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Saturday, January 11, 2020

विवाद से मुनाफा कमाने का दांव फुस्स


दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक रिलीज हो गई और फिल्म कारोबार के जानकारों के मुताबिक उसकी फिल्म को अपेक्षित ओपनिंग नहीं मिल पाई। फिल्म के दर्शकों के पसंद करने के पूर्वानुमान के आंकड़ों से भी कम की ओपनिंग मिली। पहले दिन की जो ओपनिंग मिली है वो भी संतोषजनक नहीं कही जा सकती है। छपाक पहले दिन पांच करोड़ रु का बिजनेस भी नहीं कर पाई जबकि अनुराग कश्यप जैसे स्वनामधन्य सूरमा भी इस फिल्म के प्रमोशन के लिए कूद गए थे। वैसे भी अनुराग कश्यप फ्लॉप फिल्मों के ही निर्देशक बन कर रह गए हैं जो अपनी निजी कुंठा बेहद अमर्यादित तरीके से ट्वीटर पर निकालते रहते हैं। जिस तरह की गाली गलौच वो अपनी फिल्मों या वेब सीरीज में दिखाते-सुनाते हैं वो भी उसी मर्यादाहीन भाषा के शिकंजे में जकड़ते जा रहे हैं।  पहले दिन पांच करोड़ से नीचे रह जाना छपाक की टीम क लिए झटके जैसा है। मेट्रो शहरों के कुछ मल्टीप्लैक्स में इस फिल्म को देखने दर्शक पहुंचे लेकिन मेट्रो से बाहर इस फिल्म को अतिसाधारण ओपनिंग मिली। बिहार समेत कई मार्केट से इस तरह की खबरें आईं कि पहले शो में तो फिल्म छपाक को दर्शक ही नहीं मिले। पटना के एक सिनेमा हॉल में एक शो में तीन दर्शक के रहने की खबरें आई। दीपिका पादुकोण जैसी बड़ी स्टार और मेघना गुलजार जैसी मशहूर निर्देशक के होते हुए फिल्म छपाक को पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर इतनी कम ओपनिंग मिलना चकित करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि दीपिका का जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के आंदोलनकारी छात्रों के बीच जाने की युक्ति भी काम नहीं कर पाई। 7 जनवरी की शाम जब दीपिका पादुकोण जवाहलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के आंदोलनकारी छात्रों के बीच पहुंची थीं तो उसके बाद एक वर्ग विशेष ने फिल्म के पक्ष में माहौल बनाना शुरू कर दिया था। टिकट खरीदने और उसका स्क्रीन शॉट ट्विटर पर पोस्ट करने की मुहिम भी चलाई गई थी। कई घंटे तक ये मुहिम चलती भी रही थी। लेकिन अब जब दीपिका की फिल्म छपाक को देखने के लिए अपेक्षित संख्या में दर्शक नहीं पहुंचे तो ये संकेत तो साफ हो गया है कि सोशल मीडिया पर चाहे जितना शोर मचा लो फिल्म को फायदा नहीं मिला। बल्कि इसका फायदा अजय देवगन की फिल्म तान्हाजी को हो गया। तान्हाजी को बॉक्स ऑफिस पर पहले ही दिन 15 करोड़ से अधिक की ओपनिंग मिली जो कि सफल फिल्म होने का संकेत देती है। फिल्म छपाक की रिलीज के तीन दिन पहले दीपिका पादुकोण का जेएनयू जाना और वहां आंदोलनकारी छात्रों के साथ खड़े होने की रणनीति फिल्म प्रमोशन के लिए थी लेकिन अब वो चौतरफा घिर गई हैं। राजनीतिक तौर पर भी उनके बयानों की लानत मलामत हो रही है। केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने उनके जेएनयू जाने को लेकर उनको घेरा है। लगता है फिल्म को सफल बनाने के लिए जेएनयू जाने की रणनीति उल्टी पड़ती नजर आ रही है।   
फिल्म इंडस्ट्री में कई बड़े निर्माता निर्देशक एक रिपोर्ट पर विश्वास करते हैं और फिल्म की रिलीज के पहले उसकी रिपोर्ट पर गंभीरता से विचार कर रणनीति बनाते हैं। एक कंपनी ऑरमैक्स, सिनेमैट्रिक्स रिपोर्ट जारी करती है जिसके आधार पर पहले दिन बॉक्स ऑफिस ओपनिंग (एफबीओ)  के बारे में अंदाज लगाया जाता है। ऑरमैक्स सिनेमैट्रिक्स निश्चित तारीख पर रिलीज होनेवाली फिल्मों के प्रमोशन कैंपन को चार आधार पर ट्रैक करती है ताकि पहले दिन फिल्म की ओपनिंग का अंदाज लगाया जा सके। ये चार आधार होते हैं बज़ (चर्चा), रीच (पहुंच), अपील और इंटरेस्ट (रुचि)। ये एक रियल टाइम रिपोर्ट होती है जो किसी भी फिल्म के प्रमोशन कैंपेन को रोजाना ट्रैक करती है। इसको फर्स्ट डे बॉक्स ऑफिस मॉडल कहते हैं। इसके आधार पर ना केवल फिल्म का प्रमोशन कैंपेन डिजायन किया जाता है बल्कि उसमें आवश्यकतानुसार बदलाव भी किया जाता है। इस व्यवस्था को भरोसेमंद बनाने के लिए फिल्मों के 29 मार्केट से जानकारियां जमा की जाती है। जानकारियों का विश्लेषण करने के बाद सिनेमैट्रिक्स रिपोर्ट तैयार की जाती है।
