैठकर स्वीडिश अकादमी के फोन कॉल का इंतजार करते है । इतना ही नहीं पुरस्कार के एलान के बाद देनेवाले अपने वक्तव्य का मसौदा भी तैयार कर लेते हैं । तैयारी तो इस बात की भी हो जाती है कि पुरस्कार के एलान के बाद रॉथ किस कमरे में मीडिया के लोगों से मुखातिब होंगे । लिहाजा जब इस बार पुरस्कार रॉथ को ना देकर पैट्रिक मोदियानो को देने का एलान हुआ तो अमेरिकी मीडिया में काफी हो हल्ला मचा । रॉथ को अमेरिकी मीडिया ने बिगेस्ट लूजर ऑफ द ईयरका खिताब दे दिया । अमेरिकी आलोचकों ने इस बात को लेकर भी शोरगुल मचाया कि स्वीडिश अकादमी अमेरिका के लेखकों को लेकर पूर्वग्रह से ग्रस्त है । उन्नीस सौ एक से लेकर दो हजार चौदह तक दिए गए एक सै ग्यारह पुरस्कारों में से चौदह बार फ्रेंच साहित्यकार को ये पुरस्कार मिल चुका है ।

यह भी बिडंबना है कि जिस शख्स को साहित्य के लिए दो हजार चौदह का सबसे बड़ा सम्मान देने का फैसला हुआ है वह स्कूल ड्रॉप आउट है । दो हजार ग्यारह में मोदियानो ने माना था कि मेरे पास कोई डिग्री नहीं है, कोई निश्चित लक्ष्य नहीं है जिसको पाने का प्रयास करूं  । पर यह एक लेखक के लिए बेहद चुनौती और जोखिम भरा काम है कि वो अपने जीवन के बीसवें साल में लिखना शुरू कर दे । मोदियानो ने कहा था कि वो अपनी पुरानी कृतियों को नहीं पढ़ना चहाते हैं । यह इस वजह से नहीं कि मुझे अपनी रचनाएं पसंद नहीं है बल्कि इस वजह से कि मैं अपने उस दौर को याद नहीं करना चाहता हूं । यह उसी तरह से कि जैसे कोई बुढाता हुआ अभिनेता अपनी जवानी की फिल्मों को देखते हुए एक आंतरिक पीड़ा से गुजरता है । पैट्रिक मोदियानो इस तरह की बात इस वजह से करते हैं कि उनका अधिकांश लेखन संस्मरणात्मक है । दिव्तीय विश्वयुद्द के खत्म होने के करीब दो महीने बाद पैदा हुए पैट्रिक मोदियानो के लेखन का मूल स्वर नाजियों के कब्जे के दौरान फ्रांस के समाज पर पड़नेवाला प्रभाव रहता है । उनका जन्म द्वितीय विश्वयुद्द के बाद हुआ लेकिन उनके लेखन मे विश्वयुद्द के दौर की स्मृतियों की छाप किसी ना किसी रूप में मौजूद रहती है । पुरस्कार समिति ने पैट्रिक मोदियानो की प्रशस्ति में कहा कि उन्हें युद्ध से जुड़ी यादों और समाज और लोगों के मन पर पड़नेवाले प्रभावों को बेहतर ढंग से सामने रखने के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है । उनहत्तर साल के पैट्रिक मोदियानो का पहला उपन्यास तेईस साल की उम्र में छप गया था । उसके बाद उनके कई उपन्यास छपे और कुछ तो काफी मशहूर हुए । उन्नीस सौ अठहत्तर में फ्रेंच में छपा और उन्नीस सौ अस्सी में अंग्रेजी में अनुदित उनके उपन्यास मिसिंग पर्सन ने खूब शोहरत बटोरी थी । इस उपन्यास का केंद्रीय पात्र एक जासूस है जो अपनी याददाश्त गंवा देता है । अपनी याददाश्त को वापस लाने के लिए प्रयत्न करता हुआ ये जासूस इतिहास में भी आवाजाही करता है । माना जाता है कि उनका यह उपन्यास उनकी श्रेष्ठ कृतियों में से एक है । इसके अलावा  ट्रेस ऑफ मलाइस और हनीमून उनकी दो और मशहूर किताबें हैं । उपन्यास और बाल साहित्य के अलावा मोदियानो की फिल्मों में भी गहरी रुचि रही है । उन्होंने कई फिल्मों की पटकथा भी लिखी । कान फिल्म फेस्टिवल की जूरी में भी वो रह चुके हैं । यहूदी इतावली मूल के पिता और बेल्जियन अभिनेत्री मां की संतान पैट्रिक इन दिनों पेरिस के एक उपनगर में रहते हैं और दो हफ्ते पहले ही उनकी नई कृति सो दैट यू डोंट देट लॉस्ट इन द नेबरहुड प्रकाशित हुई है । माना जाता है कि यह उपन्यास आत्मकथात्मक है । आनेवाले दिनों में ये उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत के पाठकों के लिए भी मोदियानो की किताबें उपलब्ध हो सकेंगी । 

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