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Saturday, January 12, 2019

खास नजरिए की नयनतारा


अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के कार्यक्रम से लेखिका नयनतारा सहगल का नाम हटाने पर एक बार फिर से वो चर्चा के केंद्र में आ गई हैं। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि बीजेपी के इशारे पर मराठी साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन समारोह से उनका नाम हटाया गया। महाराष्ट्र में इसपर जमकर राजनीति हो रही है,आरोप प्रत्यारोप लग रहे हैं। शिवसेना तक सरकार पर आरोप लगा रही है। इसके पहले नयनतारा सहगल का नाम 2015 में तब उछला था, जब उन्होंने 6 अक्तूबर को साहित्य अकादमी का पुरस्कार वापस करने की घोषणा की थी। उस वक्त उन्होंने देश में बढ़ रही असहिष्णुता पर अपना विरोध जताते हुए साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने को लेकर एक बयान भी जारी किया था। उस बयान में नयनतारा सहगल ने कहा था कि देश में आतंक का राज ( रेन ऑफ टेरर) है और अहसमति के स्वर को साजिशन दबाया जा रहा है और विरोध की आवाज का कत्ल किया जा रहा है। कमोबेश वैसी ही बातें नयनतारा सहगल के उस भाषण में भी है जो वो अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में पढ़नेवाली थी। उनका ये भाषण कई जगह पर छपा भी है। साहित्य अकादमी पुरस्कार वापसी के प्रसंग में भी सहगल पर आरोप लगा था कि 1984 के सिख विरोधी दंगे और भागलपुर दंगों के वक्त उनकी संवेदानाएं नहीं जागी थीं। दरअसल सिख विरोधी दंगों के दो साल बाद ही उनको उनकी किताब रिच लाइक अस पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। दरअसल नयनतारा सहगल का दक्षिणपंथी विचारधारा से पुराना विरोध है। जब जनसंघ ने 1969-70 में हिंदी, हिंदू और हिन्दुस्तान का नारा दिया था तब भी सहगल ने अपने स्तंभों में जमकर विरोध किया था। बाद में उनकी अपनी ममेरी बहन इंदिरा गांधी से भी नहीं बनी। दोनों के बीच संबंध बहुत खराब हो गए थे। 1980 में जब इंदिरा गांधी सत्ता में लौटी में नयनतारा सहगल का इटली के राजदूत पद पर तय नियुक्ति रद्द कर दी थी। इंदिरा और नयनतारा सहगल के खराब संबंधों की झलक नयनतारा सहगल की पुस्तक इंदिरा गांधी, ट्राएस्ट विद पॉवर में देखी जा सकती है।
नयनतारा सहगल अंग्रेजी साहित्य में बड़ा नाम माना जाता है। माना तो यह भी जाता है कि आजाद भारत की पहली अंग्रेजी लेखिका है जिनको विश्व स्तर पर इतनी शोहरत मिली। नयनतारा सहगल जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी हैं। विजयलक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र में भारत की पहली राजदूत रही हैं। नयनतारा सहगल का का जन्म 1927 में हुआ था और कहा जाता है कि जिस कमरे में भारत की आजादी को लेकर बातचीत हुई थी वो उस वक्त उस कमरे में मौजूद थीं। बाद में नयनतारा ने दो शादिया कीं, पहली शादी गौतम सहगल से और दूसरी शादी इंडियन सिविल सर्विस के अफसर ई एन मंगतराय के साथ। ई एन मंगतराय पंजाब के मुख्य सचिव रहे और बाद में पेट्रोलियम सचिव भी। 1994 में ई एन मंगतराय और नयनतारा सहगल के संबंधों पर एक बेहद दिलचस्प किताब प्रकाशित हुई थी जिसका नाम था रिलेशनशिप। इस पुस्तक में नयनतारा और मंगतराय के बीच विविध विषयों पर हुए 1963 से 1967 तक के पत्र संकलित किए गए थे जिनमें से ज्यादातर उन दोनों के प्रेम पत्र हैं। इन पत्रों में निहायत निजी बातों से लेकर पारिवारिक और सामाजिक जीवन के विविध विषयों पर संवाद है। नयनतारा सहगल ने दर्जनों पुस्तकें लिखी हैं और कई पुरस्कार भी उनको मिले हैं। नयनतारा सहगल साहित्य अकादमी की अंग्रेजी भाषा की सलाहकार समिति की सदस्य भी रही हैं। वो वुडरो विल्सन इंटरनेशनल सेटंर फॉर स्कॉलर्स, अमेरिका की फैलो रही हैं। इसके अलावा वो अमेरिका की प्रतिष्ठित अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंस की फेलो भी चुनी जा चुकी हैं। इनको 1997 में युनिवर्सिटी ऑफ लीड्स ने मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी दी है।      


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