हाल के दिनों में बॉलीवुड में अंग्रेजी लेखकों के उपन्यासों या उनकी लिखी कहानियों
पर फिल्में बनाने के काम में तेजी आई है ।
निर्माता-निर्देशक अंग्रेजी में लिख रहे युवा लेखकों की रचनाओं या उनकी स्क्रिप्ट को
तवज्जो दे रहे हैं । हाल ही में चेतन भगत के उपन्यास पर बनी फिल्म टू स्टेट्स को दर्शकों
ने खासा पसंद किया है । चेतन भगत काफी समय से लिख रहे हैं और वो लेखन की दुनिया में
एक जाना माना नाम हैं । उनके उपन्यासों पर पहले भी फिल्में बन चुकी हैं लेकिन आमिर
खान अभिनीत फिल्म थ्री इडियट्स के बाद चेतन भगत के उपन्यास पर यह फिल्म बनी है । चेतन
तो काफी लंबे समय से लेखन की दुनिया में हैं और वो बाजार के स्वभाव को बेहतर तरीके
से समझते हैं लिहाजा उनकी किताबें भी हिट होती हैं और उनपर फिल्में आदि भी बन जाती
हैं । चेतन भगत के अलावा भी इन दिनों अंग्रेजी में लिखनेवाले कई लेखकों को बॉलीवुड
खासा पसंद कर रहा है । युवा लेखिका और ऑलमोस्ट सिंगल जैसा बेस्टसेलर उपन्यास लिखकर
प्रसिद्धि पा चुकी अद्वैत काला ने सुपर हिट फिल्म कहानी की कहानी लिखी थी । इसके पहले
अद्वैत काला ने अनजाना-अनजानी फिल्म की कहानी भी लिखी थी । दोनों फिल्मों से अद्वैत
काला को काफी नाम और यश मिला । चेतन भगत और अद्वैत काला के अलावा भी अंग्रेजी में लिखने
वाले कई लेखक हैं जिनपर बॉलीवुड मेहरबान है । यूके राइटर्स फोरम अवॉर्ड जीतेवाले पहले
भारतीय युवा लेखक निखिल चांदवाणी भी इन दिनों हैकिंग पर बन रही एक फिल्म की कहानी लिखने
में व्यस्त हैं । उनका मानना है कि हाल के दिनों में अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय
युवा लेखकों के सामने अपने सपने को पूरा करने के कई आयाम खुले हैं । अंग्रेजी लेखन
प्रकाशन की दुनिया के जानकारों का मानना है कि किताबों के प्रकाशन में आसानी होने से
नई नई प्रतिभाएं सामने आ रही हैं ।
एक जमाना था जब बासु चटर्जी जैसे निर्देशक ने राजेन्द्र यादव के उपन्यास सारा आकाश
पर फिल्म बनाई थी । उसके बाद भी उनकी रचनाएं फिल्मों का आधार बनी । कमलेश्वर ने तो
लंबे समय तक हिंदी फिल्मों के लिए कहानियां लिखी । हिंदी के लोकप्रिय लेखक गुलशन नंदा
के उपन्यासों पर तो दर्जनों फिल्में बनीं जिसमें झील के उस पार, पाले खां और शर्मीली
जैसी हिट फिल्में शुमार हैं । कालांतर में क्या हुआ कि हिंदी के लेखकों से भारतीय फिल्मी
दुनिया की दूरी बढ़ती चली गई । अंग्रेजी के लेखकों की रचनाओं पर बॉलीवुड मेहरबान है
और उसके आधार पर हिंदी में हिट फिल्में भी बन रही हैं । अब यहां सवाल यही खड़ा होता
है कि अंग्रेजी में लिखी गई रचनाओं के बरख्श हिंदी के लेखकों की रचनाएं बॉलीवुड के
कर्ताधर्ताओं की पसंद क्यों नहीं बना पा रही हैं । क्यों हिंदी के लेखक वॉलीवुड तक
अपनी पहुंच नहीं बना पा रहे हैं । यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि फिछले तीन दशकों
में बॉलीवुड की केमिस्ट्री पूरी तरह से बदल गई है अब यह दुनिया सेठाश्रयी नहीं रही
। अब फिल्मों में पैसा लगानेवाले से लेकर निर्देशक और अभिनेता, अभिनेत्री सभी अंग्रेजीदां
हो गए । ये उस तरह के लोग हैं जिनका हिंदी से दूर दूर तक का वास्ता नहीं है । वो हिंदी
से पैसा तो कमाते हैं लेकिन सारा काम अंग्रेजी में करते हैं । यही मूल कारण है कि हिंदी
की एक से एक बेहतरीन कृतियां हाशिए पर रह जाती हैं और अंग्रेजी की मामूली रचनाओं पर
भी फिल्में बन रही हैं ।
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