दिल्ली के फिरोजशाह
रोड पर रवीन्द्र भवन में साहित्य अकादमी का कार्यालय 1961 में आया, इसके पहले
अकादमी का दफ्तर कनॉट प्लेस से चलता था। जब 1961 में अकादमी रवीन्द्र भवन में
शिफ्ट हआ तो वहां एक पुस्तकों की प्रदर्शनी लगी। उस पुस्तक प्रदर्शनी के दौरान
लोगों की तरफ से ये राय आई कि यहां एक स्थायी पुस्तकालय होना चाहिए और उसी वर्ष
साहित्य अकादमी पुस्तकालय की स्थापना की गई। इस वक्त साहित्य अकादमी पुस्तकालय में
एक लाख तेरासी हजार पुस्तकें हैं। इन पुस्तकों में खास बात ये है कि गुरूदेव
रवीन्द्रनाथ टैगोर की सारी पुस्तकें यहां मौजूद हैं। साहित्य अकादमी पुरस्कार
प्राप्त कृतियों और साहित्य अकादमी प्रकाशनों के अलावा हर भाषा की पुस्तक यहां
मौजूद है। इस पुस्तकालय में अलग अलग भाषाओं के 32 समाचार पत्र हर दिन आते हैं ।
इसके अलावा विभिन्न विषयों और आवर्तिता की दो सौ पत्रिकाएं भी साहित्य अकादमी
पुस्तकालय में आती हैं। इस पुस्तकालय में हिंदी की करीब पचास हजार पुस्तकें उपलब्ध
हैं। पुस्तकों के इतने बड़े भंडार में से अपनी पसंद की पुस्तकें ढूंढना आसान है
क्योंकि सभी जानकारी कंप्यूटरीकृत हैं। पुस्तकों और पत्र पत्रिकाओं के अलावा यहां
फोटो का विशाल भंडार है। साहित्य अकादमी के कार्यक्रमों की तस्वीरें यहां सहेज कर
रखी जाती हैं। पचास सालों से अधिक अवधि के महत्वपूर्ण फोटो यहां देखे जा सकते हैं। अकादमी
के लाइब्रेरियन डॉ सूफियान अहमद ने बताया कि अकादमी के अन्य केंद्रों की लाइब्रेरी
भी कंप्यूटर के माध्यम से दिल्ली केंद्र से जुड़े हैं और कोई किताब अगर मुंबई या
बेंगलुरू में उपलब्ध है और सदस्य को चाहिए तो उसको मंगावा दिया जाता है।पिछले दिनों साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष गोपीचंद नारंग
ने निजी पुस्तकों का संग्रह अकादमी को दिया। इस संग्रह में उर्दू की कई दुर्लभ
किताबें हैं।
साहित्य अकादमी की लाइब्रेरी की सदस्यता बहुत
आसान है। यहां कोई भी व्यक्ति जिसके पास वैध पहचान पत्र हो, दो हजार रुपए जमा
करवाकर लाइब्रेरी का सदस्य बन सकता है। ये दो हजार रुपए गारंटी के तौर पर अकादमी
के पास जमा रहेंगे और जब आप सदस्यता छोड़ेंगे तो आपको वापस मिल जाएंगे। अकादमी के
पुस्तकालय की सदस्यता का सालाना रिन्यूल होता है जिसके लिए दो सौ रुपए देने होते
हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए सालाना शुल्क सौ रुपए ही है। लाइब्रेरी में एक
बेहतरीन रीडिंग रूम भी है जहां बैठकर करीब सौ लोग पढ़ सकते हैं। अगर सदस्य चाहें
तो किताबें इश्यू करवाकर घर भी ले जा सकते हैं। सदस्यों के लिए यहां प्रतिदिन एक
घंटे तक मुफ्त इंटरनेट की व्यवस्था भी है। इस वक्त साहित्य अकादमी के साढे तेरह
हजार सदस्य हैं जिनमें से 300-400 लोग रोजाना यहां आते हैं। साहित्य अकादमी की लाइब्रेरी तक पहुंचना भी बहुत
आसान है। मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन से पैदल चलकर वहां पहुंचा जा सकता है। फिरोजशाह
रोड पर साहित्य अकादमी की गेट पर ही बस स्टैंड भी है। यहां दिल्ली के विभिन्न
इलाकों से बसें आती हैं। साहित्य अकादमी की लाइब्रेरी के पास एक कैंटीन भी है जहां
भोजन और चाय-नाश्ते का प्रबंध भी है। अकादमी की लाइब्रेरी सोमवार से शुक्रवार तक
खुली रहती है और इसका समय सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक है।
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