एक तरफ जहां काले धन के मुद्दे पर संसद के बाहर और अंदर
हंगामा मचा हुआ था, गर्मागर्म बहस चल रही थी वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के नोएडा में
आयकर विभाग की छापेमारी चल रही थी । एक तरफ जहां मुलायम सिंह यादव सरकार पर काला धन
वापस नहीं लाने के मुद्दे पर हमलावर थे तो दूसरी ओर नोएडा के चीफ इंजीनियर के घर के
बाहर खड़ी गाड़ी से दस करोड़ रुपए बरामद हो रहे थे । नोएडा के चीफ इंजीनियर के घर से
करोड़ो की नकदी और दो किलो हीरे के अलावा देश विदेश में निवेश के दस्तावेज बरामद हुए
हैं । संसद में बहस और छापेमारी में मिला घूस का अकूत पैसा । एक बार फिर से देश की
राजनीति के केंद्र में काला धन का मुद्दा वापस आ गया । नरेन्द्र मोदी सरकार के कदमों
और प्रधानमंत्री के विदेश दौरे के बीच काला धन का मुद्दा नेपथ्य में चला गया था । जबकि विदेशों में जमा कालेधन के मुद्दे को लोकसभा
चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी ने खूब हवा दी थी । बीजेपी समर्थक रामदेव
और बीजेपी से निष्कासित मशहूर वकील राम जेठमलानी ने भी कालेधन के खिलाफ एक माहौल तैयार
किया था । उस वक्त की कालेधन के खिलाफ बने माहौल से यह संदेश गया था कि अगर विदेशों
में जमा काला धन वापस आ गया तो देश के हर शख्स को पंद्रह लाख रुपए मिलेंगे । समाजवादी
पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने यही आरोप लोकसभा में लगाया भी । लोकसभा चुनाव के
दौरान ग्लोबल फाइनेंसियल इंटेग्रिटी ऑर्गेनाइजेशन की उस रिपोर्ट का बार बार जिक्र किया
गया था जिसमें यह बताया गया था कि दो हजार तीन से दो हजार ग्यारह के बीच भारत से करीब
इक्कीस लाख करोड़ रुपए बाहर गए । इस बात का आकलन करना मुश्किल है कि विदेशी बैंकों
में कितना कालाधन जमा है । विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने का मुद्दा इतना आसान
नहीं है जितना कि चुनावों के वक्त भाषणों में बताया जा रहा था । यह एक बेहद जटिल प्रक्रिया
है जिसमें कई कूटनीतिक पेंच भी हैं । सरकार में आने के बाद बीजेपी के नेताओं को इस
बात का एहसास हुआ जब वित्त मंत्री ने साफ कियाकि सरकार के हाथ कई अंतराष्ट्रीय संधियों
से बंधे हुए हैं । सरकार के वरिष्ठ मंत्री
अब कह रह रहे हैं कि सौ दिनों में काला पैसा वापस लाने की बात नहीं हुई थी बल्कि सौ
दिनों में प्रक्रिया शुरू करने का वादा था । वित्त मंत्री अरुण जेटली के मुताबिक अबतक
चार सौ सत्ताइस विदेशी खातों की जानकारी मिली है जिसमें से ढाई सौ खाताधारकों ने विदेशी
बैंकों में खाता होने की बात स्वीकार की है । सरकार के मुताबिक इन चार सौ सत्ताइस बैक
खातों और उनके आयकर की गणना 31 मार्च 2015 तक कर ली जाएगी, उसके बाद ही कुछ नाम सामने
आ सकते हैं । यह बात अब साफ हो चुकी है कि कालाधन का मुद्दा एनडीए सरकार के लिए बड़ी
चुनौती है । दो हजार दस के जी 20 के सम्मेलन में फ्रांस और जर्मनी ने कालेधन के खिलाफ
आवाज उठाई थी और इस बार ऑस्ट्रेलिया में इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने
इसके खिलाफ एकजुट होने की अपील की । दरअसल कई देशों की अर्थव्यवस्था कालेधन के कारोबार
