पिछले साल जब ई एल जेम्स का उपन्यास
-फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे -छपा था तब अमेरिका और यूरोप समेत पूरी दुनिया में उसकी पचास
लाख से ज्यादा प्रतियां बिक गई थी । लाखों डॉलर में उसके फिल्म राइट बिके थे । तकरीबन
चालीस हफ्तों तक बेस्ट सेलर की सूची में पहले नंबर पर रहने के बाद इस उपन्यास की लोकप्रियता
में कमी आई थी । लेकिन फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे की सफलता के शोरगुल के बीच एक उपन्यास
की सफलता जरा दब सी गई थी । मनोरंजन और फिल्म पत्रकारिता करनेवाली गिलियन फ्लिन का
उपन्यास गॉन गर्ल तकरीबन दस महीने पहले छपा था । तब से लेकर अबतक सिर्फ अमेरिका में
उसकी तीस लाख से ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं और कई हफ्तों तक वो अमेरिकी अखबारों
के बेस्ट सेलर की सूची में भी रह चुका है । लेकिन जब इस साल जनवरी में जब यह उपन्यास
ब्रिटेन में रिलीज हुआ तो दो महीने में इसकी साढे तीन लाख प्रतियां बिक गई तो एक बार
फिर से इस उपन्यास ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा । जब ई एल जेम्स का उपन्यास फिफ्टी
शेड्स ऑफ ग्रे प्रकाशित होकर धड़ाधड़ बिक रहा था को उसपर अश्लीलता का आरोप लगा था और
कई आलोचकों ने उसे ममी पोर्न करार दिया था । उपन्यास में वर्णित सेक्स प्रसंगों को
उसकी जबरदस्त बिक्री का आधार बताया था । लेकिन ई एल जेम्स के उपन्यास फिफ्टी शेड्स
ऑफ ग्रे और गिलियन फ्लिन के इस उपन्यास गॉन गर्ल में बुनियादी फर्क है । ई एल जेम्स
का उपन्यास प्रेमी-प्रेमिका के बीच सेक्स के विभिन्न आयामों का विश्लेषण था लेकिन फ्लिन
के उपन्यास में पति पत्नी के संबंधों के बारे में सूक्ष्मता से लिखा गया है । एमी और
निक की शादी के पांचवीं सालगिरह पर एमी गायब हो जाती है। जांचकर्ताओं को उसकी हत्या
का शक होता है । शक की सुई निक की ओर घूमती है । इस उपन्यास की कहानी आगे बढ़ती चली
जाती है । एक थ्रिलर की तरह ।
इसके पहले भी गिलियन फ्लिन ने दो उपन्यास शॉर्प ऑब्जेक्ट्स और डॉर्क प्लेसेस प्रकाशित हो चुका है । इनका पहला उपन्यास शॉर्प ऑब्जेक्ट्स एक क्राइम थ्रिलर है जो मिसौरी के एक सीरियल किलर के इर्द गिर्द चलता है । फ्लिन का दूसरा उपन्यास डॉर्क प्लेसेस एक लड़की की कहानी है जो अपने परिवार के सदस्यों की हत्या को इंवेस्टिगेट करती है । कहने का मतलब यह है कि अबतक क्राइम थ्रिलर लिखने वाली लेखिका ने पहली बार पति-पत्नी के जटिल संबंधों पर लिखा है । लेखिका का मानना है कि शादी के बाद का जीवन एक ऐसा खेल है जिसमें अपने साथी के आत्मविश्वास को ध्वस्त कर जीतने की कला में पारंगत होना होता है । इसमें थोड़ा बहुत शक्ति प्रदर्शन, छोटे मोटे झगड़े भी होते हैं लेकिन अंतत लक्ष्य तो जीत का ही होता है ।
आलोचकों का कहना है कि फ्लिन के इस उपन्यास में कई बार उसकी जिंदगी साफ तौर पर दिखाई देती है और उसने अपने अनुभवों को कल्पना के साथ मिलाकर उसे लिखा है । मसलन इस उपन्यास की नायिका एमी भी नब्बे के दशक के अंत में न्यूयॉर्क आती है और लेखिका बनने के लिए संघर्ष करती है लगभग यही समय होता है जब लेखिका भी मौसुरी से न्यूयॉर्क आती है और एक पत्रिका में नौकरी करती है । इस तरह के कई प्रसंग ऐसे हैं जिनकी लेखिका की जिंदगी से समानता है । यह हो सकता है कि महज संयोग हो कि उपन्यास प्रकाशन के आसपास ही लेखिका ने भी अपनी शादी की पांचवीं सालगिरह मनाई । उपन्यास की नायिका भी बिंदास है जिसे फुटबॉल से प्यार है जो अपने दोस्तों के साथ अश्लील जोक्स शेयर करती है, जो वीडिया गेम्स खेलती है , सस्ती बीयर पीती है, एक साथ दो तीन लोगों से संबंध बनाने में नहीं हिचकती है और उसे एंजॉय करती है । उपन्यास की नायिका ने अपने एक इंटरव्यू में स्वीकार किया है कि एक वक्त ऐसा था जब वो भी बिंदास