सरकारी नीतियों और फैसलों को लागू करने में नौकरशाही की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अगर अधिकारी योग्य और कार्यक्रमों को लागू करने की कला में माहिर होता है तो उसको लंबे समय तक याद रखा जाता है। राजनीति के गलियारों में भी उसकी पूछ होती है और उसको समय के साथ बड़ी भूमिकाएं दी जाती हैं। ऐसे ही एक अंग्रेज अधिकारी थे विलियम मैल्कम हेली। 1895 में उन्होंने भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) की परीक्षा पास की और अधिकारी बने। भारत में उनकी पहली पोस्टिंग उपनिवेशन (कोलोनाइजेशन) अधिकारी के तौर पर हुई। उस दौर में उपनिवेशन अधिकारी के अन्य कार्यों में एक कार्य औपनिवेशिक शासन को मजबूत करना था ताकि उसका विस्तार संभव हो सके। मैल्कम हेली ने झेलम में अपनी पदस्थापना के समय ये काम बखूबी किया और बरतानिया सरकार ने उनके कामकाज से खुश होकर 1912 में उनको दिल्ली का कमिश्नर नियुक्त कर दिया। वो इस पद पर छह साल तक रहे। इस दौरान उन्होंने ब्रिटिश राज को अपनी कामों से मजबूती भी दी और जनता के बीच अलग अलग तरीकों से स्वीकार्यता बढ़ाने का काम भी किया। औपनिवेशिक शक्तियों को मैल्कम हेली लगातार अपने काम से खुश कर रहे थे और करियर के शिखर की ओर बढ़ रहे थे। उस दौर के इस तरह के अफसर जनता को बेहतर सपने दिखा कर ब्रिटिश राज के समर्थन में करने की कोशिश कर रहे थे। ये अंग्रेजों की रणनीति का हिस्सा था कि एक तरफ सैन्य सख्ती और दूसरी तरफ प्रशासनिक नरमी से गुलामी की व्यवस्था को बनाए रखा जा सके।
मैल्कम हेली बाद में पंजाब और तत्कालीन संयुक्त प्रांत के गवर्नर भी बने। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल की वेबसाइट पर इस बात की जानकारी है। उपनिवेशवादी ताकतों को मजबूत करनेवाले इसी अंग्रेज अफसर के नाम पर नई दिल्ली में एक सड़क है नाम है हेली रोड। नई दिल्ली में पहले कई अंग्रेज अफसरों, सैन्य अधिकारियों और ब्रिटिश राज से जुड़े कई लोगों के नाम पर सड़कें आदि थीं। उन सड़कों का नाम धीरे धीरे बदला गया। लेकिन अब भी कई सड़कें विदेशी आक्रांताओं और देश को लंबे समय तक गुलामी की जंजीर में रखनेवालों और उनके मददगारों के नाम पर मौजूद हैं। आज जब पूरा देश स्वाधीनता का अमृत महोत्सव वर्ष मना रहा है तो उपनिवेश के इन चिन्हों को मिटाने का अनुकूल समय । बेहतर होगा कि देश को गुलाम बनाए रखने में भूमिका निभानेवाले अफसरों और आक्रांताओं के नाम हटाकर हम भारत के उन सपूतों के नाम पर इन सड़कों और इमारतों का नाम रखें जिन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान किया। जिन्होंने स्वाधीनता के स्वप्न को साकार करने में अपने प्राणों की आहुति दी।
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