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Thursday, June 14, 2012

टीम अन्ना बनाम टीम अरविंद

इंडिया अगेंस्ट करप्शन की बेवसाइट पर कई वीडियो लगे हैं । दो वीडियो ऐसे हैं जिनमें भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ रही टीम अन्ना के अंदरखाने की कहानी साफ बयां हो रही है । वीडियो में अरविंद केजरीवाल को बोलते दिखाया गया है और उनके पीछे बैकग्राउंड में अन्ना हजारे की एक पेंटिंग लगी हुई है । यह तस्वीर प्रतीकात्मक हो सकती है लेकिन प्रतीकों से कई बार कहानी पूरी तरह से साफ हो जाती है । भ्रष्टाचार के खिलाफ टीम अन्ना के आंदोलन का जो वर्तमान है उसमें अन्ना हजारे नेपथ्य में चले गए हैं और अरविंद केजरीवाल केंद्र में आने की तैयारी प्राणपण से जुटे हैं । खुद को केंद्र में लाने की बिछात भी बिछा दी गई है । भ्रष्टाचार के खिलाफ इस आंदोलन की शुरुआत और इसकी पूरी योजना अरविंद केजरीवाल ने ही बनाई थी । अपने आंदोलन को एक विश्वसनीय चेहरा देने के लिए अरविंद ने अन्ना हजारे को खोज निकाला था । अन्ना के रूप में अरविंद को आंदोलन का एक ऐसा मुखौटा भी मिल गया था जो मंदिर में रहता था, जिसका कोई परिवार नहीं था, जिसने अपने गांव में विकास के काफी काम किए, जो गांधी टोपी के अलावा धोती कुर्ता पहनता था । ये सारी ऐसी चीजें ऐसे प्रतीक है जो अब भी भारतीय जनमानस को गहरे तक प्रभावित करते हैं, कई बार आंदोलित भी । इन सारे गुणों के साथ जब एक बुजुर्ग अन्न जल त्याग कर दिल्ली के रामलीला मैदान से भारत में भ्रष्टाचार खत्म करने का हुंकार भरता था तो घूसखोरी से आजिज आ चुकी जनता को उसमें एक मसीहा दिखाई देने लगा था । अन्ना के प्रति आस्था और आंदोलन की भावना में डुबकी लगा रहे कई उत्साही लोगों ने उन्हें छोटा गांधी तक करार दे दिया था । हलांकि छोटा गांधी कहना बहुत जल्दबाजी थी और समय के साथ ये विशेषण खुद ही गायब हो गया ।

मुंबई में अन्ना के अनशन से उनकी विश्वसनीयता और आंदोलन के उद्देश्य पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया था जब बीजेपी के मुतल्लकि पूछे सवाल पर अन्ना उठकर चले गए थे और अरविंद ने भी कन्नी काट ली थी । मुंबई के बाद आंदोलनकारियों के तेवर ढीले पड़ गए थे । बीच-बीच में अरविंद केजरीवाल सांसदों को बुरा भला कह कर अपनी प्रासंगिकता बनाए रखे थे । लेकिन टीम के बीच मनभेद की खबरें आती रही । खबरों से बाहर होने की वजह से टीम हताश थी और इस हताशा में मीडिया पर भी आरोप मढे जाने लगे । यह सब चलता रहा । इस बीच अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र में मजबूत लोकायुक्त की मांग को लेकर प्रदेश भर का दौरा किया । महाराष्ट्र के दौरे पर अरविंद केजरीवाल और टीम का कोई भी अहम सदस्य अन्ना के साथ नहीं रहा । एकाध दिन के लिए कोई मिलने चला गया हो तो अलग बात है । वहां से अरविंद और अन्ना के बीच पहली बार एक खिंचाव, एक दूरी दिखाई दी । कहा तो यहां तक गया कि अरविंद केजरीवाल ने जिन 15 केंद्रीय मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं उनमें विलासराव देशमुख का नाम शामिल करने पर अन्ना को आपत्ति थी । इस वजह से वो उस प्रेस कांफ्रेंस में शामिल नहीं हुए जिसमें इन मंत्रियों पर टीम अरविंद ने आरोप जड़े । लेकिन टीम अरविंद ने अन्ना की आपत्ति को दरकिनार करते हुए प्रधानमंत्री समेत मंत्रियों पर आरोप लगाए । अन्ना की कभी हां और कभी ना वाले बयानों से भ्रम की स्थिति बनी । पहले मनमोहन सिंह को दोषी करार देना, फिर ठाणे में उन्हें क्लीन चिट देने से अन्ना की स्टैंड लेने और उसपर कायम रहने पर सवाल खड़े होने लगे । उधर टीम अरविंद ने प्रधानमंत्री समेत मंत्रियों पर हमलावर रुख जारी रखकर अन्ना हजारे को भी एक संदेश दे दिया कि अब उनका रुख अंतिम और सर्वमान्य नहीं है । मनभेद- मतभेद में बदला ।