लड़की बनना चाहता थी । इसके अलावा उसके इस उपन्यास में नायक निक का एक वकील होता है जिसका चरित्र लेखिका के पति के वास्तविक जीवन से मेल खाता है । लेखिका का मानना है कि हम किसी के विश्वास को जीतकर उसके साथ रागात्मक संबंध बनाते हैं लेकिन हमारे मन के किसी कोने अंतरे में अपने लक्ष्य को हासिल करने की तमन्ना छुपी होती है । गॉन गर्ल की भी यही थीम है । पूरे उपन्यास में पति पत्नी के बीच के संबंधों की कथा इतनी रोचक तरीके से चलती है कि वो पाठकों को अंत तक बांधे रखती है । दरअसल उन्नीस सौ बारह में छपे दो उपन्यासों को जिस तरह से प्यार मिला और दोनों किताबों की बिक्री को जोड़ दिया जाए तो बहुत संभव है कि वो संख्या आने वाले एक दो महीने में एक करोड़ को पार कर जाए । काश ऐसा कभी हिंदी में भी संभव हो पाता । यहां तो एक संस्करण में छपने वाली पुस्तकों की संख्या घटती जा रही है लेकिन लेखकों का एटिट्यूड बढ़ता जा रहा है ।
इसके पहले भी गिलियन फ्लिन ने दो उपन्यास शॉर्प ऑब्जेक्ट्स और डॉर्क प्लेसेस प्रकाशित हो चुका है । इनका पहला उपन्यास शॉर्प ऑब्जेक्ट्स एक क्राइम थ्रिलर है जो मिसौरी के एक सीरियल किलर के इर्द गिर्द चलता है । फ्लिन का दूसरा उपन्यास डॉर्क प्लेसेस एक लड़की की कहानी है जो अपने परिवार के सदस्यों की हत्या को इंवेस्टिगेट करती है । कहने का मतलब यह है कि अबतक क्राइम थ्रिलर लिखने वाली लेखिका ने पहली बार पति-पत्नी के जटिल संबंधों पर लिखा है । लेखिका का मानना है कि शादी के बाद का जीवन एक ऐसा खेल है जिसमें अपने साथी के आत्मविश्वास को ध्वस्त कर जीतने की कला में पारंगत होना होता है । इसमें थोड़ा बहुत शक्ति प्रदर्शन, छोटे मोटे झगड़े भी होते हैं लेकिन अंतत लक्ष्य तो जीत का ही होता है ।
आलोचकों का कहना है कि फ्लिन के इस उपन्यास में कई बार उसकी जिंदगी साफ तौर पर दिखाई देती है और उसने अपने अनुभवों को कल्पना के साथ मिलाकर उसे लिखा है । मसलन इस उपन्यास की नायिका एमी भी नब्बे के दशक के अंत में न्यूयॉर्क आती है और लेखिका बनने के लिए संघर्ष करती है लगभग यही समय होता है जब लेखिका भी मौसुरी से न्यूयॉर्क आती है और एक पत्रिका में नौकरी करती है । इस तरह के कई प्रसंग ऐसे हैं जिनकी लेखिका की जिंदगी से समानता है । यह हो सकता है कि महज संयोग हो कि उपन्यास प्रकाशन के आसपास ही लेखिका ने भी अपनी शादी की पांचवीं सालगिरह मनाई । उपन्यास की नायिका भी बिंदास है जिसे फुटबॉल से प्यार है जो अपने दोस्तों के साथ अश्लील जोक्स शेयर करती है, जो वीडिया गेम्स खेलती है , सस्ती बीयर पीती है, एक साथ दो तीन लोगों से संबंध बनाने में नहीं हिचकती है और उसे एंजॉय करती है । उपन्यास की नायिका ने अपने एक इंटरव्यू में स्वीकार किया है कि एक वक्त ऐसा था जब वो भी बिंदास लड़की बनना चाहता थी । इसके अलावा उसके इस उपन्यास में नायक निक का एक वकील होता है जिसका चरित्र लेखिका के पति के वास्तविक जीवन से मेल खाता है । लेखिका का मानना है कि हम किसी के विश्वास को जीतकर उसके साथ रागात्मक संबंध बनाते हैं लेकिन हमारे मन के किसी कोने अंतरे में अपने लक्ष्य को हासिल करने की तमन्ना छुपी होती है । गॉन गर्ल की भी यही थीम है । पूरे उपन्यास में पति पत्नी के बीच के संबंधों की कथा इतनी रोचक तरीके से चलती है कि वो पाठकों को अंत तक बांधे रखती है । दरअसल उन्नीस सौ बारह में छपे दो उपन्यासों को जिस तरह से प्यार मिला और दोनों किताबों की बिक्री को जोड़ दिया जाए तो बहुत संभव है कि वो संख्या आने वाले एक दो महीने में एक करोड़ को पार कर जाए । काश ऐसा कभी हिंदी में भी संभव हो पाता । यहां तो एक संस्करण में छपने वाली पुस्तकों की संख्या घटती जा रही है लेकिन लेखकों का एटिट्यूड बढ़ता जा रहा है ।
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