से चलती है । परोक्ष रूप से वो देश अन्य देशों में निवेश करते हैं । इस तरह के कालेधन
की विषबेल कई देशों में फैली हुई है । उसके खिलाफ प्रबल इच्छा शक्ति और ईमानदार नेतृत्व
चाहिए तभी कुछ सकारात्मक नतीजे सामने आ सकेंगे ।
सरकार के सामने इससे भी बड़ी चुनौती है देश में जमा
कालेधन को बाहर निकालने की । विदेशों में जमा काला धन आयकर की चोरी के साथ साथ देश
के राजकोष को कमजोर करता है वहीं देश में इकट्ठा कालाधन आयकर चोरी और विकास के काम
को प्रभावित करता है । झारखंड के एक मंत्री ने तो आय से अधिक संपत्ति के मामले में
गिरफ्तारी के बाद अजीबोगरीब बयान देकर सबको चौका दिया था । करीब सौ करोड़ की संपत्ति
बरामद होने के बाद भी लवो अपने आपको देशभक्त भ्रष्ट करार होने का दावा कर रहा था ।
उसने आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तारी के बाद यह कहा था कि पैसा भारत में
ही निवेश किया है स्विस बैंक में तो नहीं भेजा । इसी तरह से नोएडा के चीफ इंजीनियर
के बारे में अनुमान लगाया जा रहा है कि वो करीब दस हजार करोड़ का मालिक है और उसने
खाड़ी और यूरोपीय देशों में निवेश किया है । इस तरह के न जाने कितने अफसर देश के अलग
अलग राज्यों में फैले हैं । मध्य प्रदेश में तो आए दिन लोकायुक्त के छापे में सरकारी
कर्मचारी बेनकाब होते हैं जो करोडो़ं की संपत्ति के मालिक हैं । मध्य प्रदेश के ही
आईएएस जोशी दंपति का केस अब भी चल ही रहा है । दो हजार बारह में मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य
विभाग में काम करनेवाले एक कर्मचारी के घर से सौ करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति का पचा
चला था तो छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य सचिव के घर से बावन लाख नकद बरामद हुआ था । अभी हाल
ही में एक सहारा के नोएडा और दिल्ली के ठिकानों पर छापे में डेढ सौ करोड़ से ज्यादा
की बरामदगी गुई । चुनाव के ऐन पहले बीजेपी के नेता गिरिराज सिंह के घर से करीब सवा
करोड़ नकद चोरी चले गए थे जो बाद में बरामद हुए । बताया गया कि वो उनके एक कारोबारी
रिश्तेदार का पैसा है । यह सूची बताने का मकसद सिर्फ इतना है कि समाज के हर वर्ग के
लोगों पर शक की सुई जाती रही है । समाज के हर तबके में भ्रष्ट लोगों की वजह से कालेधन
का धंधा फल फूल रहा है । दरअसल काला धन हमारे देश में नासूर की तरह फैल चुका है । आयकर
विभाग के कर्मचारियों और अफसरों से इस बात की उम्मीद करना बेमानी है कि वो देश में
काला धन को बरामद करने में सक्रियता दिखाएंगे । काले धन की धुरी में नेता, पुलिस और
सरकारी कर्मचारी का ऐसा गठजोड़ है जिसको तोड़ पाना आसान नहीं है । अब वक्त आ गया है
कि सरकार देश में मौजूद कालेधन को बाहर निकालने के लिए संजीदगी से कोशिश करे । विदेशों
में मौजूद कालेधन को लाने में लाख दिक्कतें हो लेकिन देश में मौजूद कालेधन को बाहर
निकालने में तोसिर्फ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है और अब तक के ट्रैक रिकॉर्ड से तो लगता
है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास वह इच्छाशक्ति है । इंतजार है देश की जनता
को ।
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