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Saturday, July 7, 2012

फिडेल का फरेब ?

क्यूबा-फिडेल कास्ट्रो और अमेरिका जॉन एफ कैनेडी ये दो ऐसे विषय हैं जिनपर अबतक सैकड़ो किताबें लिखी जा चुकी हैं, हजारों लेख लिखे जा चुके हैं । लेकिन क्यूबा और अमेरिका में शह और मात के खेल में साठ के दशक में जो चालें चली गई हैं अब जाकर उनपर से धीरे-धीरे पर्दा हटने लगा है । अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या पर भी सैकड़ों लेखकों ने लिखा, कई फिल्में बनीं, अपराध कथा लेखकों ने राष्ट्रपति की हत्या पर उपन्यास लिखे, टीवी निर्माताओं ने कैनेडी की हत्या और कैनेडी-कास्ट्रो संबंधों पर डॉक्यूमेंट्री बनाईं । कैनेडी की हत्या के चालीस साल बाद भी ये एक ऐसा विषय है जो अब भी लेखकों को झकझकोरते हुए चुनौती देता है । कैनेडी की मर्जर मिस्ट्री को लोग दुनिया की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री करार दे चुके हैं । नतीजा यह है कि इस विषय पर हर साल कई नई किताबें आती है जिसका लेखक शोध का दावा करते हुए कुछ नया अन्वेषण का ऐलान करता है । अब अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए में लंबे समय तक लैटिन अमेरिका मामलों के आला खुफिया अधिकारी ब्रायन लैटल की नई किताब- कास्ट्रोज सीक्रेट्स : द सीआईए एंड क्यूबाज इंटेलिजेंस मशीन- में कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं । ब्रायन का दावा है उन्होंने इस किताब को लिखने के लिए तकरीबन पांच साल तक शोध किया और हजारों दस्तावेज खंगाले । इसके अलावा अमेरिका और क्यूबा के खुफिया एजेंसी के अफसरों से बात की । इस किताब में लेखक का दावा है कि क्यूबा के राष्ट्रपति फिडेल कास्ट्रो को अमेरिका के राष्ट्रपति जे एफ कैनेडी के कत्ल के बारे में पता था और उन्होंने 22 नवंबर 1963 को कैनेडी के कत्ल के बाद झूठ बोला था कि उन्हें इस कत्ल की ना तो कोई जानकारी थी और ना ही आभास । कास्ट्रो ने ये बयान कैनेडी के कत्ल के एक दिन बाद दिया था जिसे उन्होंने अलग अलग जगहों पर कई बार दोहराया भी है । कास्ट्रो ने इस बात से भी इंकार किया था कि कैनेडी के कातिल ओसवाल्ड को वो जानते हैं ।

इस किताब के लेखक ब्रायन ने क्यूबा के पूर्व खुफिया अधिकारी और उसके राजदूतावास में उस वक्त तैनात रहे अफसरों के हवाले से कास्ट्रो के दोनों बयानों को झूठा ठहराया है । ब्रायन ने एक वक्त क्यूबा के डीजीआई इंटेलिजेंस सर्विस के अहम अधिकारी रहे और 1987 में क्यूबा छोड़कर अमेरिका में शरण लेनेवाले फ्लोरेन्टिनो लोम्बार्ड के हवाले से बताया है कि कास्ट्रो को कत्ल की जानकारी थी । लोम्बार्ड के मुताबिक जिस दिन कैनेडी का कत्ल हुआ उस दिन उसको आदेश मिला था कि वो अमेरिका के रेडियो तरंग को पकड़ने के लिए हवाना में लगे एंटिना का रुख मियामी से हटाकर टैक्सास की तरफ कर दें और वहां की हर छोटी बड़ी सूचना से तुरंत ही देश के सर्वोच्च नेता को अवगत कराया जाए। हुक्म देने वाले ने जोर देकर कहा था कि टैक्सास में घटित होनेवाली हर छोटी से छोटी घटना को भी नजरअंदाज नहीं किया जाए । इस हुक्म के चंद घंटों के भीतर ही टैक्सास में अमेरिकी राष्ट्रपति कैनेडी को ओसवाल्ड ने गोलियों से भून दिया । लेखक का दावा है कि फ्लोरेन्टिनो लोम्बार्ड ने उन्हें यह भी बताया था कि कास्ट्रो को इस बात की पहले से जानकारी थी कि ओसवाल्ड कैनेडी को गोली मारेगा । इसके अलावा लैटेल ने जो दूसरा परिस्थितिजन्य सबूत पेश किया है वो यह है कि ओसवाल्ड के कैनेडी को मारने के इरादे का भी पता कास्ट्रो को था और क्यूबा का राष्ट्रपति उस शख्स को जानता भी था । कैनेडी के कत्ल के पहले ओसवाल्ड ने क्यूबा के मैक्सिको स्थित दूतावास में क्यूबा जाने के लिए वीजा का आवेदन दिया था जिसे दूतावास ने खारिज कर दिया था । वीजा खारिज होने से खफा ओसवाल्ड ने चिल्लाते हुए कहा था कि मैं कैनेडी को मारने जा रहा हूं और कास्ट्रो के समर्थन में नारे लगाए थे । ये बातें कास्ट्रो को उनके दूतावास अधिकारियों ने बताई थी । बाद में कास्ट्रो ने भी एक डबल एजेंट से हुई बातचीत में इस बात को स्वीकार भी किया था ।

