नेशनल हेराल्ड केस और जीएसटी में यूं तो प्रत्यक्ष रूप से
कोई तार जुड़ता नहीं है क्योंकि एक तो कोर्ट में चल रहा केस है तो दूसरा देश में आर्थिक
सुधार के लिए सरकार का एक ऐसा कदम है जिसको संसद की मंजूरी चाहिए । लोकतंत्र में कानूनी
मुकदमों और विधायी कार्य के बीच कोई रिश्ता होता नहीं है बल्कि संविधान इस बात को मजबूती
से कहता है कि विधायिका और न्यायपालिका स्वतंत्र रूप से काम करते हैं । लेकिन नेशनल
हेराल्ड में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की व्यक्तिगत पेशी से छूट के बाद जिस तरह
से कांग्रेस सांसद दोनों सदनों में आक्रामक हुए हैं उससे जीएसटी बिल पर संकट के बादल
छा गए हैं । संसद में जारी हंगामे के बीच जीएसटी बिल पर पक्ष और विपक्ष के बीच दूसरे
राउंड की बातचीत नहीं हो सकी है । कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सुब्रह्ण्यम स्वामी
के कंधे पर बंदूक रखकर सोनिया-राहुल पर निशाना साध रही है । नेशनल हेराल्ड केस में
पैसों की हेराफेरी का आरोप लगाकर स्वामी ने सोनिया और राहुल को केंद्र में बीजेपी की
सरकार के आने के पहले ही अदालत में खींचा था । काफी लंबे वक्त तक इस मामले की सुनवाई
चली । इस बीच सोनिया, राहुल और अन्य कांग्रेसी नेताओं ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस केस
में व्यक्तिगत पेशी से छूट के लिए याचिका दायर की । इस याचिका को खारिज करते हुए अदालत
ने सोनिया और राहुल को दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में पेश होने का आदेश दिया । इस
आदेश के बाद शुरुआत में कांग्रेस नेताओं के बीच भ्रम की स्थिति दिखाई दी । पहले ये
बात सामने आई कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी लेकिन
अदालत में सोनिया और राहुल ने साफ तौर पर कहा कि वो कोर्ट के सामने पेश होने के लिए
तैयार हैं । अब उन्नीस दिसबंर को दोपहर तीन बजे सोनिया-राहुल दोपहर तीन बजे अदालत के
सामने हाजिर होंगे । इस पूरे मामले को विस्तार से बताने का मकसद सिर्फ इतना है कि यह
एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत सोनिया और राहुल को समन किया गया है । लेकिन कांग्रेस
को इसमें राजनीति नजर आती है और वो सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना का आरोप लगाते
हुए संसद को ठप कर देती है । पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद तो यहां तक कह देते
हैं कि बीजेपी सरकार गांधी परिवार, बिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, पूर्व वित्त
मंत्री पी चिदंबरम शंकर सिंह वाघेला आदि को जानबूझकर फंसाने की कोशिश कर रही है । कोर्ट
के फैसले पर संसद ठप करने की यह पहली घटना है इसके पहले भी ऐसा हुआ है लेकिन कोर्ट
के फैसले पर कई अहम बिल के ठप हो जाने की यह संभवत: पहली घटना हो सकती है । जीएसटी ही नहीं बल्कि कई और अहम
बिल हैं जिनको संसद की मंजूरी चाहिए जिनमें रियलिटी सेक्टर में सुधार का बिल इस सेक्टर
में आई मंदी को दूर करने के लिए बेहद अहम है ।
जीएसटी पर सरकार और कांग्रेस के बीच बेहतर तालमेल की संभवना
बन रही थी और उम्मीद की जा रही थी कि इस सत्र में ये बि पास हो जाएगा । सरकार की तरफ
से बनाई गई विशेषज्ञों के पैनल ने सत्रह अठारह फीसदी की स्टैंडर्ड जीएसटी रेट की सिफारिश
कर दी थी । इसके अलावा इस पैनल ने सर्विसेज की सप्लाई पर एक फीसदी के अतिरिक्त टैक्स
को भी खत्म करने का सुझाव दिया था । ये दोनों कांग्रेस की मांग थी लेकिन कोर्ट के फैसले
के बाद चेन्नई से राहुल गांधी ने साफ संदेश दे दिया कि वो सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति
पर काम करेंगे । राहुल ने कहा कि सरकार सोचती है कि वो बदले की राजनीति से उनका मुंह
बंदकर देगी लेकिन ऐसा होगा नहीं । उन्होंने जोर देकर कहा कि वो सरकार पर दबाव बनाते
रहेंगे और अपना काम करते रहेंगे । राहुल के इस बयान से साफ है कि वो किस तरह का दबाव
सरकार पर बनाते रहेंगे । लेकिन ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस ने देश की न्यायिक
प्रक्रिया को संसद की कार्यवाही से जोड़ दिया है । जिसका असर आर्थिक सुधारों पर पड़ना
तय है । जीएसटी बिल पर आए संकट के मद्दनदर मंगलवार को सेंसेक्स में करीब सवा दो सौ
प्लाइंट की गिरावट दर्ज की गई जो पिछले तीन महीनों का निम्नतम स्तर रहा । शेयर बाजार
में ये गिरावट लास्ट ट्रेडिंग सेशन में दर्ज की गई । आर्थिक मामलों के जानकारों का
कहना है कि संसद में नेशनल हेराल्ड मसले पर जारी हो हल्ले के बीच बाजार में निगेटिव
सेंटिमेंट चला गया । इसका असर रुपए की कीमत पर भी देखने को मिला और वो भी करीब ग्यारह
पैसे टूटकर दो साल के निम्नतम स्तर पर जा पहुंचा । यह बात समझ से परे हैं कि कांग्रेस
संसद को ठप अर्थव्यवस्था को क्या संकेत देना चाहती है । सोनिया गांधी ने संसद भवन के
परिसर में संवाददातओं से कहा कि उनको किसी से डर नहीं लगता है क्योंकि वो इंदिरा गांधी
की बहू हैं । सोनिया गांधी के इस बयान से साफ है कि कांग्रेस इस पूरे मसले को राजनीतिक
तौर पर भुनाना चाहती है । इमरजेंसी के बाद जब इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया गया था
तो कांग्रेसियों को उसको एक पॉलिटिकल इवेंट बना दिया था । जब जब इंदिरा गांधी शाह कमीशन
के सामने पेश होती थी तब तब कांग्रेस के नेता देश को यह संदेश देते थे कि जनता पार्टी
की सरकार बदले की भावना से काम कर रही है । इसी तरह से सोनिया ने जब एलान कि उनको डर
नहीं लगता तो एक एक करके कांग्रेस के तमाम दिग्गजों ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस
की और सरकार पर बदले की राजनीति का आरोप जड़ा । यह बहुत मशहूर कहावत है कि हिस्ट्री
रिपीट इटसेल्फ और कांग्रेस को लगता है कि इतिहास खुद को दोहराने वाला है । पर कांग्रेस
एक और कहावत भूल गई है कि राजनीति में काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती ।
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