रही सही कसर दिल्ली के संसद मार्ग पर रामदेव के साथ अन्ना की गलबहियां ने पूरी कर दी । अन्ना की सबसे बड़ी ताकत उनका नैतिक बल था । रामदेव के साथ गले लगते ही वो नैतिक बल निस्तेज हो गया । रामलीला मैदान पर भारत माता की जय की हुंकार लगाने वाले अन्ना हजारे रामदेव के सुर में सुर मिलाने लग गए । भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ रहे अन्ना हजारे एक ऐसे शख्स के साथ गले लग रहे थे जिसके ट्रस्टों के खिलाफ इंकम टैक्स समेत कई सरकारी विभाग जांच कर रहा है । जिस शख्स के ट्रस्ट पर कई एकड़ जमीन हथियाने का आरोपों पर खासा बवाल मचा था । जो शख्स अपने एक आंदोलन के दौरान पुलिस के डर से  महिलाओं के कपड़े पहनकर आंदोलन छोड़कर भागता हुआ पकड़ा गया था । लेकिन अन्ना हजारे कह रहे थे कि उस शख्स के साथ आने से आंदोलन को ज्यादा मजबूती मिलेगी । मंच पर बालकृष्ण भी बैटे थे जिनके फर्जी पासपोर्ट की जांच चल रही है । उसी मंच पर बैठने से अन्ना और अरविंद केजरीवाल की साख को तगड़ा झटका लगा । अरविंद केजरीवाल बीमारी की बात कहकर वहां से चले गए लेकिन जो नुकसान होना था वो हो गया ।

दरअसल रामदेव को लेकर टीम अन्ना में दो धारा है । एक धारा का प्रतिनिधित्व खुद अन्ना हजारे करते हैं और उनके साथ हैं किरण बेदी हैं जो लगातार बैठकों में रामदेव के साथ आने की वकालत करते है । वहीं दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण हैं जिन्हें रामदेव के नाम से ही चिढ़ है ।कई बार बैठकों में इस बात पर जमकर बहस भी हुई है ।  टीम में ये विभाजन बहुत साफ है । दिखता भी है ।  रामदेव की मंशा और राजनीति बहुत साफ है । रामदेव अब चाहे जो भी कहें लेकिन एकाधिक बार अपने साक्षात्कार में वो यह बात स्वीकार कर चुके हैं कि उनकी राजनीतिक महात्वाकांक्षाएं हैं । वो तो पार्टी बनाकर हर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की बात भी कह चुके हैं । जबकि अब तक टीम अन्ना चुनाव से दूर रहने की बात करती आई है । खुद अन्ना ने भी चुनाव की राजनीति को अपने आंदोलन से अलग रखा था ।

अन्ना और रामदेव के ताजा गठजोड़ से भ्रम और गहरा गया है । रामदेव सबसे पहले समर्थन के लिए गडकरी के पास पहुंचते हैं जहां वो उनका पांव छूकर आशीर्वाद लेते हैं । गडकरी के पांव छूने के अलग निहितार्थ है । रामदेव हर नेता के दर पर मत्था टेक कर काला धन के खिलाफ समर्थन मांग रहे हैं । विडंबना देखिए कि शरद पवार और मुलायम से भी काला धन के खिलाफ लड़ाई में रामदेव समर्थन मांग रहे हैं । जबकि भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जंग से टीम अन्ना ने नेताओं को दूर ही रखा था और खुद भी उनसे दूर रहे थे ।

