कोरोना वायरस की आशंका से पूरे देश में लॉकडाउन करने के लिए प्रधानमंत्री ने मंगलवार को रात आठ बजे का समय चुना। प्रधानमंत्री जब भी रात आठ बजे राष्ट्र को संबोधित करने आते हैं तो लोगों के बीच एक खास किस्म की उत्सुकता पैदा हो जाती है। 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की तब भई रात के आठ ही बजे थे। 19 मार्च 2020 को जब उन्होंने राष्ट्र को संबोधित करते हुए रविवार को जनता कर्फ्यू का आह्वान किया तब भी रात के आठ बजे थे। इसलिए जब 22 मार्च को प्रधानमंत्री के राष्ट्र के संबोधन की खबर आई तो भी समय आठ बजे का ही दिया गया था। लोगों में इस बात को लेकर जबरदस्त उत्सुकता थी कि प्रधानमंत्री क्या बोलेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ठीक आठ बजे आए और उन्होंने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए 21 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर की। कोरोना के तमाम तरह के खतरों से भी देश को आगाह किया, अपनी क्षमताओं और सीमाओं का भी उल्लेख किया। दर्शकों के बारे में जानकारी और टेलीविजन चैनलों की रेंटिंग जारी करनेवाली एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के मुताबिक आठ से साढे आठ बजे के बीच पीएम मोदी के उस संबोधन को 19.7 करोड़ दर्शकों ने टेलीविजन पर देखा। इस टेलीकास्ट को भारत में 210 चैनलों ने प्रसारित किया था। दर्शकों की ये संख्या के लिहाज से अबतक का कार्तिमान है। अभी तक किसी भी जॉनर में किसी भी शो या समाचार को इतने दर्शकों ने एक साथ नहीं देखा है। जानकारों के मुताबिक ये कोरोना की आशंका में उपजी उत्सुकता तो थी ही लोगों की ये जानने में भी रुचि थी प्रधानमंत्री मोदी इससे निबटने के लिए किस तरह के कदमों का एलान करते हैं।
बार्क के आंकड़ों का अगर विश्लेषण किया जाए तो हम इस नतीजे पर पहुंचते हैं क्रिकेट के इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का फाइनल भी इतनी बड़ी संख्या में दर्शकों ने नहीं देखा। पिछले साल के आईपीएल फाइनल को 13.3 करोड़ दर्शकों ने देखा था। जब पीएम मोदी ने जनता कर्फ्यू का एलान करते हुए देश को संबोधित किया था तब 8.3 करोड़ दर्शकों ने उस संबोधन को सुना था। इसके पहले भी जब प्रधानमंत्री का कश्मीर से धारा 370 हटाने के संबंध में उद्बोधन हुआ था तब भी देशभर में साढे छह करोड़ दर्शकों ने देखा था. प्रधानमंत्री के उस भाषण को 163 चैनलों पर एक साथ दिखाया गया था। नोटबंदी की घोषणा के लिए नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को देश की जनता को संबोधित किया था तो उस समय 114 चैनलों ने उस भाषण को दिखाया था और 5.7 करोड़ दर्शकों ने देखा था।
कोरोना जैसी रहस्यमय बीमारी और उससे निबटने के कदमों को लेकर देश की जनता की उत्सकुकता इतना बड़ा दर्शक वर्ग खड़ा करने की एक वजह हो सकती है लेकिन अगर सूक्षम्ता से प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों के दर्शक संख्या का विश्लेषम करें तो एक वजह और सामने आती है वो है उनपर भरोसा और विश्वास।
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