इस किताब में इन दो बातों के आधार पर ये साबित करने की कोशिश की गई है कि कास्ट्रो ने कैनेडी के कत्ल की पहले से जानकारी नहीं होने के बारें में झूठ बोला था । लेकिन लेखक इस बात को लेकर बेहद सावधान हैं कि इस किताब से यह ध्वनित नहीं हो कि कैनेडी के कत्ल की साजिश रचने में कास्ट्रो की कोई प्रत्यक्ष भूमिका थी । ब्रायन ने यह स्वीकार किया है कि - उन्हें नहीं मालूम कि फिडेल कास्ट्रो ने कत्ल का हुक्म दिया था । उन्हें यह भी नहीं मालूम कि कातिल ओसवाल्ड कास्ट्रो के इशारे पर काम कर रहा था । ब्रायन के मुताबिक ये मुमकिन हो सकता है कि ओसवाल्ड कास्ट्रो के इशारे पर काम कर रहा हो लेकिन उन्हें अपने शोध के दौरान इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिला । उन्होंने ये साबित करने की कोशिश की है कि फिडेल कास्ट्रो को कैनेडी से अपनी जान का खतरा था । इतिहास में इस बात के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं हैं बगैर अमेरिकी जनता की जानकारी और अमेरिकी कांग्रेस को विश्वास में लिए जॉन और रॉबर्ट कैनेडी ने आठ बार फिडेल के कत्ल की साजिश रची और आठों बार नाकाम रहे । दरअसल फिडेल कास्ट्रो की खुफिया जानकारियां और रणनीति अमेरिकी खुफिया एजेंसियों और उनकी रणीनित से बेहतर थी । इस वजह से अमेरिका तमाम कोशिशों को बावजूद क्यूबा को झुका नहीं पाया ।
लेकिन ब्रायन लैटल ने की नई किताब - कास्ट्रोज सीक्रेट्स : द सीआईए एंड क्यूबाज इंटेलिजेंस मशीन में जो बातें क्यूबा के कम्युनिस्ट नेता फिडेल कास्ट्रो के बारे में लिखी गई हैं उसका जिक्र कैनेडी हत्याकांड की जांच कर रही किसी एजेंसी ने नहीं किया । कैनेडी की हत्या की जांच करनेवाली वॉरेन कमीशन, द हाउस असेसिनेशन कमेटी और द चर्च कमेटी ने अपनी जांच के दौरान इन तथ्यों को क्यों नजरअंदाज कर दिया । यह एक बड़ा सवाल है । कैनेडी की हत्या पर अमेरिका में वर्षों से शोध हो रहे हैं।  सरकरी कमीशनों और खुफिया एजेंसियों ने इस हत्याकांड और उसे जुड़े तथ्यों को करीब पचास लाख पन्नों में दर्ज कियया है लेकिन उन पचास लाख पन्नों में इन दो तथ्यों का उल्लेख नहीं होना हैरान करनेवाला है । हो सकता है कि कई सालों बाद जब कुछ और वर्गीकृत सूचनाएं सार्वजनिक हों तो इस बात का खुलासा हो लेकिन फिलहाल ब्रायन की इस किताब ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है कि क्या कैनेडी के कत्ल के मामले में फिडेल कास्ट्रो ने झूठ बोला था ।

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