रामदेव के साथ आने से इंडिया अगेंस्ट करप्शन के आंदोलन की दिशा भटक गई है । काला धन और भ्रष्टाचार एक दूसरे से जुड़े जरूर हैं लेकिन एक और जहां काला धन रोज रोज लोगों को प्रभावित नहीं करता है वहीं भ्रष्टाचार से हर रोज आम आदमी का वास्ता पड़ता है । इंडिया अगेंस्ट करप्शन की मूल लड़ाई उसी भ्रष्टाचार के खिलाफ थी जो रामदेव के साथ आने से भटक सी गई लगती है । अब टीम अन्ना की मांगें भी खंड़ित हो गई हैं । जनलोकपाल की मूल मांग के समांतर काला धन और पंद्रह मंत्रियों के खिलाफ आरोप की जांच की मांग ने  आंदोलन को मूल से भटका दिया है । अपने आंदोलन को राह से भटकते देख फौरन अरविंद केजरीवाल ने रणनीति बनाई और बेहद सफाई से  जनलोकपाल की मांग से दूर हटकर मंत्रियों के भ्रष्टाचार को मुद्दा बना लिया । बीच बीच में जनलोकपाल की मांग उठाते रहने की रणनीति बनी । एक बार फिर से 25 जुलाई से अनशन का ऐलान है लेकिन अन्ना तबियत खराब होने की वजह से अनशन नहीं करेंगे । पूरा शो अरविंद केजरीवाल का होगा । उस दिन ही अरविंद केजरीवाल का और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का भी भविष्य तय हो जाएगा ।

18 comments:

Anonymous said...

YE MEDIA PROPAGANDA HAI DESHWASHIYO KO ULJHAANE KE LIYE. WHAT A CHEAP PUBLICITY BY HAHAKAAR.......

dheeraj said...

Who the Hell are you.....

Unknown said...

बहुत ही फर्जी टाइप का लेख है .. कैसे इतनी रिसर्च की होगी आपने.. ! देश सेवा मे इतना समय देते तो खुद को खुद पे नाज़ होता ! मनमुटाव होना एक शुभ संकेत है, अभी राष्ट्रपति पद के लिए पलती मरते नेता और अंत मे सोनिया माता के चरणों मे प्रणाम करते नेता, भ्रष्टों की ऐसी एकता से देश की क्या हालत हो गयी ! ये सच है कि अरविन्द इस आन्दोलन का दिमाग है, और ययही इस आंदोलन की अच्छाई है ! अरविन्द युवा है ! जिस पद पर वो थे वहां एक अधिकारी महीने मे 2 करोड़ रुपये कमाता है इस नौकरी को लात मारने ने लिए बला की हिम्मत, जज्बा और देश के लिए प्यार चाहिए ! आदर्श हैं अरविन्द इस देश के लिए ! रही बात गांधी की, अन्ना गांधी से कहीं अधिक महान हैं ! गांधी के शत्रु विदेशी थे और देश उनके साथ था ये एक अनुकूल स्थिति है ! अन्ना को अपने हि नेता, अपने ही नकारात्मक मीडिया भाइयों के लड़ना पड़ता है जो अपने लेख टाइप लिखते रह कर अपने देश प्रेम का परिचय देते ही रहते हैं !
जय अन्ना, जय अरविन्द केजरीवाल !

dheeraj said...

Who the hell are you

Anonymous said...

आप तो हमें किसी पार्टी विशेष से सम्बंधित दिखते हैं जो सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन किसी को बदनाम करके किसी को फायदा पहुँचाना चाह रहे हैं..और अगर अरविन्द केजरीवाल ऐसा कर भी रहे हैं तो क्या गलत कर रहे हैं? हम सभी तो चाहते ही हैं की वो केंद्र की राजनीती में आयें..हमें विकल्प दें..और क्या जिस लोकपाल की वो मांग कर रहे हैं क्या वो उसके दायरे में नहीं आयेंगे क्या? हमारी हालत (आम आदमी) तो देख ही रहे हैं..तो ऐसे में विकल्फिनता में एक और विकल्प सही..एक बार आजमाने में क्या जाता है?

Anonymous said...

आप तो हमें किसी पार्टी विशेष से सम्बंधित दिखते हैं जो सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन किसी को बदनाम करके किसी को फायदा पहुँचाना चाह रहे हैं..और अगर अरविन्द केजरीवाल ऐसा कर भी रहे हैं तो क्या गलत कर रहे हैं? हम सभी तो चाहते ही हैं की वो केंद्र की राजनीती में आयें..हमें विकल्प दें..और क्या जिस लोकपाल की वो मांग कर रहे हैं क्या वो उसके दायरे में नहीं आयेंगे क्या? हमारी हालत (आम आदमी) तो देख ही रहे हैं..तो ऐसे में विकल्फिनता में एक और विकल्प सही..एक बार आजमाने में क्या जाता है?

Anonymous said...

This article is another attempt to divert attention from main MUDDA.

Upvan said...

How much do you charge for writing such an article? I have a business rival I want to settle score with... and I can pay... Please mail me your rates...
Upvan Mittal

Anonymous said...

