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Thursday, December 24, 2020

पौराणिक भारतीय कथाओं में दिलचस्पी


कोरोना की छाया में बीत रहे इस वर्ष में भारतीय दर्शकों को पौराणिक और ऐतिहासिक कथाओं में गहरी दिलचस्पी देखने को मिली। लॉकडाउन के दौरान जब दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत सीरियल दिखाने का एलान हुआ था तब इस बात की आशंका भी थी कि इतने लोकप्रिय धारावाहिकों को दूसरी बार देखा जाएगा कि नहीं। तमाम आशंकाओं को धता बताते हुए रामायण धारावाहिक ने लोकप्रियता के नए कीर्तिमान स्थापित किए। अप्रैल में प्रसारित एपिसोड को करीब पौने आठ करोड़ दर्शकों ने देखा। रामायण के दर्शकों का ये आंकड़ा हाल फिलहाल में पूरी दुनिया में किसी भी सीरीज को हासिल नहीं हो सका है। मशहूर और बेहद लोकप्रिय सीरीज ‘द गेम ऑफ थ्रोन्स’ और ‘बिग बैंग थ्योरी’ को भी इतने अधिक दर्शक नहीं मिले थे। उनके दर्शक भी पौने दो करोड़ तक पहुंच सके थे। तब प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पति ने ट्वीट कर देशभर के दर्शकों का शुक्रिया अदा किया था और साथ ही ये जानकारी भी साझा की थी कि टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट) जारी करनेवाली संस्था बीएआरसी के मुताबिक इस वर्ष के तेरहवें सप्ताह में दूरदर्शन देशभर में सबसे अधिक देखा जानेवाला चैनल बन गया। सिर्फ रामायण ही नहीं बल्कि महाभारत को भी दर्शकों ने बेहद चाव से देखा। इसके अलावा चाणक्य और शक्तिमान को मिले दर्शकों ने दूरदर्शन को अपने पुराने सीरीज के पुनर्प्रसारण का रास्ता दिखाया।

कोरोना काल के दौरान के दौरान रामायण और महाभारत को मिली अपार सफलता ने एक बार फिर से साबित किया कि हमारे देश के दर्शकों में धर्म और अध्यात्म से संबंधित चीजों को देखने जानने और समझने की लालसा है। जरूरत इस बात की है कि उनको इस तरह की श्रेष्ठ सामग्री दिखाई जाए। देश का युवा वर्ग भी अपनी परंपराओं और अध्यात्म में खासी रुचि रखता है, ये बात भी इन सीरीज की लोकप्रियता ने साबित की। हमारे देश में आध्यात्म का जो बल है, अध्यात्म की जो आतंरिक अनुभूति है उसका प्रकटीकरण भी कोरोना काल के दौरान हुआ। इसको ध्यान में रखते हुए एक बार फिर से पौराणिक और ऐतिहासिक कथाओं पर आधारित फिल्में और सीरीज बनाए जाने लगे हैं। आनेवाले दिनों में पृथ्वीराज चौहान से लेकर महाभारत की कहानियों पर आधारित फिल्में आने वाली हैं। हमारा देश कथावाचकों का देश रहा है। कथावाचन की हमारे यहां सुदीर्घ परंपरा रही है। इस कथावाचन का आधार भारतीय ऐतिहासिक और पौराणिक पात्र और चरित्र रहे हैं। फिल्मों में भी कथावाचन की इस परंपरा के सूत्र को खोजने और उसको पकड़कर दर्शकों तक पहुंचाने की कोशिशें इस वर्ष आरंभ हो चुकी है।