इस रिपोर्ट में फिल्मों पर असर डालनेवाले बाहरी कारकों के प्रभाव का भी ध्यान रखा जाता है। बाहरी कारक यानि फिल्म रिलीज की तारीख के दिन या उसके आसपास पड़नेवाले त्योहार,छुट्टियां,क्रिकेट मैच, परीक्षाएं या मौसम को विश्लेषित किया जाता है। गौरतलब है कि फिल्म धूम 3 के लिए एफबीओ रिपोर्ट साढे बत्तीस करोड़ रुपए की ओपनिंग की थी जबकि वास्तविक ओपनिंग 30.9 करोड़ रु की रही जो कि पूर्वानुमान के बहुत करीब थी। फिल्म आर..राजकुमार के लिए ओपनिंग का पूर्वानुमान 8.3 करोड़ रु का था जबकि वास्तविक ओपनिंग 8.8 करोड़ रुपए की हुई थी। कंपनी मानती है कि उसकी रिपोर्ट एकदम सटीक नहीं होती है और उसमें पांच फीसदी ऊपर नीचे की गुंजाइश होती है। कंपनी की बेवसाइट का दावा है कि फिल्म उद्योग के कई स्टूडियोज उनकी इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हैं।  
छपाक फिल्म की 7 जनवरी को दिन में ये रिपोर्ट आती है जिसमें वो उपर उल्लिखित चारों मापदंडों पर तीसरे स्थान पर आती है जबकि उसके रिलीज वाले दिन अजय देवगन-काजोल की फिल्म तान्हाजी, द अनसंग वॉरियर पहले स्थान पर थी। पहुंच में भी फिल्म छपाक, इसी दिन रिलीज होनेवाली फिल्म तान्हाजी, द अनसंग वॉरियरऔर 24 जनवरी को रिलीज होनेवाली फिल्म स्ट्रीट डांसर से पीछे थी। दर्शकों की रुचि में भी दीपिका की फिल्म तान्हाजी, द अनसंग वॉरियर से पीछे चल रही थी। इससे भी चिंता की बात ये थी कि एफबीओ में छपाक और तानाजी, द अनसंग वॉरियर की पहले दिन की ओपनिंग में बहुत अधिक फर्क थी तान्हाजी, द अनसंग वॉरियर को इस रिपोर्ट में छपाक से लगभग दुगनी ओपनिंग मिलने का पूर्वानुमान लगाया गया था। बताया जाता है कि इस रिपोर्ट के आते ही फिल्म छपाक का प्रमोशन देख रहे लोगों ने रणनीति बदली और उसके बाद ही दीपिका के जेएनयू जाने की योजना बनाई थी। फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों का कहना था कि ऐसा पहली बार हो रहा था कि दीपिका की किसी भी फिल्म की पहले दिन बॉक्स ऑफिस ओपनिंग (एफबीओ) का आंकड़ा इकाई में नहीं आया था। एफबीओ के सिंगल डीजिट में आने से भी आनन फानन में जेएनयू जाने की योजना बनी थी। दीपिका पादुकोण के जेएनयू जाने के दो दिन बाद सिनेमैट्रिक्स की 9 जनवरी की रिपोर्ट से पता लगा था कि छपाक को बहुत मामूली फायदा हुआ था। चार मापदंडों पर दीपिका के जेएनयू जाने का थोड़ा ही असर हुआ लेकिन फर्स्ट डे बॉक्स ऑफिस ओपनिंग के पूर्वानुमान पर जरा भी असर नहीं पड़ा। जबकि तान्हाजी, द अनसंग वॉरियर के एफबीओ में मामूली वृद्धि होती दिख रही है। दोनों फिल्में फिल्म रिलीज हो गई हैं तो ये साफ हो गया है कि सिनेमैट्रिक्स रिपोर्ट के आंकड़े फिल्म दर्शकों के बारे में तकरीबन सही अंदाज लगा पाती है।
दीपिका पादुकोण की फिल्म का प्रमोशन देख रहे लोगों ने सोचा होगा कि उनके जेएनयू जाने से छपाक के पहले भी उसी तरह का विवाद उठ खड़ा होगा जिस तरह का विवाद फिल्म पद्मावत के वक्त उठ खड़ा हुआ था। उनके जेएनयू पहुंचने पर विवाद शुरू तो हुआ लेकिन उसकी चंद घंटों में ही निकल गई। विवाद से मुनाफा कमाने की रणनीति का कोई फायदा नहीं हुआ। विवाद उठाकर मुनाफा कमाने की रणनीति अब पुरानी हो गई है। आमिर खान की जब भी कोई फिल्म रिलीज होती है तो वो विवाद उठाने से नहीं चूकते हैं। किसी फिल्म की रिलीज के पहले उनको गुजरात दंगों की याद आती है तो किसी फिल्म के पहले वो नर्मदा आंदोलन को लेकर विवादित बयान दे देते हैं। विवाद उठाकर मुनाफा कमाने में आमिर खान को महारत हासिल है। जब कोई फिल्म नहीं आ रही होती है तो वो आमतौर पर खामोश ही रहते हैं। किसी भी कलाकार को या फिल्म प्रोड्यूसर को अपने उपक्रम से मुनाफा कमाने का हक है लेकिन मुनाफा के लिए लोगों की भावनाएं भड़का कर उनको सिनेमा हॉल तक खींचने का उपाय करना कितना उचित है इसपर भी विचार करने की जरूरत है। दीपिका की फिल्म छपाक को जिस तरह से विवाद का कोई फायदा नहीं मिला उससे बॉलीवुड के इन सितारों को सीख तो मिली ही होगी। उल्ट इस बार तो दीपिका विवाद में चौतरफा घिर भी गईं हैं। हां जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के आंदोलनकारी छात्रों के साथ जाकर खड़े होने का एक फायदा ये हुआ कि कुछ राज्यों में ये फिल्म टैक्स फ्री हो गईं।

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