हा हा हा

Anonymous said...

Ur thinking is bull shit ...people like u can never understand the right things and right people. Go get some information ...the correct one...and dimag ki batti jalao ...to identify what is right and what is wrong ?

Anonymous said...

Aap to deshbhakht ho lekhak ji

rohit said...

are you corrupted or ur father is corrupted ......leave anna and ramdev .....see only the cause for what they fight... dont give this bullshit

anju said...

Desh(govt.) ho ya ghar...10 log hote hai to 11 opinion hote hai... ye kamare ke andar apne opinion de rahe hai....sare log mature hai..sabki apne opinion ho sakte hai..par janta ke samane to ek hai na...ye baat tab value rakhati hai jab ye log apne niji swarth ke liye kuchh kar rahe hai..... isliye in baato ko mudda na banya unke NEK KAAM kaa respect kare aur saath de..yahi sachhe desh bakt ka kaam hai..govt ko apni motive mian kaamyaab na hone de samjhe

Anonymous said...

Desh(govt.) ho ya ghar...10 log hote hai to 11 opinion hote hai... ye kamare ke andar apne opinion de rahe hai....sare log mature hai..sabki apne opinion ho sakte hai..par janta ke samane to ek hai na...ye baat tab value rakhati hai jab ye log apne niji swarth ke liye kuchh kar rahe hai..... isliye in baato ko mudda na banya unke NEK KAAM kaa respect kare aur saath de..yahi sachhe desh bakt ka kaam hai..govt ko apni motive mian kaamyaab na hone de samjhe

Anonymous said...

Ok. I agree with you on the fact that the demands of IAC have been growing. From Corruption, they have moved onto Black Money and Tainted ministers.

I also agree with your point that there are differences in the opinion on Baba Ramdev. Difference of opinions shall always be there. Anna seems to support the cause of Black Money too and Kejriwal wants to focus solely on the corruption issue.

Having said that, I completely disagree with your statement that the team is about to break up.

You say that Kejriwal did not join Anna for the tour across Maharashtra, but if you look at their nationwide calendar here
https://www.box.com/s/27a697d1bf8a04b62836
you would be forced to rethink that point.

The team's integrity is still proven by the fact that they are gearing up for a much larger 'anshan' on 25th July.

As for Kejriwal using Anna as a mask, I would just ask, what does he have to hide? The entire government tried to find something to vindict him with, to no avail.

I believe you must have seen this case
http://blog.dutiee.com/people-are-good-india-against-corruption-returns-donations-says-there-is-enough/

I agree with you that he is using Anna to become a force to reckon with but that is just being smart. Every successful person has a mentor right? Marx had Bauer, Mother Teresa had Venier.. what's wrong in that? Kejriwal would have never been able to impress upon 5LAC people to join him, but he has to learn the trade and has found the perfect teacher. What do you say?

Moreover, the political ambitions of Kejriwal are only opinions at this point as nothing concrete has come up yet.
I too believe that there might be signs of the movement (or atleast Kejriwal) going political but then the stage is not set right now.

He (Kejriwal) might be planning to go political some time in the future but that will not be unless he proves his mettle outside the government, i.e. getting the bill passed.

I believe, only then will he be able to garner votes from the common man.

And even if he does go political (in the distant future), I see no harm in it. If his team could strangle the government to hear what they have to say, I would be inclined to make them lead the nation.

What problems do you see arising if Kejriwal goes the Politics way?

Sandeep (यादव जी) said...

आप अपनी आँखें बंद करके देखतें है क्या ? अरविंद केजरीवाल जैसा देशभक्त पर कीचड़ उछालने पे आपको शर्म आनी चहिय

Satish O'Nath said...

People now know that Main Issue is corruption n black money n not of faces as talked abt Anant Vijay.Faces will come or go with time as per their energy or skills.At present main focus is how to send corrupt ministers n officers to jail.People of India hv been enlightened enough by Bab Ramdev n Anna Hazare n they will support any body , who come forward to fight agnst corruption, he may be Lalu or Paswan Dacoit mansingh.

सिद्धार्थ प्रताप सिंह said...

"टीम अन्ना बनाम टीम अरविंद"
सरजी मै आपको इसी मुद्दे पर लिखी कविता की लिंक http://urvaani.blogspot.in/2012/06/blog-post.html पोस्ट कर रहा हूँ पसंद आये तो पब्लिश जरुर करियेगा ताकि उन्हें कुछ समझ में आये जो आपको किसी पार्टी विशेष का गुप्त एजेंट बता रहे हैं